भारतीय किसान पर निबंध | Essay on Indian Farmer in Hindi!

भारत किसानों का देश है । हमारे देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है अथवा दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसानों पर देश की अर्थव्यवस्था की प्रमुख जिम्मेदारी है ।

परंतु यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश के अधिकांश किसान निर्धनता का जीवन व्यतीत कर रहे हैं । समय के बदलाव के साथ उनकी स्थिति में विशेष बदलाव नहीं आया है । देश की जनसंख्या का तीन-चौथाई भाग गाँवों में निवास करता है । इन ग्रामवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि ही है ।

हमारे देश के अधिकांश कृषक निर्धन व अशिक्षित हैं जिसके फलस्वरूप वे समय के साथ अपनी स्थिति में परिवर्तन लाने में असमर्थ रहे हैं । भारतीय किसान आमतौर पर सादा वस्त्र पहनता है तथा एक ऐसे वातावरण में जीवन-यापन करता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं हैं, जैसे कि उनके घरों में उचित रोशनदान की व्यवस्था का न होना अथवा घर व परिवेश में उपयुक्त साफ-सफाई का न होना आदि ।

हालाँकि कार्यावधि में प्रकृति से उसका निकट का संबंध रहता है । गरमी, सरदी और वर्षा ऋतु में मस्त हवाएँ, खुली धूप, फसलों के फूलों से उठने वाली महक, सौंधी मिट्टी तथा ऐसी कई आनंददायक अनुभूतियाँ उसके साथ अठखेलियाँ करती रहती हैं ।

भारतीय कृषक प्राय: सरल स्वभाव के होते हैं । इनमें परिश्रम की प्रवृत्ति कूट-कूट कर भरी होती है । सहनशीलता का गुण इनमें इतना प्रगाढ़ होता है कि बरसात अथवा चिलचिलाती धूप सभी वातावरण में ये कार्य कर सकते हैं ।

हमारे कृषकों के अथक परिश्रमी होने के बावजूद भी इनके पिछड़ेपन के अनेक कारण हैं । इन कारणों में सबसे प्रमुख कारण उनकी निर्धनता और निरक्षरता है । इन्हीं कारणों से ज्यादातर किसान आज भी रूढ़िगत तरीकों से खेती करते चले आ रहे हैं । अपनी अज्ञानता तथा निर्धनता के कारण ये किसान कृषि के आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों के लाभ से वंचित रह गए हैं । इस अज्ञानतावश वह उत्तम बीजों, रासायनिक खादों व अन्य वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग नहीं कर सके हैं ।

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निर्धनता व निरक्षरता के अतिरिक्त हमारे किसानों के पिछड़ेपन का एक और प्रमुख कारण यह भी है कि हमारे किसान पूरी तरह से मानसून पर निर्भर हैं । खराब मानसून, सूखा अथवा बाढ़ आदि की स्थिति में किसान अपने आप में किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं । अत: किसानों की स्थिति में सुधार उसी स्थिति में लाया जा सकता है जब विभिन्न योजनाओं आदि के माध्यम से इन्हें लाभान्वित किया जा सके ।

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किसानों को अधिक से अधिक साक्षर बनाने हेतु एक मुहिम छेड़ी जाए । साथ ही साथ विभिन्न ज्ञानवर्धक कार्यक्रम तैयार किए जाएँ जिससे हमारा किसान कृषि के आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से अवगत हो सके । सरकार किसानों की दशा में सुधार लाने हेतु निरंतर प्रयासरत है । दूरदर्शन व अन्य संचार माध्यमों के द्‌वारा वह अनेकों कार्यक्रम आयोजित कर रही है जिससे कृषक आधुनिक कृषि के तरीकों से अवगत हो सकें ।

कृषि हेतु उत्तम यंत्रों, उपकरणों व रासायनिक खाद सस्ते दामों पर किसानों को उपलब्ध कराने के प्रयास निरंतर जारी हैं । किसानों को बहुत कम ब्याज पर ऋण प्रदान किए जा रहे हैं ताकि वे उत्तम बीज व कृषि उपकरण खरीद सकें । इस प्रकार साहूकारों, जमींदारों आदि द्‌वारा उनके शोषण की प्रथा धीरे-धीरे समाप्त हो चली है ।

भारतीय किसानों की स्थिति की तुलना यदि हम स्वतंत्रता पूर्व के काल से करें तो उसमें जमीन-आसमान का अंतर है । हालाँकि किसानों में से कइयों की दशा प्राकृतिक विपदाओं के कारण अत्यंत सोचनीय हो जाती है पर भारतीय कृषक की दशा में सुधार हेतु आज जो प्रयास हो रहे हैं वे सराहनीय हैं ।

वह दिन दूर नहीं जब किसान पूर्णत: खुशहाल होगा, सभी साक्षर होंगे तथा उन्हें मूलभूत आवश्यकताओं के लिए जूझना नहीं पड़ेगा । निस्संदेह किसानों का सुंदर भविष्य राष्ट्र को विकास के चरम की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

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