एक अस्पताल का दृश्य पर अनुच्छेद | Paragraph on A Visit to a Hospital in Hindi

प्रस्तावना:

कुछ दिन पहले मेरा एक मित्र सडक दुर्घटना में घायल हो गया था । उसे शहर के म्युनिसिपल अस्पताल मे भर्ती कराया गया था । अभी वह वहीं था । एक शाम मै उसे अस्पताल में देखने गया ।

इमारत का दृश्य:

यह अस्पताल बहुत बड़ा था । अस्पताल के चारों ओर एक ऊँची चहारदीवारी थी । चहारदीवारी के भीतर बड़े-बड़े वृक्ष थे, जो शीतल छाया देते थे । इसके भीतर के मार्ग और गलियारे बड़े साफ-सुथरे थे । बाहर ही अस्पताल की इमारत की भव्यता और हरी-हरी घास के मैदान वृक्ष व मार्गों आदि की सफाई से मैं बहुत प्रभावित हुआ ।

मित्र के विषय में पूछताछ:

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मुझे यह ज्ञात नहीं था कि मेरा मित्र अस्पताल के किस वार्ड में भर्ती है । अत: मैं स्वागत कक्ष में गया और वहाँ जाकर मैंने पूछताछ की । मैंने मित्र का नाम उसकी बीमारी व भर्ती होने की तिथि बताई । काउन्टर पर बैठी एक महिला ने रजिस्टर देखकर मुझे बताया कि मेरा मित्र पहली मंजिल के कमरा नम्बर 41 में भर्ती है । उस महिला ने मुझे कमरे तक पहुचने का मार्ग भी बता दिया । मैं सीढिया चढकर कमरे तक पहुंच गया ।

कमरे के बाहर मित्र के नाम की तख्ती टगी हुई थी । मैंने कमरे में झाँका । वहा एक नर्स बैठी थी । मैं धीरे-से दरवाजा खोलकर अंदर गया । मैंने पाया कि मेरा मित्र सो रहा है और पास में बैठी नर्स स्वेटर बुन रही है । मुझे अंदर आते देख उसने स्वेटर बुनना बन्द कर दिया और कुर्सी से उठकर मेरा अभिवादन किया ।

मैंने नर्स से अपने मित्र की हालत के बारे में पूछा । उसने बताया कि वह खतरे से बाहर था और कुछ ही देर पहले सोया था । नर्स ने उसे जगाने से मना किया । मित्र की हालत ठीक जान मुझे बड़ा संतोष हुआ और वहां बैठ कर उसके जगने की प्रतीक्षा के बजाए मैंने पूरे अस्पताल का एक चक्कर लगाने का निर्णय किया और कमरे से बाहर आ गया ।

जनरल वार्ड का दृश्य:

सबसे पहले मैं एक जनरल वार्ड में घुसा । घुसते ही एक कमरा डॉक्टर का था व उससे लगा दूसरा कमरा नर्सों का था । उसके दूसरी ओर के कमरों में दवाओं और बिस्तरों आदि का भण्डार था । अंदर एक बड़ा हाल था जिसमें सफेद चादर बिछे सुन्दर पलगों पर मरीज लेटे थे ।

पलंग बड़े करीने से लाइन में लगे थे । दीवार के दोनो ओर पलंग थे । हर पलंग के ऊपर बेड नम्बर लिखा हुआ था । पलंग के पैताने लोहे का स्विगदार बोर्ड था, जिस पर क्लिप से कुछ कागज लटक रहे थे । इनमें मरीजों के तापक्रम, नब्ज की गति और डाक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का ब्यौरा लिखा था ।

दो पलंगों के बीच एक छोटी लकड़ी की अल्मारी थी जिसमे मरीजों का सामान रखा जाता था । हर पलंग के पास एक स्टूल भी था । हाल में 70 पलंग थे । हर पलंग के पास खिड़की थी और ऊपर पंखा लगा था । खिड़कियों के बाहर वृक्षों की हरियाली दिखाई देती थी ।

स्पेशल वार्ड:

इसके बाद मुझे एक दरवाजा दिखा, जिस पर स्पेशल वार्ड का बोर्ड लगा था । मैंने गुजरती हुई एक नर्स से पूछा कि यह स्पेशल वार्ड कैसे मरीजों के लिए है । उसने मुझे बताया कि जो व्यक्ति अस्पताल में रहने और दवा-दारू का खर्च स्वयं उठा सकते है, वे इन वार्डों मे रखे जाते हैं । अंदर जाने पर मैंने देखा कि उसमे केवल छ: पलंग थे । पलंगो के मरीज समृद्ध दिखाई दे रहे थे । ऐसे कई स्पेशल वार्ड थे ।

आपरेशन थियेटर:

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इसके बाद मुझे आपरेशन थियेटर दिखा । मुझे उसके भीतर नहीं जाने दिया गया । पूछने पर पता लगा कि उसके भीतर ऑपरेशन किए जाते है । ऑपरेशन थियेटर के बाहर नर्स और डॉक्टर तक जूते और कपडे बदल कर प्रवेश करते हैं । वे अपने सिर और मुँह भी कपडे से ढक लेते हैं ।

पोस्ट-ऑपरेटिव वार्ड:

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ऑपरेशन थियेटर से कुछ दूर पर मुझे पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड दिखा । ऑपरेशन के तत्काल बाद कुछ समय तक निगरानी रखने के लिए मरीजों को वहाँ रखा जाता है । जब उनकी स्थिति ठीक हो जाती है, तो उन्हें वार्डों में भेज दिया जाता है ।

इंटेंसिव केयर यूनिट:

थोड़ी दूर पर शीशे की पारदर्शक दीवारों से घिरा एक कमरा मुझे दिखाई दिया । इसमें अति गंभीर रोगियो को रखा जाता है । इसके भीतर किसी को नहीं जाने दिया जाता । मैंने शीशे के भीतर देखा कि यही कई रोगियों के ऑक्सीजन लगी थी ।

एक-आध रोगी के शरीर से कई तरह की नलियां जुडी थीं और उसके सिर के ऊपर सामने एक टी॰वी॰ की तरह का बकरा रखा था, जिसमें नीली धारियाँ-सी बन-बिगड़ रही थीं । यह दिल का दौरा पड़े मरीजों के हृदय की लगातार जाँच के लिए था ।

मित्र के कमरे पर वापसी:

अब तक मैं एक घण्टे से अधिक समय बिता चुका था । मेरा मित्र प्राइवेट कमरे में था । मैं उसके कमरे पर पुन: आया । जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मित्र ने ऑखें खोलकर मेरी ओर देखा और मुस्करा उठा । मुझे उसकी मुस्कराहट से बड़ी प्रसन्नता हुई । अब तक मरीजों से मिलने का समय समाप्त हो चला था । मैंने मित्र से जल्दी-जल्दी उसका हाल पूछा और उसके शीघ्र रचरथ होने की कामना करता हुआ कमरे के बाहर आ गया ।

उपसंहार:

इस अस्पताल के शात वातावरण, सफाई और मरीजों की अच्छी देखभाल से मुझे बडा हर्ष हुआ । काश। देश के सभी अस्पताल इसी तरह के हो सकते ।

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