ADVERTISEMENTS:

महानगर का जीवन पर निबन्ध | Essay on Life in a City in Hindi!

ईश्वर ने केवल गाँव बनाया था जबकि मानव ने नगर का निर्माण किया । मानव प्रारम्भ के दिनों में ग्रामवासी ही था किन्तु मानव की आवश्यकताओं और स्वयं को विकसित करने की जिज्ञासा ने शहर को जन्म दिया । आज भी भारत की सत्तर प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गाँवों में रहती है ।

भारत के गाँव छोटे होते हैं । न वहाँ बिजली होती है और न जीवन की अन्य सुविधाएँ । सांझ होते ही सारा गाँव अंधेरे की चादर ओड़ लेता है । सभी कार्य ठप्प हो जाते हैं । कोई घर से बाहर नहीं निकल पाता ।

गाँवों में रहने वाले ऐसे लोगों के लिए महानगर का जीवन बहुत आकर्षक होता है । वास्तव में, नगर का जन्म गाँव वासियों के नगर की ओर पलायन से ही सम्भव हुआ । सायं होते ही महानगर बिजली के बड़े-बड़े बल्बों की रोशनी में चमकने लगता है । दूर से यह अलकापुरी प्रतीत होता है । लगता है महानगर के लोग सोते नहीं है । सारी रात जीवन चलता रहता है ।

महानगर में सुख की सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं । महानगर में रोजगार की सुविधाएँ मिलती हैं । यहाँ बड़े-बड़े कार्यालय होते हैं जहाँ व्यक्ति अपनी योग्यता अनुसार अधिकारी, क्लर्क अथवा चपरासी बन कर अपना तथा अपने परिवार का पेट पाल सकता है ।

हजारों और लाखों लोग दुकानें तथा दूसरे धन्धे करते हैं जिनके पास पूँजी नहीं होती और जो दुकान किराये पर नहीं ले सकते वे रेहड़ी किराये पर लेकर थोड़ी सी पूँजी से अपने बच्चों का पेट पाल लेते हैं तभी तो हर वर्ष लाखों की संख्या में गाँव के लोग शहर की ओर पलायन कर जाते हैं ।

महानगर में बहुत से कार्यालय होते हैं । ये विशाल, भव्य तथा बहुमंजिले भवनों में स्थित होते हैं । इन भवनों में हजारों की संख्या में कर्मचारी बैठ सकते हैं । शाम को जब कार्यालयों में छुट्टी होती है तो कार, स्कूटर तथा पैदल चलने वालों का, सड़क पर समुद्र दिखाई देता है ।

महानगर विद्या प्राप्त करने के साधन प्राप्त कराता है । यहाँ कई स्कूल तथा कॉलेज होते हैं । दिल्ली जैसे महानगर में कई विश्वविद्यालय हैं । इसके अतिरिक्त मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेज हैं । कोई अपने सामर्थ्य तथा प्रतिभा के अनुसार कुछ भी बन सकता है ।

ADVERTISEMENTS:

ADVERTISEMENTS:

महानगर में बड़े-बड़े उद्योग तथा व्यवसाय के केन्द्र होते हैं । यहाँ हर वर्ष करोड़ों का व्यापार होता है । यह क्षेत्र की राजनीति का केन्द्र भी होता है । बड़े-बड़े नेता यहाँ प्राय: आते ही रहते हैं । महानगर लोगों को हर प्रकार का मनोरंजन उपलब्ध कराता है । यहाँ बड़ी संख्या में सिनेमा गृह, रेस्तरां तथा क्लब होते हैं । सिनेमा गृह के बाहर सुबह से लेकर आधी रात तक लोगों की भीड़ लगी रहती है । महानगर की शोभा चौड़ी-चौड़ी सड़कों तथा हरे- भरे उद्यानों को देखने से बनती है ।

जीवन में अन्य कई प्रकार की चीजें होती हैं जिनकी समय – समय पर आवश्यकता पड़ती है । गाँव में यदि कोई बीमार पद जाए तो मुसीबत हो जाती है । वहाँ डाक्टर तथा हकीम आदि नहीं मिलते । महानगर में बड़े अस्पताल होते हैं और प्राइवेट डॉक्टरों की भी भरमार रहती है ।

महानगर में बैंक, डाकखाना तथा टेलीफोन की सुविधा भी रहती है । महानगर में फल और सब्जियाँ भारी मात्रा में तथा सस्ती मिलती हैं । महानगर में हर कोई अपनी वस्तु लाकर बेचना चाहता है । महानगर का जीवन तेज और तनावपूर्ण होता है ।

लोगों को काम धन्धे के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है । रहने के लिए मकान बहुत महँगे मिलते हैं । महानगर में जलवायु से लेकर घी-दूध तक कुछ भी शुद्ध नहीं होता । बड़ी संख्या में वाहन तथा कल-कारखाने से निकला धुआं पर्यावरण को दूषित कर देता है जो परस्पर प्यार, सौहार्द्र और सहयोग गांव में देखने को मिलता है ।

वह महानगर में नहीं मिलता । महानगर में व्यक्ति आत्म-केन्द्रित होता है । महानगर में एक ओर से भाँति – भाँति के लोग आ जाते हैं । परिणामस्वरूप वहाँ हर तरह के अपराध भी होते रहते हैं ।

Home››Essays››