महावीर जयंती पर निबन्ध | Essay on Birth Anniversary of Mahavir in Hindi!

1. भूमिका:

भारत महापुरुषों और देवी-देवताओं का देश कहा जाता है । इसी देश की भूमि पर देवी-देवताओं ने अवतार (Incarnation) लेकर महान कार्य किये और ऋषि-मुनियों (Saints) ने ज्ञान की गंगा बहायी । हम उन्हें तथा उनके महान कार्यों को याद करने के लिए हर वर्ष उनके जन्मदिवस भी मनाते हैं ।

उनमें से एक अवतारी परमपुरुष हैं भगवान महावीर, जिनका अवतार इस देश की पवित्र भूमि पर हुआ मनुष्य के मन से बुरे विचार दूर कर उस प्रत्येक जड़-चेतन (Nonliving and living) का कल्याण करने लायक बनाने के लिए ।

2. इतिहास:

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मानव को दया और अहिंसा (Non-Violence) तथा मन की पवित्रता की शिक्षा देने वाले महावीर का जन्म बिहार के वैशाली राज्य के राजपरिवार में हुआ था किन्तु बचपन से ही राज-कार्य या धन-सम्पत्ति आदि के प्रति उनके मन में कोई आकर्षण नहीं था ।

ध्यान ता में लीन हो गए थे और ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्होंने जैन धर्म का प्रचार आरम्भ किया । उन्हीं भगवान महावीर के जन्म दिन को महावीर जयन्ती के रूप में (सामान्यत: अप्रैल के महीने में प्रतिवर्ष) याद किया जाता है ।

3. आयोजन:

महावीर जयन्ती का पर्व बड़ी धूमधाम और उल्लास से मनाया जाता है । पर्व के कई दिनों पहले से ही पूजा-पाठ की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं । श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों प्रकार के जैन मंदिरों को खूब सजाया जाता है किन्तु सादगी (Simplicity) और पवित्रता (Purity) का ध्यान रखा जाता है ।

जैन धर्म के नाम से चलने वाले स्कूलों में भी जैन मंदिरों के समान ही वातावरण (Environment) बन जाता है । पूजा-पाठ तथा तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम (Culture programmes) प्रस्तुत किये जाते हैं । स्कूल के विद्यार्थी तथा स्त्री-पुरुष भक्ति-भाव से महावीर स्वामी की जय-जयकार करते हुए कहीं-कहीं जुलूस (Procession) भी निकालते हैं । शोभा-यात्राओं में जैन साधु-संत सम्मिलित होते हैं । पूरे देश में इस दिन सार्वजनिक छुट्‌टी (Public Holiday) रहती है ।

4. उपसंहार:

महावीर जयन्ती केवल एक पर्व या उत्सव ही नहीं बल्कि सत्य, सादगी, अहिंसा और पवित्रता का प्रतीक (Symbol) है । इस पर्व से हमें हर वर्ष यह प्रेरणा (Inspiration) देने का प्रयत्न किया जाता है कि हमें अपने जीवन में झूठ, कपट, लोभ-लालच और दिखावे से दूर रखना चाहिए तथा सच्चा, शुद्ध और परोपकारी जीवन जीना चाहिए त भी अपना और इस संसार का कल्याण संभव है ।

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