सरस्वती पूजा समारोह पर अनुच्छेद | Paragraph on Saraswati Puja in Hindi

प्रस्तावना:

सरस्वती पूजा एक ऐसा पर्व है, जो अन्य अनेक पर्वों के साथ संसार के सभी हिन्दू बड़े समारोहपूर्वक मनाते हैं । यह समारोह ज्ञान की देवी सरस्वती के सम्मान में मनाया जाता है ।

समारोह कब मनाया जाता है ?

सरस्वती पूजा का मुख्य समारोह वसन्त पंचमी के दिन मनाया जाता है । इसे श्री पंचमी या वसन्त पंचमी उत्सव के नाम से भी जाना जाता है । कहीं-कहीं यह उत्सव बड़ी लम्बी अवधि तक मनाया जाता है । यह माघ मास से प्रारभ होकर पगस्युन मास की समाप्ति तक चलता है ।

समारोह का जन्म:

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ऐसा लगता है कि सरस्वती पूजा समारोह का सबध प्राचीन काल के कौमुदी उत्सव तथा वसन्त उत्सव से है । वसन्तोत्सव सरस्वती पूजा के दिन से ही प्रारभ होता है । उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर यह उत्सव फास्युन मास के मध्य से प्रारंभ होकर पद्रह दिन तक चलता है और चैत्र पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है । इस उत्सव को मनाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं दीखता । भारतवासियों का जीवन बडा सीधा-सादा होता है । उन्हें जीवन में शानो-शौकत के अवसर बहुत कम मिल पाते हैं ।

अत: जब भी कोई अवसर मिल जाये, वे उसे उल्लास से मनाकर जीवन की कमी पूरी कर लेते हैं । सर्दियों की समाप्ति पर किसानों के पास विशेष काम नहीं रहता । उनकी खड़ी फसलें लहलहाने लगती है । सभवत: इसीलिए वे देवी-देवताओं की पूजा करके उनका आभार प्रकट करते है । यह वसन्त आगमन के हर्ष का द्योतक भी है ।

समारोह की विशेषताएं:

सरस्वती पूजा समारोह स्कूलों और कॉलेजों मे बडे उत्साह से मनाया जाता है । देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करके बड़ी श्रद्धा से उनकी पूजा की जाती है । वसन्त आगमन पर उसके स्वागत के लिए लोग पीले वस्त्र पहनते हैं । लड़कियों और स्त्रियाँ तथा छोटे बच्चे पीले कपड़ों में बड़े सुन्दर दीखते हैं । इस दिन पढ़ने-लिखने का कोई काम नहीं किया जाता । लोग सवेरे से उपवास करते है ।

नहा-धोकर सभी मिलकर सरस्वती पूजन करते हैं और पूजा के बाद भोजन करते हैं । इस दिन पीले केसर के चावल व खीर विशेष रूप से बनाई जाती है । इस दिन शाम के समय पीली पतंगे उड़ाई जाती हैं । पीली पतंगों से आकाश भर जाता है । बहुत से लोग दाँव लगाकर पतंगबाजी करते हैं ओर अपने जौहर दिखाते हैं ।

उपसंहार:

आज भी बहुत-से लोग बच्चों से इस दिन पट्टी पुजवा कर अगले दिन से उन्हें स्कूल में प्रवेश कराते हैं । उनका विश्वास है किए सरस्वती पूजन के बाद उनके स्कूल जाने से बच्चा जल्दी पढ़ जायेगा ।

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