Hindi Story on a Selfish Dove!

स्वार्थी फाख्ता |

एक बार एक फाख्ता किसी बहेलिए के जाल में फंस गई । वह फड़फड़ाई और जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, परंतु सफल नहीं हो सकी । वह तरह-तरह की कल्पनाएं करने लगी । सबसे अधिक भयंकर कल्पना जो वह कर सकी, वह थी कि बहेलिया उसे जान से मार देगा ।

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यह सोचकर वह बहुत उदास हो गई । तभी उसने देखा कि बहेलिया उसकी ओर आ रहा था । वह भय से कांपने लगी । डर के मारे उसका बुरा हाल हो रहा था । जब बहेलिए ने उसे जाल से निकालकर अपने हाथ में लिया तो वह बोली : ”ओ बहेलिए ! मैं एक मासूम पक्षी हूँ ।

मैं किसी को हानि नहीं पहुंचाती, कृपया मुझे छोड़ दो ।” बहेलिया उसे टकटकी लगाकर देखने लगा । दरअसल वह इतनी मासूम थी कि उसका अहित करने का खयाल भी बहेलिए के मन में न था और मन ही मन वह सोच रहा था कि इस मासूम फाख्ता को छोड़ देना चाहिए ।

जब बहेलिए ने उसकी बात का उत्तर नहीं दिया तो वह दोबारा बोली : ”श्रीमान ! आप मुझ पर दया करें, बदले में मैं भी आपका फायदा कराऊंगी । यदि आप मुझे छोड़ देंगे तो मैं वादा करती हूं कि मैं सैकड़ों फाख्ता बुलाकर आपके जाल में फैसवा दूंगी ।” यह सुनकर वह बहेलिया गुस्से से लाल-पीला हो उठा ।

कहां तो वह उसे मासूम समझकर छोड़ना चाहता था और कहां उसकी ऐसी स्वार्थपूर्ण बात सुनकर वह क्रोधित होकर बोला: ”अब तुम्हारे छोड दिए जाने की आशा बहुत कम है । जो अपनी जान बचाने के लिए अपने सगे-संबंधियों की जान खतरे में डाल सकता है, वह दया का पात्र नहीं है ।” बहेलिया फाख्ता घर ले आया और उसका भोजन बना कर खा गया ।

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निष्कर्ष: दूसरों की जान सांसत में डालकर अपना बचाव करना नीचता है ।

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