अजायबघर (म्यूजियम) का भ्रमण पर अनुच्छेद | Paragraph on A Visit to a Museum in Hindi
प्रस्तावना:
अजायबघर (म्युजियम) वह स्थान है, जहाँ आप दुर्लभ वस्तुयें और ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुओं का संग्रह देख सकते हैं । इसमें मुर्दा जानवर पक्षी तथा प्राकृतिक पेडू-पौधे भी प्रदर्शित किए जाते है । यह आश्चर्यजनक, दुर्लभ और बेशकीमती वस्तुओं का भण्डार होता है ।
लखनऊ का अजायबघर:
पिछली सर्दियों में मुझे लखनऊ जाने का मौका मिला । मैं अपने एक मित्र के घर रुका । नवाबों त्हे इस शहर को देखने का मेरा पहला मौका था । मेरे मित्र ने मुझे लखनऊ के सभी दर्शनीय स्थान दिखाये । एक दिन हम लोग लखनऊ का अजायबघर भी देखने गए । म्यूजियम की इमारत बडी भत्य और विशाल है । इसके बाहर बड़ा सुन्दर उद्यान और घास के लम्बे-चौड़े मैदान है । इनके बीच म्यूजियम की इमारत बाहर से ही बड़ी आर्काक लगती है ।
कलाकृतियों का संग्रह:
म्यूजियम में प्रवेश करते ही एक बड़े हाल में दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है । इसमें अनेक प्राचीन हस्तचित्र, जरी की कढ़ाई, ड्राइंग और प्राचीन मिट्टी के कलात्मक बर्तन और खिलौने प्रदर्शित किए गए हैं । तरह-तरह के अतिप्राचीन खिलौने, तरह-तरह के धातु के बर्तन आदि देखकर हमें बड़ा आश्चर्य हुआ । हर कलाकृति के साथ उसका वर्णन तथा वह किस युग की है, यह हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा था । कई चीजों हड़प्पा और मोहन जोदडी सभ्यता के समय की थीं ।
मूर्ति का कला विभाग:
इसे देखकर हमने एक दूसरे हाल में प्रवेश किया । यही विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का संग्रह था । यही भगवान बुद्ध, महावीर, विष्णु, नटराज आदि की दुर्लभ मूर्तियाँ देखने को मिलीं । कुछ मूर्तियाँ 2000 वर्ष से भी अधिक एउरानी थीं ।
कुछ मूर्तियाँ चमकदार काले पत्थर की थीं, तो कुछ लाल या बेटी पत्थर की थीं । कुछ मूर्तियाँ धातु की भी थीं । हाल के बीच मैं अशोक की एक लाट खड़ी थी । कई लकड़ी के विशाल स्तम्भ और कलात्मक दरवाजे दिखाये गए थे । लकड़ी की खुदाई के अद्भुत नमूने भी हमें दिखाई दिए, जो एक हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन थे ।
सिक्के, जेवर, वस्त्र तथा अन्य सामग्री:
एक हाल में अति प्राचीन सिक्के दिखाए गए थे । इनमें गुप्तकाल के ताँबे के सिक्के, मुगलकाल के सोने और चाँदी के तरह-तरह के सिक्के देखकर मुझे बडा अचम्भा हुआ । एक ओर मुगलकालीन पोशाकें प्रदर्शित की गई थीं । मुगलकालीन हस्तलिपियों और कलात्मक रंगीन चित्र भी दिखे ।
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इसी हॉल में एक तरफ स्त्रियों के विभिन्न प्रकार के जेवर दिखाए गये थे । ये पत्थरों के, सीपियों और मोतियों के तथा सोने-चाँदी के थे । प्राचीन काल की स्त्रियों के मिट्टी के मॉडलों को उसी समय के वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित करके भी प्रदर्शित किया गया था । प्राचीन कालीनों के अद्भुत नमूने, तथा हाथ की महीन कढ़ाई के वस्त्र को देखकर हमने दाँतों तले उंगली दबा ली ।
अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन:
एक अन्य हाल में प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग के अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन था । इसमें पाषाण काल के पत्थर के औजार और हथियार, हिन्दू राजाओं की तलवारें और भाले आदि रखे थे । मुगलकाल की लम्बी तोपें, बन्दूक तथा हल्की तोपें भी दिखाई गईं थीं । महाराणा प्रताप का बख्तरबन्द तथा तलवार विशेष रूप से दर्शनीय थे । प्राचीन काल के सैनिकों की रघेशाकें, शिरखाण, बाजुओं में पहनने वाले लोटे के खोल, भाले, बरछे आदि अनेक अस्त्र देखने को मिले ।
जीव-जन्तु और वनस्पति विभाग:
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इस विभाग में अनेक पशुओं की खालों में भूसा आदिए भरकर उन्हे असली आकार दिया गया था । सिंह को खड़ा देख सहसा यह लगा कि वह जिन्दा है । एक स्थान पर सिंह को एक बकरे का शिकार करते दिखाया गया था ।
अनेक प्रकार के पशु, पक्षी, सर्प, अजगर, आदि अपरने असली आकार में दिखाये गए थे । वे मृत होते हुए भी एकदम जीवन्त दिखाई दे रहे थे । इसी हाल में एक ओर पौधों और फूलों के अद्भुत नमूने भी थे । इस हाल का विशेष आर्कषण लगभग ढाई हजार वर्ष मिस्र की एक भूमि थी ।
उपसंहार:
लगभग चार घंटे तक हम अजायबघर में घूमे, इस पर भी हमारी तबियत नहीं भरी । जब बन्द होने की घटी बज गई, तब हम बेमन से बाहर निकले । इसे देखकर मेरे ज्ञान में बड़ी वृद्धि हुई ।