वीं सदी का क्षारत पर निबन्ध | Essay on 21st Century’s India in Hindi!

भारत दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा देश तथा एशिया के महान राष्ट्रों में से एक है । स्वतन्त्रता प्राप्ति के चार दशकों के बाद भी इस विशाल देश की अधिकांश जनता अशिक्षित है । यहां पर धर्मान्धता और अंधविश्वास का बोलबाला है जो सामाजिक प्रगति में बाधक बना हुआ है ।

कर्म ही वस्तुत: आज प्रगति की गारन्टी है । इसीलिए युवा वर्ग ने कर्म की डोर को पकड़ कर राष्ट्र को उन्नत करने का संकल्प उठाया है । तभी हम इक्कीसवीं सदी में प्रगतिशील राष्ट्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकेंगे ।

इक्कीसवीं सदी के आगमन में अभी एक दशक शेष है । इस बीच देश क्या करवट ले, इसका अनुमान लगाना असम्भव है । कर्मठ जननायक ने देश की बागडोर संभाली है । भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है । नई दिशा देने का प्रयास किया जा रहा है । फिर देशवासी इन दो प्रकार की विचारधाराओं में विभजित हैं – 1.

निराशावादी विचारधारा और 2. आशावादी विचारधारा । निराशावादीयों का कथन है कि भारत 21वीं सदी में अपना अस्तित्व खो देगा । सभी राज्य देश बन जायेंगे । बेकारी विकराल रूप धारण कर लेगी और सर्वत्र भ्रष्टाचार की तुती बोलेगी । शत्रु राष्ट्रों के अलावा भारत को सबसे बड़ा खतरा षड्‌यंत्रकारी शक्तियों से होगा । साम्प्रदायिकता खुलकर होली खेलेगी । धूर्त एवं भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का बोलबाला रहेगा । कानून और व्यवस्था ताक पर रख दी जाएगी ।

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आशावादियों का कथन है कि हमारा राष्ट्र प्रभुत्व की चरम सीमा पर होगा । शत्रु राष्ट्र उसके समक्ष घुटने टेक देंगे । हम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप में अधिक समृद्ध होंगे । मामाजिक कुरीतियाँ मिट जायेंगी । बेकारी का समाधान हो जाएगा । गरीवी का अन्त हो जाएगा । घर-घर में ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित होगी ।

हर एक को आवश्यक वस्तुएँ उचित दामों में प्राप्त होगी । रोटी, कपड़ा और मकान की हर एक को सुविधा रहेगी । कृषि प्रधान देश में कृषि आधुनिक व समृद्ध तकनीकी पर निर्भर रहेगी । इससे उत्पादन बढ़ेगा और देश में खुशहाली आएगी । घर-घर को बिजली मिलेगी । गाँवों में कच्चे घरों के स्थान पर पक्के मकान होंगे । स्वास्थ्य केन्द्र होंगे । सर्वत्र सुख-शान्ति का साम्राज्य हल छा जाएगा ।

21वीं सदी कम्प्यूटर युग से जानी जाएगी । घर-घर में कम्प्यूटर पहुँच जाएगा । यह जीवन की बागडोर हर क्षेत्र में सम्भाल लेगा । नगरों में ही नहीं ग्रामों में इनका सफल प्रयोग होगा । इससे मानव जाति और सुखमय बन जाएगी । देश में खुशहाली के आते ही साम्प्रदायिकता और धार्मिक संकीर्णता अंतिम सांसें लेने लग जाएगी ।

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श्रेष्ठ साहित्य का प्रचार बढ़ेगा जो मन, बुद्धि और काया को स्वस्थ रखने में सहयोग देगा । दवाओं के क्षेत्र में नए ज्ञान से घातक एवं असाध्य रोगों से देशवासियों को मुक्ति मिल जाएगी । देश का प्रत्येक नागरिक उत्तम स्वास्थ्य का स्वामी होगा । विज्ञान में हम अग्रणी हो जायेंगे ।

सम्पूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति को अपनाकर पीड़ित मानवता को सुख और शान्ति प्रदान करेगा तथा एक परिवार जैसा बन जाएगा । हमारे नए प्रधानमन्त्री देश को ऐसी दिशा देंगे जो सम्पूर्ण विश्व के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी ।

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