विद्‌यालय के वार्षिकोत्सव का विवरण देते हुए छोटे भाई को पत्र लिखिए । Letter to Younger Brother Describing Annual Function of School!

23, प्रगति छात्रावास,

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इलाहाबाद

दिनांक : 20.09.2015

प्रिय अनुज अमित,

स्नेह ।

आशा है तुम सकुशल एवं आनंद से होंगे । पिछले कई दिनों से विद्‌यालय के वार्षिकोत्सव की तैयारी में अत्यंत व्यस्त होने के कारण तुम्हें पत्र नहीं लिख सका । चार दिनों तक चले वार्षिकोत्सव का संक्षिप्त विवरण तुम्हें लिख रहा हूँ ।

हमारा यह वार्षिकोत्सव 16 से 19 सितंबर तक मनाया गया परंतु इसकी तैयारियाँ लगभग 2 सप्ताह पूर्व ही प्रारंभ हो गई थीं । विद्‌यार्थियों व अध्यापकों ने मिलकर पूरे विद्‌यालय को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया था । विद्‌यालय प्रांगण में एक बहुत बड़ा शामियाना लगाया गया जिसमें अभिभावकों, शिक्षकों व विशिष्ट अतिथियों के बैठने की समुचित व्यवस्था थी ।

कार्यक्रम का आयोजन 16 सितंबर सायं 6 बजे मुख्य अतिथि के संक्षिप्त भाषण से प्रारंभ हुआ । तत्पश्चात सरस्वती वंदना व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए जिनमें छात्र-छात्राओं ने बड़े ही उल्लासपूर्वक भाग लिया । इन कार्यक्रमों में छात्रों की प्रतिभा का अवलोकन कर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए । ‘शाकुंतलम्’ नाटक का कुशल मंचन आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा ।

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इसके अतिरिक्त कविता-पाठ, लोकनृत्य व वाद-विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई । विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त खेल-कूद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी जिसमें हॉकी, बैडमिंटन, कबड्‌डी, 100, 200 व 400 मी॰ की दौड़ तथा कुश्ती आदि खेलों का आयोजन हुआ।

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अंत में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ । इसमें विभिन्न कार्यक्रमों में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पारितोषिक प्रदान किए गए । ‘शाकुंतलम्’ नाटक में दुष्यंत की भूमिका के लिए मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनय का पुरस्कार मिला । इसके अतिरिक्त वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी मुझे स्वर्ण पदक मिला ।

अपने समापन भाषण में प्रधानाचार्य ने जहाँ विद्‌यार्थियों में अनुशासन, समय व खेलकूद के महत्व पर प्रकाश डाला वहीं मुख्य अतिथि महोदय ने कार्यक्रम की भूरि- भूरि प्रशंसा करते हुए छात्रों के सर्वांगीण विकास की बात कही ।

पूज्य माता-पिता को मेरी ओर से सादर प्रणाम कहना ।

तुम्हारा भैया

ललित

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