अभिनव बिन्द्रा पर निबंध! Here is an essay on ‘Abhinav Bindra’ in Hindi language.

ADVERTISEMENTS:

भारत के विख्यात निशानेबाज अभिनव बिन्द्रा अपने परिवार के साथ वर्ष 1996 में अटलाण्टा ओलम्पिक देखने गए तथा वहाँ शूटिंग रेंज देखकर उसके प्रति आकर्षित हुए और वहीं एक अच्छा निशानेबाज बनने का सपना देखा । इस प्रतिभावान खिलाड़ी का जन्म 28 सितम्बर, 1982 को उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून में हुआ था ।

उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलोरैडो विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) की डिग्री प्राप्त की । अभिनव को उनके परिवार ने इस खेल के प्रति आगे बढ़ने के लिए पूरा सहयोग दिया । उन्होंने अच्छी तरह सोच-समझकर एयर रायफल प्रतियोगिता को चुना तथा उसमें भाग लेने लगे । वे मात्र 15 वर्ष की आयु में ही निशानेबाजी प्रतियोगिता में भाग लेने लगे ।

अभिनव बिन्द्रा पहली बार उस समय विश्व खेल परिदृश्य पर चर्चा में आए, जब वर्ष 2001 में म्यूनिख विश्व कप में उन्होंने 10 मी राइफल प्रतियोगिता में काँस्य पदक जीता था ।  इस प्रतियोगिता में उन्होंने 60 शॉट लगाने के लिए निर्धारित 1 घण्टा 45 मिनट की जगह 44 मिनट में ही सभी शॉट लगाकर सभी दर्शकों को आश्चर्य में डाल दिया ।

इस प्रतियोगिता में उनका मुकाबला 67 देशों के 105 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ था । उन्होंने इस प्रतियोगिता में अन्तिम आठ में जगह बनाई । यद्यपि वे सातवें स्थान पर थे, परन्तु फाइनल में उन्होंने अविश्वसनीय रूप से तीसरा स्थान बनाया । इसी जीत के कारण वह ओलम्पिक में पुरुष वर्ग की एकल प्रतियोगिता में भाग लेने योग्य भारतीय खिलाड़ी बने ।

उन्होंने नियमित अभ्यास तथा व्यायाम पर अपना ध्यान केन्द्रित किया । प्रतिदिन 7 घण्टे शूटिंग का अभ्यास तथा 2 घण्टे जॉगिंग जैसे व्यायाम उनकी दिनचर्या में शामिल हैं ।  इसी कारण कम उम्र में उन्होंने सबसे अधिक पुरस्कार जीते तथा देश-विदेश में ख्याति प्राप्त की । उनके पिता ने उनके लिए हर प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध करवाईं । उनके राष्ट्रीय कोच गैबी व्यूलमान तथा थॉमस हैं ।

अभिनव बिन्द्रा ने 11 अगस्त, 2008 को बीजिंग ओलम्पिक में 10 मी एयर राइफल निशानेबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बनाया । वे लगातार चार स्वर्ण पदक जीतने बाले विश्व के पहले शूटर बन गए, जब उन्होंने वर्ष 2001 में म्यूनिख में यूरोपीय राइफल सर्किट चैम्पियनशिप में ये पदक जीते ।

मार्च, 2006 में मेलबर्न राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता । इसके साथ ही उन्होंने 50 मी राइफल थ्रो पोजीशन में रजत पदक भी प्राप्त किया । जुलाई, 2006 में विश्व निशानेबाजी चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता तथा देश के पहले निशानेबाज बने ।

इस उपलब्धि के लिए पंजाब सरकार ने उन्हें, रु 21 लाख के पुरस्कार से सम्मानित किया । वर्ष 2010 के एशियन गेम में अभिनव बिन्द्रा ने रजत पदक जीता था ।  इसी वर्ष (2010) दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम में उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया । वर्ष 2014 में अभिनव बिन्द्रा ने कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक (ग्लासगो में) तथा एशियन खेलों में काँस्य पदक प्राप्त किया ।

ADVERTISEMENTS:

ADVERTISEMENTS:

अभिनव बिन्द्रा को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2000 में अर्जुन पुरस्कार, वर्ष 2001 में राजीव गाँधी खेल रत्न (भारतीय खेल का उच्चतम अवार्ड) तथा वर्ष 2009 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया ।

वर्ष 2011 में उन्हें भारतीय सेना की लेफ्टिनेण्ट कर्नल की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया । वर्ष 2000 में उन्हें इण्टरनेशनल स्पोर्ट्स शूटिंग फेडरेशन ने ‘डिप्लोमा ऑफ ऑनर’ प्रदान किया ।

जुलाई, 2002 में ‘ओलम्पिक सालिडेरिटी प्रोग्राम’ के अन्तर्गत स्कॉलरशिप प्रदान की गई । वर्तमान में अभिनव बिन्द्रा स्टील अथारिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड के ब्राण्ड आम्बेसडर तथा फेडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (FICCI) की खेल समिति के सदस्य हैं । ‘A Shot at History : My Obsessive Journey to Olympic Gold’ उनकी आत्मकथा है ।

इस तरह, अभिनव बिन्द्रा ने भारतीय निशानेबाजी को अन्य खेलों से ऊपर लाने का गौरव हासिल किया । उनके अनुसार, इस खेल को नम्बर एक का दर्जा मिलना चाहिए, क्योंकि इस खेल में सबसे अधिक पदक मिलने की सम्भावना रहती है ।

भारतीय निशानेबाजों ने महत्वपूर्ण सफलताएं अर्जित की हैं । अत: इस खेल को वरीयता देने की आवश्यकता है, ताकि हमारे देश का प्रदर्शन सदैव बेहतर होता रहे । अभिनव बिन्द्रा देश के खेल प्रेमियों के लिए एक आदर्श एवं अनुकरणीय उदाहरण हैं ।

Home››Essays››