पहाड़ी स्थल की यात्रा | Visit to a Hill Station in Hindi!

1. भूमिका:

प्रकृति (Nature) ने संसार में अनेक सुंदर दृश्य बनाये हैं । मनुष्य का मन अवश्य करता है कि वह सभी सुंदर दृश्यो (Beautiful views) को अपनी आँखों से देख लें । मेरे ने पिछली गर्मी की छुट्‌टियों (Last Summer Vacation) में मसूरी जाने की योजना (Plan) बनाई ।

2. कार्यक्रम-यात्रा:

पर्यटन विभाग (Tourism Department) में जाकर पूछताछ (Enquiries) करने के बाद मेरे पिताजी ने यात्रा (Journey) की तैयारी शुरू की । यात्रा के लिए बस में अपनी सीटें आरक्षित (Reserve) करवा ली गईं और सभी जरूरी सामान के साथ हम मसूरी के लिए रवाना (Depart) हो गए ।

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बस जब देहरादून पहुँची तो ऐसा लगने लगा कि जैसे हम मसूरी पहुँच गए । बस की खिड़की से पहाड़, सफेद बादलों के टुकड़े और पहाड़ी पेड़-पौधे नजर आने लगे थे । देहरादून में कुछ समय के लिए बस से उतर कर हमने एक हरी घास के मैदान में कुछ नाश्ता किया और मसूरी के लिए हम फिर बस में सवार हो गए ।

मसूरी पहुँचने से पहले देहरादून से ही ठंड लगनी शुरू हो गई थी । हमने गर्म कपड़े निकाल लिये थे । करीब 35 किलोमीटर की चढ़ाई (Height) के बाद हम लोग मसूरी पहुँचे ।

3. दर्शनीय:

मसूरी पहुँच कर सबसे पहले हमने वहाँ के मालरोड नामक इलाके को देखा । वहीं एक पार्क में बैठकर हम लोगों ने खाना खाया और हरी घास पर लेटने का आनन्द उठाया । दूसरे दिन मौसम में कुछ और अधिक ठंडक बढ़ गई थी । होटल के अपने कमरे से बाहर निकलना हमारे लिए कष्टदायक था लेकिन बाहर निकलकर इस मौसम का आनन्द उठाने का लोभ भी हम नहीं छोड़ सकते थे ।

वर्षा की हल्की फुहार (Shower) भी पड़ रही थी । हम सभी इस अजनबी (Unfamiliar) मौसम में घूमने निकल पड़े । नेहरू पार्क, कीष्टीफॉल, कैम्बल हाइट जैसे अन्य रोचक स्थलों के भ्रमण का आनन्द उठाने के बाद हम पुन: देहरादून लौट आए ।

4. उपसंहार:

पहाड़ी स्थल की यह मेरी पहली यात्रा थी जो अत्यन्त रोमांचक (Thrilling), आनन्ददायक (Amusing) रही । गुवाहाटी लौटने तक रास्ते भर हम सभी मसूरी के मौसम और वहाँ के सौंदर्य (Beauty) की चर्चा करते रहे । यह यात्रा सचमुच अविस्मरणीय (Unforgettable) रही ।

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