बराक ओबामा पर निबंध | Essay on Barack Obama in Hindi language.

अमेरिका एक विकसित देश है और अघोषित रूप से इसे एक महाशक्ति के तौर पर जाना जाता है । इसे विश्व का सबसे पुराना लोकतान्त्रिक देश भी माना जाता है ।  ऐसे सशक्त देश का नेतृत्व करना आसान काम नहीं है, लेकिन बराक हुसैन ओबामा ने यह बखूबी जता दिया है कि यदि आपके इरादे बड़ें हों तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता ।

बराक ओबामा अमेरिका के उन चुनिन्दा राष्ट्रपतियों में से है, जिन्हें अमेरिकी जनता ने लगातार दो बार इस पद के लिए चुना है । बराक ओबामा का पूरा नाम बराक हुसैन ओबामा है ।  इनका जन्म 4 अगस्त, 1961 को संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई प्रान्त में होनोलूलू नामक स्थान में हुआ था । इनके पिता बराक ओबामा सीनियर केन्याई मूल के थे एवं माता स्टेनली एन. डनहम अमेरिकी नागरिक थी ।

वर्ष 1963 में इनके माता-पिता का अलगाव हो गया । वर्ष 1967 में इनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली, जिसके बाद 6 से 10 वर्ष तक की अवस्था इन्होंने इण्डोनेशिया के जकार्ता नामक स्थान में अपने सौतेले पिता के संग बिताई । वर्ष 1971 में दस वर्ष की अवस्था में ओबामा होनोलूलू वापस आकर अपने नाना के साथ रहने लगे ।

अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1983 में ओबामा ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की ।  इसके बाद कुछ दिनों तक उन्होंने बिजनेस इण्टरनेशनल कॉर्पोरेशन में नौकरी की । वर्ष 1985 में बे शिकागो चले गए, जहाँ उन्होंने एक स्वयंसेवी संस्था में नौकरी की ।

वर्ष 1988 में कानून के क्षेत्र में कैरियर बनाने के सपने के साथ 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने हॉवर्ड लॉ स्कूल में प्रवेश किया, जहाँ से उन्होंने वर्ष 1991 में लॉ में स्नातक की उपाधि प्राप्त की ।  इस दौरान उन्होंने ‘ऑक्सफोर्ड लॉ रिव्यू’ का सम्पादन भी किया । हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में उनके साथ मिशेल रॉबिन्सन भी कानून की पढ़ाई कर रही थीं । पढ़ाई खत्म होने के बाद दोनों ने वर्ष 1992 में शादी कर ली ।

मिशेल से उनकी दो पुत्रियाँ हैं- मालिया एवं साशा । विवाह के पश्चात् कुछ दिनों तक ओबामा ने नागरिक अधिकारों के वकील के रूप में भी काम किया । इसके बाद वर्ष 1993 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो लॉ स्कूल में व्याख्याता के रूप में कार्य करना प्रारम्भ किया । ओबामा का राजनीतिक जीवन वर्ष 1996 में शुरू हुआ, जब पहली बार वे इलिनॉय से सीनेटर चुने गए ।

यहाँ उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने वाले राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई । ओबामा ने इस दौरान गरीबों के लिए करों में राहत और मृत्युदण्ड सम्बन्धी कानूनों में महत्वपूर्ण बदलावों के लिए काम किया । नवम्बर 2004 में उन्हें पुन: अमेरिकी सीनेट के लिए चुना गया ।

इस बार उन्होंने सरकारी खर्चो में पारदर्शिता लाने के लिए काम किया । इस कार्यकाल के दौरान वे लगातार अमेरिका की तेल पर निर्भरता को नियन्त्रण में करने के लिए भी प्रयासरत रहे । फरवरी, 2007 में ओबामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की । अगस्त, 2008 में वे डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार नामित हुए ।

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नवम्बर, 2008 में इतिहास रचते हुए ओबामा राष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले प्रथम अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के प्रथम अश्वेत अमेरिकी नागरिक बने । उन्होंने रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्केन को इस चुनाव में हराया था, जो एक युद्धबन्दी रह चुके थे और राष्ट्रपति पद के लिए दूसरी बार प्रयास कर रहे थे ।

दुनिया भर में एक नए विश्वास को पुख्ता करते हुए बराक हुसैन ओबामा ने जनवरी, 2009 में अमेरिका के वे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की । भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के योगदान को महत्त्व देते हुए अपने राष्ट्रपति पद हेतु शपथ ग्रहण करने से पहले वे उस स्थान पर गए, जहाँ से लिंकन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी ।

ओबामा के साथी सीनेटर जोसेफ बिडेन जूनियर अलास्का की गवर्नर साराह पालिन को हराकर उप-राष्ट्रपति पद पर पहुँचे । इसके अतिरिक्त ओबामा ने दोनों सदनों, हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव और सीनेट, में अपनी पार्टी की जीत में भी अगुवाई की । अमेरिकी जनता में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें लगातार दूसरी बार भी राष्ट्रपति चुना गया ।

यह एक बही उपलब्धि है । जिस समय ओबामा ने पहली बार राष्ट्रपति के रूप में व्हाइट हाउस में कदम रखा था, उस समय उनके सामने काफी चुनौतियाँ थीं, लेकिन जिस तरह उन्होंने उनका सामना कर अमेरिका को एक बार फिर से खड़ा किया है, वह निश्चय ही प्रशंसा के योग्य है ।

अमेरिकी जनता ने उनका चुनाव एक बड़े बदलाव की आशा से किया था । आज, जब उनके दो कार्यकाल लगभग पूरे होने वाले हैं, तो कहा जा सकता है कि उन्होंने काफी हद तक जनता की आशाओं और उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की । ओबामा को प्रगति एवं शान्ति के मसीहा के तौर पर देखा जाता है ।

उन्होंने विश्व-शान्ति के अपने प्रथम प्रयास के तौर पर फरवरी, 2009 में इराक और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना हटाने का फैसला किया ।  इसके बाद उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मन्दी से उबारने के लिए 787 अरब डॉलर के आर्थिक प्रोत्साहन की घोषणा की ।

उन्हीं के कार्यकाल में 8 अप्रैल, 2010 को प्राग में रूस और अमेरिका के बीच रणनीतिक परमाणु आक्रामक हथियारों को सीमित करने सम्बन्धी नई सन्धि पर हस्ताक्षर हुए । नि:शस्त्रीकरण के क्षेत्र में उठाए गए इस कदम से यूरो-अटलाण्टिक क्षेत्र तथा पूरे विश्व की सुरक्षा पर सकारात्मक अभाव पड़ेगा ।

अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने घोषणा की कि उनका देश अपनी नई परमाणु रणनीति में ‘शीत युद्ध’ की पुरानी धारणा को कोई जगह नहीं देगा और अपने परमाणु हथियारों की संख्या कम करेगा । ओबामा के विश्व शान्ति हेतु किए गए प्रयासों को देखते हुए उन्हें वर्ष 2009 के नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

पुरस्कार घोषणा के बाद नोबेल समिति के निर्णायक मण्डल ने कहा या कि बराक ओबामा को यह पुरस्कार अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति में उनके महत्वपूर्ण गम्भीर प्रयास एवं उनके नाभिकीय असैन्यीकरण के लिए किए गए विशेष प्रयत्न के लिए प्रदान किया गया है ।

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उन्होंने मुस्लिम जगत के साथ बेहतर सम्बन्ध स्थापित करने, वैश्विक तापमान नियन्त्रण के लिए गम्भीर प्रयास इजराइल फिलिस्तीन के नेताओं को आपसी वार्ता के लिए सहमत करने तथा ईरान, उत्तर कोरिया एवं म्यांमार जैसे परम्परागत अमेरिका विरोधी राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक संलग्नता के नए अध्याय को आरम्भ करने जैसे कार्य किए हैं ।

नोबेल शान्ति पुरस्कार पाने बाले ओबामा चौथे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं । इनसे पहले तीन अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों जिमी कार्टर (2002), वुडरो विल्सन (1919) एवं थियोडोर रूजवेल्ट (1906) को भी नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।

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ओबामा ने एक कुशल राजनेता की तरह अपने देश की आन्तरिक समस्याओं, जैसे- मन्दी, बेरोजगारी आदि को दूर करने में सकारात्मक भूमिका निभाई है तथा साथ ही अन्तर्राष्ट्ररीय महत्व के विषयों, जैसे- आतंकवाद, पर्यावरण सुरक्षा, अन्तर्राष्ट्रीय-विवाद आदि पर भी अपना ध्यान केन्द्रित किया है ।

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11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के मुख्य आरोपी और अल-कायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में एक गुप्त सैन्य कार्रवाई के दौरान मार गिराकर ओबामा ने यह सन्देश दिया है कि आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए वह पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं ।

इस समय कई देशों में उभर रहे इस्लामिक आतंकवाद की भी वह घोर निन्दा करते हैं । उम्मीद है कि आने वाले समय में वह इस्लामिक स्टेट और बगदादी जैसे नवीन आतंकवादी संगठनों को भी हाशिए पर ले आएंगे ।

बात अगर भारत-अमेरिका सम्बन्धों की करें तो निश्चय ही कहा जा सकता है कि ओबामा के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों की दूरियाँ स्वाभाविक रूप से कम हुईं । यद्यपि शीत युद्ध के दौरान भारत ने स्वयं को गुटनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया था, परन्तु रूस का घनिष्ठ मित्र होने के कारण भारत को रूस के खेमे का ही माना गया ।

इसीलिए अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिण्टन के भारत दौरे के दौरान दोनों देश एक-दूसरे के थोड़े करीब जरूर आए थे, परन्तु फिर भी दोनों के मध्य काफी दूरियां थीं । राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वर्तमान परिदृश्य में भारत की भूमिका की अनिवार्यता और महत्ता समझते हुए कूटनीति स्तर पर भारत को अहमियत दी है । बराक ओबामा एकमात्र ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में दो बार भारत का दौरा किया है ।

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नवम्बर, 2010 में अपनी पहली ऐतिहासिक भारत-यात्रा के दौरान औपचारिक निजी वार्ताओं और सार्वजनिक भाषणों में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका तथा भारत की वैश्विक साझेदारी को लेकर एक नया दृष्टिकोण रखा । यह दृष्टिकोण इस विश्वास पर आधारित है कि अमेरिका और भारत के हितों की बेहतरी आपसी साझेदारी में निहित है ।

उन्होंने कहा है कि भारत उभरता हुआ नहीं, बल्कि उभर चुका देश है । वे मानते है कि भविष्य में भारत के सामने अनेक चुनौतियाँ खड़ी होगी, लेकिन उन्हें यह भी भरोसा है कि 21वीं सदी में उसके पास कई अवसर भी होंगे ।

हाल ही में, 26 जनवरी 2015 को भारत के गणतन्त्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होकर उन्होंने भारत के साथ सम्बन्ध सुदृढ़ करने की एक और सार्थक पहल की है । उनका यह भारत दौरा राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण था ।

इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति होने के नाते अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुए लम्बे समय से अटके हुए भारत-अमेरिकी असैन्य परमाणु समझौते पर भी हस्ताक्षर किए । ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण से भारत के लिए यह समझौता बहुत महत्वपूर्ण है ।

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इस दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत और अमेरिका को एक-दूसरे का स्वाभाविक साथी बताया और भविष्य में और भी अधिक सहयोग बढ़ाने का विश्वास दिलाया । वैयक्तिक रूप से भी ओबामा का व्यक्तित्व अत्यन्त प्रभावशाली है । वह हमेशा अपने चुस्त-दुरुस्त व्यक्तित्व से युवाओं को भी मात देते नजर आते हैं ।

यही कारण है कि आज वह दुनियाभर के करोड़ों युवाओं के आदर्श हैं । वह जहाँ भी जाते हैं उनका शानदार स्वागत किया जाता है ।  वह दुनियाभर में न सिर्फ एक राजनयिक ही नहीं, बल्कि एक अच्छे वक्ता, विचारक और उदारवादी शख्स के रूप में भी प्रसिद्ध हैं । ओबामा की सोच को निर्मित करने में उनके अश्वेत होने से उपजे अनुभवों का बड़ा योगदान रहा है ।

उन्होंने दो किताबें भी लिखी हैं । उनकी पहली पुस्तक ‘ड्रीम्स क्रम माई फादर : ए स्टोरी ऑफ रेस एण्ड इनहेरिटैन्स’ है, जिसमें उन्होंने अपने बचपन, युवावस्था और केन्या से अपनी जड़ों तथा अपनी विभिन्न नौकरियों के बारे में लिखा है ।

उनकी दूसरी पुस्तक है- ‘द ऑडेसिटी ऑफ होप’, जो वर्ष 2006 में प्रकाशित हुई थी । यह उनकी बेस्टसेलर पुस्तक थी । बराक ओबामा ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद शिकागो के ग्रीन पार्क में हजारों समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कहा था- ”अमेरिका में परिवर्तन प्रारम्भ हो गया है ।”

वास्तव में ओबामा अमेरिका में परिवर्तन के प्रतीक बन गए हैं । उनके साथ अमेरिका ने एक नए युग में प्रवेश किया है, जिससे अमेरिका समेत पूरी दुनिया को लाभ हुआ है । निश्चय ही भविष्य में उनके कार्यकाल को एक लम्बे समय तक सकारात्मक अर्थों में याद किया जाएगा ।

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