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नयी आयात-निर्यात नीति पर निबन्ध | Essay on New Import–Export Policy in Hindi

विश्व बाजार में एक प्रतिशत निर्यात का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 2002 से 2007 तक की पंचवर्षीय आयात-निर्यात नीति में कुछ संवेदनशील वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओं के निर्यात पर लगे मात्रात्मक प्रतिबंधों को हटा दिया गया ।

इसके साथ ही विशेष आर्थिक क्षेत्रों, कृषि निर्यात क्षेत्रों, कुटीर तथा लघु उद्योगों तथा रत्न एवं आभूषण उद्योग को प्रोत्साहन देकर अमरीका सहित कुछ नये बाजारों में निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया गया । आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ब्याज दर पर उन्हें ऋण देने की घोषणा की गयी है ।

आर्थिक क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाने के लिए पहली बार इन क्षेत्रों में भारतीय बैंकों को विदेशी शाखाएं खोलने की अनुमति दी गयी है । रिजर्व बैंक की मंजूरी से दी गयी इस अनुमति के अनुसार इन बैंक शाखाओं को नगदी आरक्षण उनुपात और सांविधिक तरलता अनुपात के नियमों से छूट दी गयी है ।

इन शाखाओं से विशेष क्षेत्र की इकाइयों को अंतर्राष्ट्रीय दरों पर वित्तीय सुविधा मिल सकेगी । नयी निर्यात-आयात नीति में दसवीं योजना के सकल देशीय उत्पाद के आठ प्रतिशत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2007 तक विश्व व्यापार में एक प्रतिशत भागीदारी प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है ।

वर्ष 2001-2002 का निर्यात 46 अरब डॉलर था । लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्यात की 11.9 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करनी होगी । कृषि को नयी आयात-निर्यात नीति रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए कृषि में निर्यात पर विशेष बल दिया गया है ।

निर्यात किये जाने वाले मक्खन, गेहूँ और उससे बने उत्पाद मूंगफली का तेल तथा काजू पर पंजीकरण एवं पैकिंग की शर्तें समाप्त कर दी गयी हैं । फलों, सब्जियों, फूलों, मुर्गीफार्म उत्पाद एवं दुग्ध उत्पाद के निर्यात पर अब परिवहन सब्सिडी मुहैया करायी जाएगी ।

इस नीति में अग्रिम लाइसेंस के तहत छूट अहर्ता प्रमाण-पत्र को समाप्त करने के अतिरिक्त वार्षिक अग्रिम लाइसेंस योजना वापस ले ली गयी है । साथ ही निर्यातक किसी भी मूल्य के प्रति अग्रिम लाइसेंस सुविधा नई नीति के तहत प्राप्त कर सकते है ।

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नये बाजारों में प्रवेश के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम के प्रथम चरण में नाईजीरिया, मौरिशस, कीनिया, इथोपिया, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका और भाना सहित सात देशों में निर्यात बढाने के प्रयास किये जाएगे । इन देशों में पांच करोड़ रुपये तक निर्यात बढ़ाने वाले निर्यातकों को एक्सपोर्ट हाउस का दर्जा दिया जाएगा ।

रसायन और भेषिज क्षेत्र में सभी कीटनाशक नुस्खों पर शुल्क अहर्ता पासबुक की दर पैसठ प्रतिशत निर्धारित की गयी है । नयी आयात-निर्यात नीति में रत्न एवं आभूषण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए गैर तराशे हीरों पर सीमा शुल्क को हटाकर शून्य कर दिया गया है इसके लिए लाइसेंस प्रणाली खत्म कर दी गयी हैं ।

अमरीकी देशों को निर्यात बढ़ाने की योजना वर्ष 2003 तक जारी रखी जाएगी । कपड़ा क्षेत्र में तीन प्रतिशत की सीमा में कपडों के नमूनों को शुल्क मुक्त कर दिया गया है । इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए नयी नीति में प्रौद्योगिकी योजना को संशोधित किया गया है ।

इससे इस क्षेत्र को विश्व व्यापार संगठन के सूचना टेकनालजी समझौते के तहत शुल्क रहित प्रणाली का सामना करना पड़ेगा । पाँच वर्ष की अवधि में निर्यात की सकारात्मक दर के आधार पर निवल विदेशी मुद्रा सुविधा को हासिल कर सकेगी ।

निर्यात-आयात नीति में सभी निर्यात उत्पादों पर ईंधन लागत में रियायत दी गयी है । निर्यात उत्पादों में सबसे अधिक सात प्रतिशत रियायत टिकाऊ वस्तुओं, लौह इजीनियरिंग उत्पादों एवं फेवरिक गारमेंट्‌स पर दी गयी है ।

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