आतंकवाद: एक जटिल समस्या  | Terrorism : A Critical Problem in Hindi!

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आतंकवाद आज के विश्व की जटिल समस्याओं में से एक है । पिछले दो-ढाई दशकों से भारत सहित दुनिया के कई अन्य देश इस समस्या से जूझ रहे हैं । परंतु यह समस्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। इसका प्रमुख कारण है-कुछ लोगों की विकृत मानसिकता ।

आतंकवाद का उद्‌देश्य है लोगों में भय फैलाकर तथा हिंसा के माध्यम से अपने मत को प्रचारित करना या अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्रयत्न करना । जो लोग इस उद्‌देश्य के लिए कार्य करते हैं उन्हें आतंकवादी कहा जाता है ।

आतंकवादी अपने उद्‌देश्य की पूर्ति के लिए धर्म या मजहब का सहारा लेते हैं ताकि अन्य सहधर्मी लोग भी उनके झाँसे में आकर उनके कार्यों में सहयोग प्रदान करें । यही कारण है कि विभिन्न राष्ट्रों में सामूहिक प्रयत्न के बावजूद आतंकवाद की समस्या को जड़-मूल से समाप्त नहीं किया जा सका है ।

जब कभी भी आतंकवादी अपने नापाक उद्‌देश्यों की पूर्ति में सफल होते हैं, आम लोगों को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है । कई निर्दोषों की जान चली जाती है, कई घायल या अपंग हो जाते हैं तथा करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो जाती है।

कई परिवारों के कमाऊ सदस्य जब अपनी जान गँवा देते हैं तो उस परिवार का सहारा सदा-सदा के लिए छिन जाता है । कइयों को आजीवन बैसाखी के सहारे ही जीना पड़ता है । आतंकवाद की प्रत्येक घटना का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है जो अत्यंत दुखदायी होता है ।

अपने गलत कार्यों को अंजाम देते समय लोग भूल जाते हैं कि वे मानवता के प्रति कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं । क्या कोई धर्म दूसरों को कष्ट देना सिखाता है? क्या मानवता यह कहती है कि दूसरों का अहित करने से अपना हित सधता है? क्या नैतिकता यह सीख देती है कि हिंसा से किसी लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है? आतंक फैलाने के कार्य को धर्मयुद्ध का नाम देना वास्तव में अपने गलत कार्यों को सही ठहराने का एक दिखावा भर है ।

भारत आरंभ से ही आतंकवादियों के निशाने पर है । सन् 2008 का मुंबई आतंकी हमला इसका ज्वलंत प्रमाण है । मुंबई में उससे पूर्व में कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं । आतंकवादियों ने राजधानी दिल्ली में भी कई हमले किए हैं । उन्होंने भारत के लोकतंत्र पर आघात करने के उद्‌देश्य से संसद भवन को भी निशाना बनाया था जिसे देश के रक्षकों ने विफल कर दिया । कश्मीर में तो आतंकवादियों का घृणित कृत्य दशकों से जारी है ।

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इन सभी आतंकी घटनाओं को एक सुनियोजित षड्‌यंत्र के अधीन अंजाम दिया गया है जिसका केन्द्र भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में है। उसकी शाखाएँ अफगानिस्तान, बंग्लादेश आदि विभिन्न देशों में फैली हुई हैं । आतंकवाद के राजनीतिक, सामाजिक एवं अन्य पहलू भी हैं जिन पर विचार करना आवश्यक है ।

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कुछ लोग अपने राजनीतिक उद्‌देश्यों की पूर्ति के लिए आतंक का सहारा लेते हैं । भारत में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद इसी श्रेणी में आता है । आतंकवाद की जड़ में कुछ कथित धार्मिक मान्यताएँ भी हैं जो व्यक्ति विशेष को हिंसा का मार्ग चुनने के लिए प्रेरित करता है ।

आतंकवादी अपना संगठन बनाकर कार्य करते हैं । अलकायदा, तालिबान, जमात उद्-दावा आदि संगठनों को सरकार या शासन की ओर से समर्थन प्राप्त होता रहता है । पाकिस्तान का आई. एस. आई (गुप्तचर विभाग) भारत केन्द्रित आतंकवाद में बड़ी भूमिका निभाता रहा है, यह तथ्य अब किसी से छिपा हुआ नहीं है। हालाकिं कुछ आतंकवादी संगठन स्वतंत्र रूप से भी कार्य करते हैं । आतंकी कार्यवाइयों के लिए धन आम लोगों से ही वसूला जाता है । कभी-कभी सरकारी एजेन्सियाँ भी इस कार्य में मदद करती हैं ।

दुनिया के अधिकांश देश आतंकवाद को एक गंभीर समस्या मानते हैं, उसकी निंदा करते हैं तथा समस्या के समाधान के लिए एक दूसरे को सहयोग भी प्रदान करते है। उस समस्या को हल करना आसान नहीं है परंतु आपसी सहयोग, गुप्त सूचनाओं का आदान-प्रदान आम लोगों की जागरूकता तथा राजनीतिक इच्छा-शक्ति के बलबूते इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है ।

आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए आवश्यक है कि लोग अपने स्तर पर पर्याप्त जागरूकता दिखाएँ तथा पुलिस एवं अन्य सुरक्षा एजेन्सियों को पूर्ण सहयोग प्रदान करें। बस में ट्रेन में तथा सार्वजनिक स्थानों पर पर्याप्त सतर्कता बरती जाए तथा कोई संदेहास्पद वस्तु दिखाई देने पर उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी जाए । देश के प्रमुख प्रतिष्ठानों, हवाई अड्‌डों, तीर्थों, दर्शनीय स्थानों महत्त्वपूर्ण इमारतों आदि में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए।

आतंकवाद को समाप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का भी बहुत महत्त्व है । अत : अंतर्राष्ट्रीय समुदाय समस्या की गंभीरता को समझकर खुला एवं उदार दृष्टिकोण अपनाए तथा इसके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करे ।

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