किसी गांव की रात्रि का एक दृश्य पर अनुच्छेद | Paragraph on Night in a Village in Hindi

प्रस्तावना:

दिनभर की दौड़-भूप और मेहनत के बाद हमारा शरीर थक जाता है और हमें नींद आने लगती है । चाहे कितनी भी कड़ी मेहनत क्यों न की गई हो, रात की गहरी नींद हमें पुन: तरोताजा बना देती है और हम फिर से काम करने को तैयार हो जाते हैं । दिन काम करने के लिए व रात आराम करने के लिए बनाई गई है ।

रात्रि का आगमन:

सूर्य के निकलने पर दिन शुरू होता है और सूर्य अनत होने पर समाप्त हो जाता है । सूर्य अस्त होते ही अंधेरा छाने लगता है । थोड़ी देर में हर तरफ अंधेरा हो जाता है और हमें स्पष्ट रूप से कुछ दिखाई नहीं पडता । गांवों की सड़कों पर बिजली की रोशनी नहीं होती । घरो में भी लालटेन या तेल के दिए से काम चलाया जाता है ।

अत: रात होते ही सभी खेत, खलिहान, मकान, दुकान और आसपास का क्षेत्र अधकार में डूब जाता है । आकाश में केवल तारों की टिमटिमाहट दिखाई देती है । कहीं-कहीं जगमगाते जुगनूँ देखकर बड़ा अच्छा लगता है । चाँदनी रातों में पेडों से छनती चाँदनी बडी प्रिय लगती है ।

जल्दी सन्नाटा हो जाना:

गाँव में बिजली की व्यवस्था न होने तथा मनोरंजन के साधनों के अभाव में अधिकांश लोग जल्दी ही अपने-अपने बिस्तरों में घुस जाते हैं । इसका एक कारण यह भी है कि ग्रामवासी सुबह जल्दी उठकर अपने-अपने काम में लग जाते हैं, इसलिये उन्हें रात्रि में भी जल्दी सोना पड़ता है ।

खेतों से शाम को अधितश कृषक घर लौट आते हैं । हाथ-मुंह धोकर वे कुछ देर विश्राम करके कुछ चना-चबेना करके आमतौर से गाँव की चौपाल पर जाकर कुछ देर वही गप्पे लड़ाते है और घर लौटकर भोजन करके बिस्तरों में घुस जाते हैं ।

इस बीच छोटे बच्चे अपनी माँ-दादी आदि स्त्रियों से कहानियाँ किस्से सुनते है । प्राय: नौ बजे रात्रि तक किसी घर से न कोई रोशनी आती दीखती और किसी के चलने-फिरने की आहट भी नहीं मिलती है । इस समय तक समूचे गाँव में पूरा सन्नाटा छा जाता है ।

चौपाल का दृश्य:

गाँव की चौपाल वही की प्रमुख बैठक होती है । आमतौर से एक बड़े चबूतरे पर यह लगती है । गाँव के प्रधान व सभी वयोवृद्ध शाम को यही एकत्र होते है । उनके बीच प्राय: लम्बी नली का एक हुक्का होता है, जिसे बारी-बारी से सभी पीते हैं । वे इस दौरान वे अपनी-अपनी समस्याओं का समाधान करते है । यह गाँव वालों की मिलन स्थली होती है ।

ग्रामीण दुकानों के दृश्य:

ADVERTISEMENTS:

गाँवों मे कुछ छोटी-छोटी दुकानें होती है । इनमें रोजमर्रा के खाने-पीने का सामान बिकता है । कुछ लोग बढ़ई, लोहार, सुनार, दर्जी ठठेरे आदि का काम करते हैं । वे प्राय: अपने मकानों की बाहर वाली बैठक में यह काम करते है । जिसे वे छोटी-मोटी दुकान का रूप दे देते है ।

ADVERTISEMENTS:

रात होते ही धीरे-धीरे सभी दुकानें बन्द होने लगती हैं । कुछ दुकानो पर लालटेन और मिट्टी के तेल के लैम्प जलने लगते है । प्राय: आठ बजते-बजते सभी दुकानें बन्द हो जाती हैं और दुकानदार घर लौट कर जल्दी ही सो जाते हैं ।

खेतों की रखवाली:

गाँवो में जब फसल पकने लगती है, तो फसल की चौकीदारी करने की आवश्यकता पड़ती है । इन दिनो खेतो में कुछ किसान रातभर चौकीदारी करते हैं । कुछ लोग खेतो की रखवाली के साथ-साथ उसी बीच खेतों मे पानी भी देते हैं ।

चाँदनी रात में डीजल इजन की आवाज या बैलों की घटिया और रहट की चरमराहट मधुर संगीत-सी लगती है । रात में अक्सर कुत्तों के जोर-जोर से भौंकने की आवाजें बड़ी भयानक लगती हैं । कहीं-कहीं गीदड़ या सियार की ऊँची आवाज भी सुनाई दे जाती है । झींगुरों और मच्छरों की भिनभिनाहट संगीत लहरी-सी लगती है ।

उपसंहार:

शहरों में देर रात तक मेला-सा लगा रहता है, लेकिन गाँवो मे रात सोने के लिए होती है । सभी लोग गहरी नींद में सोये होते हैं । केवल कुछ रोगी जो पीड़ा के कारण या कुछ वृद्ध जो लगातार खासी के कारण नहीं सो पाते या कुछ लोग जो खेतों की रखवाली करते है, केवल जागते है । शेष पशु-पक्षी और व्यक्ति सभी गहरी निद्रा में सोये रहते हैं ।

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