पौधों पर निबंध! Here is an essay on ‘Plants’ in Hindi language.


Essay on Plants

  1. समूचे पौधे/पेड़ का अन्वेषण (Exploring the Entire Plant/Tree)
  2. पौधों की रूप-रेखा बनाना (Designing of Plants)
  3. वृक्षों की ऊंचाइयों को नापना (Measuring the Heights of Tree)
  4. पौधों में अंकुरण (Germination in Plants)
  5. वृक्षों का अवलोकन (Observation of Tree)


Essay # 1. समूचे पौधे/पेड़ का अन्वेषण (Exploring the Entire Plant/Tree):

पौधे हमारे परिवेश में सबसे अधिक अवयवों में से एक हैं । ठीक से निर्मित इमारतों में भी काई, घास व अन्य छोटे खरपतवार के रूप में हमें बहुत छोटे पौधे मिलेंगे । सजावट के लिए गमलों अथवा बर्तनों में लगाए गए पौधे हमें घर के अन्दर भी मिल सकते है । यदि कुछ ही अंतर पर हमें कुछ बड़े पेड़ न दिखाई दे तो आश्चर्य ही होगा । इसलिए पौधों के संबंध में की जाने वाली कोई भी गतिविधि उनके मानचित्रीकरण से प्रारंभ की जाए तो बेहतर होगा । सरल अर्थ में पौधों का मानचित्रीकरण उस क्षेत्र में दिखने वाले सभी पौधों का सूचीकरण होता है ।

किसी क्षेत्र के पौधों का मानचित्र बनाने हेतु निम्न का समावेश किया जाता है:

(i) देखे गए पौधों के विभिन्न प्रकार, जैसे-

वृक्ष- मजबूत तनों के साथ बड़े पौधे जो स्वतंत्र रूप से खड़े रहते हैं ।

झाड़ियां- मध्यम आकार की झाड़ियां जिनकी शाखाएं जमीन के पास होती हैं ।

जड़ी-बूटियां- नरम तने वाले पौधे जो विशिष्ट मौसम में उगते हैं । इनमें घास के वे प्रकार भी शामिल है जो किसी भी जमीन पर उगते हैं ।

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(ii) बड़े पौधों विशेषत: वृक्षों की संख्या,

(iii) वृक्षों के कितने प्रकार हैं व प्रत्येक कितनी संख्या में हैं ।

(iv) विभिन्न प्रकार के नमूने (पेड़-पौधे) कहा स्थित हैं- क्या वे अकेले हैं अथवा समूहों में,

(v) कुछ प्रमुख पौधों के नाम व उनका कैसा उपयोग होता है ।

(vi) उस क्षेत्र का मानचित्र बनाना व उसमें सबसे अधिक ध्यान खींचने वाले पौधों को अंकित करना ।

(vii) आप जहां खड़े हैं वहां से पौधे जैसे दिखते हैं, वैसी उनकी रूप-रेखा बनाना ।


Essay # 2. पौधों की रूप-रेखा बनाना (Designing of Plants):

दूर से ही पौधों को देखने से हमें उसके आकार और प्रकार के बारे में तथा उस क्षेत्र में उसके फैलाव की धारणा स्पष्ट हो जाती है । प्रत्येक पौधे के विशिष्ट लक्षण भी हमें मालूम हो जाते हैं । ऐसे लक्षण विशेषत: वृक्षों में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं और उनके द्वारा हम वृक्ष पर एक नजर डालते ही उसे पहचान लेते है । विभिन्न वृक्षों की रूप-रेखा बनाते समय हमें इन लक्षणों का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि वह एक जानकारी पत्रक व साथ ही प्रत्येक वृक्ष को पहचानने हेतु मार्गदर्शक के रूप में काम में आए ।

वितान (कैनोपि)- प्रथम प्रभाव:

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प्रथम दृष्टि में हमें वृक्ष के वितान का आकार दूर पर देखने से उसकी समस्त पत्तियों के आकार की रूप रेखा प्रभावित करती है । आम या वट वृक्ष के गोलाकार वितान से हम भली भाँति परिचित हैं । देवदार वृक्ष का वितान अण्डाकार होता है जबकि के जुराइना वृक्ष का वितान भाले की नोंक के समान त्रिभुजाकार होता है । ताड़ के वृक्षों के लंबे पतले तनों शिखा पर पंखों के समान पत्ते होते हैं । नारियल व खजूर के वृक्ष भी थोड़े फेरबदल के साथ ताड़ के वृक्षों के समान ही होते हैं ।

एक ही प्रकार के वृक्षों के वितान में स्थानीय घटकी के कारण थोड़ा अतर भी पाया जा सकता है उदाहरण के लिए किसी पहाड़ी के ढलान पर हवा के वेग से प्रभावित आम के वृक्ष का वितान गोलाकार न होकर एक तरफ से बढ़ा हुआ हो सकता है । ऐसा सतत हवा के वेग को झेलने के कारण होता है । अन्य अतर मौसम के घटकों के कारण हो सकते हैं ।

इसका उदाहरण हम पतझड़ी प्रजाति के वृक्षों में देख सकते हैं जो शुष्क (ऊष्मा या शीत) ऋतु में अपने पत्ते गिराते हैं । ऐसे वृक्षों का वितान वर्ष भर ठोस व गोलाकार दिखाई देगा लेकिन जब पत्तियां गिर जाती हैं तब केवल शाखाएं व डंडियां जो अन्दर छिपी रहती हैं, दिखाई देती हैं ।


Essay # 3. वृक्षों की ऊंचाइयों को नापना (Measuring the Heights of Tree):

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वृक्ष की ऊंचाई दूसरी वस्तु है जो हमें दूर से ही आकृष्ट करती है । हमें साधारणत: यह मालूम होता है कि कौन सा वृक्ष किस ऊंचाई तक बढ़ेगा । यह बात पूर्ण विकसित वृक्षों के बारे में सही है जिनका उर्ध्वाकार विकास लगभग थम-सा जाता है । इसलिए बढ़ते वृक्षों की रूप-रेखा बनाने अथवा उनकी वृद्धि पर नजर रखने के लिए हमें वृक्षों की ऊंचाई नापने की आवश्यकता पड़ती है ।

वृक्षों की ऊंचाई नापने के लिए हमें उन पर चढ़ने की आवश्यकता नहीं होती है जमीन पर खड़े ही वृक्षों की ऊंचाई नापने की अनेक सरल व मजेदार विधियां हैं ।

यहां सबसे सरल विधियों में से एक प्रस्तुत है:

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अपने मित्र को वृक्ष से सटकर खड़ा कीजिए । फिर आप वृक्ष से इतने अतर पर खड़े रहें जहां से आपको वृक्ष का मूल तथा शीर्ष दोनों ही बिना गर्दन हिलाए एक साथ दिखें । पारदर्शी स्केल पट्टी को एक हाथ की दूरी पर इस प्रकार रखें कि उस पर छपा शून्य का अंक आपके मित्र के पैरों पर तथा वृक्ष की जब पर रहे ।

अब स्केल पट्टी के ऊपर की ओर अपनी दृष्टि ले जाए व पट्टी की वह लंबाई पड़े जहां आपके मित्र का सिर दिखाई दे । उसे अंकित कर लें । यदि वृक्ष का शीर्ष आपके स्केल पट्टी के ऊपर निकलता है तो पीछे हटते जाए जब तक वह स्केल पट्टी के पैमाने में न आ जाए । फिर उपरोक्तानुसार आपके मित्र के सिर तथा वृक्ष के शीर्ष का मापन करें ।

फिर आप वृक्ष की ऊंचाई नीचे दिए गए सरल समीकरण की सहायता से निकाल सकते हैं:


Essay # 4. पौधों में अंकुरण (Germination in Plants):

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एक कन्द जिससे हम सबसे अधिक परिचित हैं वह है आलू । आलू को हम ध्यान से देखें तो उसके दबे हुए भागों में हमें ‘आंखें’ दिखाई देंगी । यदि हमें आलू को साधारण तापमान में अनेक दिनों तक वैसे ही रख दें तो वह सिकुड़ जायेगा व उसकी ‘आंखों’ से अंकुर आना प्रारंभ हो जाएंगे । यदि इन अंकुरो को पर्याप्त मात्रा में नमी मिल जाए तो आलू के नए पौधे उग आएंगे व उन्हें मिट्टी में रोपने पर बड़े आलू के पौधे विकसित हो जायेंगे ।

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अंकुरों को और अच्छी तरह उगाने हेतु हम निम्न क्रियाएं कर सकते हैं:

(1) आलू को ठंडे व छायादार स्थान में गीली मिट्टी पर रखें तथा उसे एक मोटी पॉलीथिन की काली चादर से ढक दें । उस स्थान में नमी बनाए रखें व समय-समय पर चादर उठाकर देखते रहें । कुछ ही दिनों में अंकुर फूटने लगेंगे । पॉलीथिन की चादर को हटा दीजिए व आलू के आस-पास मिट्टी इस प्रकार रखे कि आधा आलू ढंक जाएं । शीघ्र ही आलू का कन्द सड़ने लगेगा तथा नए पौधे जमीन में जड़ें जमाने लगेंगे यदि आप इनकी ठीक से देखभाल करें तो आपको इन पौधों से आलू प्राप्त हो सकते हैं ।

(2) केवल अंकुरण को देखने हेतु लघुकालीन गतिविधि के लिए आलू के वे भाग लीजिए जिनमें ‘आखें’ हों । यदि आप ‘आंखों’ के बारे में सुनिश्चित न हों तो आलू को 2 से.मी. × 2 से.मी. के टुकड़ों में काट लें । इन टुकड़ों को किसी कम गहरे बर्तन की तली में कपास बिछाकर उसे गीला कर इस प्रकार रखे जिससे उनकी त्वचा ऊपर की ओर हो । बर्तन को ढककर किसी अंधेरे व ठंडे स्थान पर रख दें । कुछ ही दिनों में आपको अंकुर उगते हुए दिखेंगे ।


Essay # 5. वृक्षों का अवलोकन (Observation of Tree):

जैसे-जैसे हम वृक्ष के पास जाते हैं हमें उसके वितान के और अधिक लक्षण दिखाई देते हैं । उसकी पत्तियों के प्रकार एवं उसकी शाखाओं के पैटर्न को, जो आपको स्पष्ट रूप से दिखते हैं, नोट कर लें । कुछ वृक्षों में ये विशिष्ट प्रकार के होते हैं व उनसे हम वृक्षों की पहचान कर सकते हैं ।

वृक्षों का और अधिक पास से अवलोकन:

जब हम किसी बड़े वृक्ष के एकदम पास खड़े होते हैं तब हमें उसका तना सबसे अधिक भव्य लगता है । हमें यह भी स्पष्ट हो जाता है कि विभिन्न प्रकार के वृक्षों के तनों के आकार में भिन्नता होती है तथा उस आकार का उसकी ऊंचाई से कोई संबंध नहीं रहता ।

सुपारी का वृक्ष बहुत पतला होते हुए भी नीम के वृक्ष से अधिक ऊंचा होता है जबकि नीम का तना मोटा हो सकता है । इसके बावजूद भी कुछ वृक्षों के तनों के आकार से उनकी आयु व वृद्धि-दर का अनुमान लगाया जा सकता है ।

किसी वृक्ष के तने के घेरे को समय-समय पर नापकर उसकी वृद्धि-दर को जाना जा सकता है तथा उसी प्रकार के अन्य वृक्ष जो उन्हीं परिस्थितियों में बड़ा हुआ हो, उसकी आयु का अनुमान भी इस वृद्धि-दर द्वारा लगाया जा सकता है । किन्तु इस वृद्धि-दर से अन्य वृक्षों की आयु का अनुमान नहीं लगाया जा सकता जो भिन्न मिट्टी में तथा भिन्न मौसमी परिस्थितियों में बढ़े हैं ।

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यदि किसी वृक्ष का तना मूल से काट दिया गया हो तो उसमें अंकित वृद्धि वलयों को गिनकर हम उस वृक्ष की आयु जान सकते हैं । ये वलय प्रतिवर्ष में एक होता है तथा उस वृक्ष की वृद्धि दर को भी दर्शाता है । यदि वलय चौड़े हैं तो वृद्धि की तीव्र गति होती है तथा इन वलयों की चौड़ाई में अन्तर उस वृक्ष के जीवनकाल में आए मौसमी परिवर्तनों को दर्शाते हैं । वृक्षों के वलयों को आरा मिल में लकड़ी के लट्ठों में आसानी से देखा जा सकता है तथा वहां से वलय वाली खप्पचियां भी एकत्र की जा सकती हैं ।

वृक्ष आवास के रूप में:

वृक्ष के प्रत्येक भाग का पृथक से अवलोकन करने से पूर्व हम उसे पहले समग्र रूप में देखें । वृक्ष के अन्य भागों के अलावा उस पर अनेक जीव आवास करते हुए हमें दिखेंगे । एक बड़ा व पुराना वृक्ष आवास हेतु उपयुक्त होता है । हम अनेक जीवों को वृक्षों में घोंसले बनाकर रहते हुए, आराम करते हुए अथवा भोजन की तलाश करते हुए पाएंगे ।

वृक्षों पर हम अनेक प्रकार के जीव देख सकते हैं । इनमें पक्षी व स्तनधारी जीव जैसे बंदर तथा गिलहरियां हो सकती है । धामिन (रैट स्नेक), बेल सांप (वाइन स्नेक) अथवा दुर्लभ प्रकार के अंडे खाने वाले सांप, पत्तियों पर अथवा वृक्ष की छाल में बहुत बड़ी संख्या में कीड़े-मकोड़े तथा छिपी हुई दीमक भी वृक्षों में हो सकती है ।

हो सकता है आपकी पालतू बिल्ली भी वृक्ष पर किसी शरारत करने की सोच में आपको बैठी मिले आप कुत्ते को भी वृक्ष के तने पर चढ़ते हुए, बिल्ली का पीछा करते पा सकते हैं । आप वृक्षों पर अनेक प्रकार के अन्य पौधे भी देख सकते हैं-जैसे शैवाल या काई के कुछ टुकड़े, परजीवी पौधे जो वृक्ष पर ही बढ़ते है अथवा लताएं जो वृक्ष के सहारे बढ़ती हैं । इसलिए हम इसे वास्तविक अर्थ में जीवन का वृक्ष कहते हैं ।


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