Hindi Story on Best Medicine for Anger (With Picture)!

गुस्से की शर्तिया दवा |

एक स्त्री थी । उसे बहुत गुस्सा आता था । जरा-सी कोई बात होती कि उसका पारा चढ़ जाता और वह कहनी-अनकहनी सब तरह की बातें कह डालती । उसके इस स्वभाव से सारा घर और सारा मोहल्ला परेशान था । लोग उससे बातें करने से भी घबराते थे ।

वह भी अपनी इस आदत से बहुत परेशान रहती थी । जब उसका गुस्सा उतरता था तो उसे बड़ा पछतावा होता था, लेकिन फिर भी वह अपनी आदत से लाचार थी ।एक दिन एक साधु उस स्त्री के घर आया । स्त्री ने साधु से कहा : ”महाराज, मैं बहुत ही दुखी हूं । मुझे बहुत गुस्सा आता है । मैं उस पर काबू नहीं कर पाती ।

साधु ने कहा-कोई बात नहीं । मेरे पास गुस्से को दूर करने की बहुत अच्छी दवा है । कल मैं आऊंगा तो साथ लेता आऊंगा ।” अगले दिन साधु आया तो एक शीशी में दवा लेता आया । उसने स्त्री को दवा देते हुए कहा : ”इस दवा को इसी शीशी से पीया जाता है ।

जब तुम्हें गुस्सा आए, तो इस शीशी को मुंह में लगाकर उस समय तक दवा पीती रहना जब तक कि गुस्सा दूर न हो जाए । मैं सात दिन बाद फिर आऊंगा ।” इतना कहकर साधु चला गया । स्त्री ने उसकी दवा का प्रयोग शुरू किया । जैसे ही उसे गुस्सा आता तो वह शीशी को अपने मुंह से लगा लेती ।

सात दिन बाद जब साधु आया तो स्त्री उसके पैरों में गिर पड़ी । बोली : ”महाराज, आपने मुझे बचा लिया । ऐसी शर्तिया दवा दी कि मेरा गुस्सा जाने कहां चला गया । कृपा करके इतना बता दीजिए कि आपने कौन सी दवा दी थी ?”

साधु ने हंसकर कहा : ”पगली ! शीशी में कुछ नहीं था । पानी था । शीशी के मुह में आ जाने से तुम बोल नहीं सकती थी और गुस्सा दूर करने कईहा शर्तिया दवा मुंह बंद कर लेना है ।”

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