Hindi Story on ‘Courage’ (With Picture)!

जोड़ हौसला

बात उस समय की है जब भारतस्वतंत्र नहीं हुआ था । एक बालक था । उसके अंदर देश-भक्ति कूट-कूटकर भरी थी । वह उन लोगों की बराबर मदद करता था, जो आजादी के दीवाने थे और गुलामी की जंजीरें तोड़ने के लिए जी-जान से जुटे थे ।

उसकी माँ ने अपने बेटे को देश-भक्ति के रग में रंगेदेखा तो उसे बड़ी खुशी हुई, साथ ही उसके मन में यह डर भी हुआ कि कहीं वह पुलिस के हाथ में पड़ जाने पर घबरा न जाए और उन लोगों के नाम-पते न बता दे, जो छिपकर काम कर रहे थे ।

एक दिन मा ने लड़के को अपना डर बताया तो उसने बड़ी दृढ़ता से कहा : ‘मां, तुम बेफिक्र रहो । मैं घबराऊंगा नहीं ।’ बालक फिर भी बालक था । मां को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ, बोली “ में तेरा इम्तहान लूंगी ।”  इसके बाद मां ने एक दीया जलाया और कहा: ‘इस पर अपनी उंगली रख दे ।’

लड़का एक क्षण भीनहीं झिझका । उसने फौरन अपनी उंगली बत्ती की लौ के ऊपर कर दी । उंगली जलती रही, पर उस लड़के के मुंह से उफू तक नहीं निकली । वह बराबर मुस्कराता रहा ।

बालक का हौसला देखकर मा का जी भर आया । उसने उसे सीने से लगा लिया और दिल खोलकर आशीर्वाद दिया । लड़का अपने काम में दूने उत्साह से जुट गया । यही लड़का अशफाक्या आगेचलकर भारतका महानक्रांतिकारीबना ।

हंसतेहुए वहगाता था:  ‘हे मातृभूमिकि, तेरी सेवा किया करूंगा । फांसी मिले मुझे या हो जन्म-कैद मेरी बंशी बजा-बजाकर तेरा भजन करूंगा ।जब काकोरी षड्‌यंत्र केअपराध में अशफाकुल्ला को फांसी की सजा मिली और उसके गले में रस्सी का फदा डाला गया, तब वे ऐसे प्रसन्न थे मानो उनके जीवन की सबसे बड़ी इच्छा पूरी हो गई हो ।

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