दीपावली | Diwali in Hindi!

हिन्दुओं का महान् संस्कृति का सुन्दर प्रतीक है दीपावली । दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति । प्राचीन काल से मानव इस त्यौहार को मनाता आया है और मना रहा है । दीपावली पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है ।

अमावस्या की गहन अन्धेरी रात को दीपों की पंक्तियां पूर्णिमा की रात में बदल देती हैं । दीपावली के प्रकाश के समक्ष आकाश में चमकते तारे भी प्रकाशहीन से लगते हैं । दीपावली के इस पर्व का सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से है । कहा जाता है कि इस दिन श्रीराम अपनी जन्मभूमि आयोध्या वापिस लौटे थे । अयोध्यावासियों ने दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था ।

तभी से सभी हिन्दू और इसके अतिरिक्त अन्य जातियाँ भी अपने घरों मैं दीपमाला करते हैं और दीपावली के त्योहार को मनाते हैं । इसी दिन तीर्थकर महावीर स्वामी, आर्य समाज के प्रवर्त्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती, महान् वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ एवं भूदान आन्दोलन के प्रवर्त्तक आचार्य विनोबा भावे का स्वर्गवास हुआ था ।

सिक्खों के छठे गुरू श्री हरगोविन्द सिंह जी इसी दिन ग्वालियर किले की कैद से मुका होकर अमृतसर पहुँचे थे । दीपावली का पर्व आने से पूर्व और आने के बाद त्योहारों को लेकर आता है । दीपावली से दो दिन पूर्व ‘धनत्रयोदशी’ होती है । इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है । धनत्रयोदशी के अगले दिन नरक चतुर्थी या छोटी दीवाली होती है ।

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था । इसी दिन भगवान नृसिंह ने प्रह्‌लाद की रक्षा और हिरण्यकश्यप का वध किया था । इसके बाद अमावस्या को दीपावली होती है । इसी दिन लक्ष्मी जी समुद्र मन्थन से प्रकट हुई थीं । इसीलिए घरों में दीपक जलाए जाते हैं और धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी की पूजा होती है । चौथे दिन ‘गोवर्धन पूजा’ होती है ।

इस दिन श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को अतिवृष्टि से बचाकर इन्द्र के अभिमान को चूर कर दिया । पांचवे दिन ‘भैया दूज’ का त्यौहार होता है । इस दिन बहनें भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके लिए मंगल कामना करती है और भाई बहनों को उपहार इत्यादि देते हैं ।

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दीवाली से पूर्व ही तैयारियां भी बहुत रोचक होती हैं । लोग वीस दिन पहले से ही अपने घरों की सफाई शुरू कर देते हैं । घरों में रंग-रोगन का काम शुरू हो जाता है । खिड़कियों और घरों के फर्नीचर को साफ किया जाता है ।

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मित्रों को ‘ग्रीटिंग कार्ड्स’ भेजे जाते हैं । लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है । लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को खरीदकर अपने घर के मन्दिरों में स्थापित किया जाता है । वैदिक मन्त्रोच्चारण, यज्ञ, हवन के साथ पूजन समाप्त होता है ।

दीवाली के दिन लोग घरों में छोटे-छोटे मिट्‌टी के दीपकों में तेल भरकर जलाते हैं । मोमबत्तियों और विद्युत चालित बल्बों से घरों में प्रकाश किया जाता है । छोटे बच्चे पटाखे, बम, फुलझड़ियों, अनार, चक्करी आदि छोड़ते हैं । लोग अपने मित्रों के घर मिठाई, मेवे फल आदि भिजवाते हैं ।

इस दिन दुकानें भी दुल्हन की तरह सजी होती हैं । मिठाई वालों और अन्य दुकानदारों को इस दिन का विशेष रूप से इन्तजार रहता हैं, क्योंकि साल भर की कमाई वह एक दिन में कर लेते हैं । यह त्योहार आपसी कटुता का अन्त और जीवन में प्रेम का संचार करता है ।

कुछ लोग शराब पीकर जुआ खेलकर अपनी खुशियाँ मनाते हैं । यह बुरी आदत है जो जीवन को पतन की ओर ले जाती है । दीपावली का पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमारा अतीत कितना महान् था । जब हम दीये के प्रकाश में अमावस्या की काली रात को पूर्णिमा की रात में बदल सकते हैं, तो अपने ही ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान के तिमिर (अन्धकार) को भी नष्ट कर सकते हैं । इसलिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाए- ”तमसो मा ज्योतिर्गमय ।”

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