एक साइकिल दुर्घटना पर अनुच्छेद | Paragraph on A Bicycle Accident in Hindi

प्रस्तावना:

पिछले शनिवार को मैंने अपने मित्र सतीश को दोपहर के खाने पर घर बुलाया था । मैं अंतिम पीरियड़ की समाप्ति का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था । जैसे ही छुट्टी की घंटी बजी, मैं तेजी से क्लास के बाहर निकल पड़ा ।

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मुझे घर पहुंचने की जल्दी थी, क्योंकि सतीश, से पहले घर पहुच जाना चाहता था । मैंने जल्दी में अपनी साइकिल निकाली और तेजी से पैडल मारते हुए घर की ओर चल पड़ा । मेरा स्कूल ऊँचाई पर म्युनिसिपल अस्पताल के पास है । वहीं से एकदम ढलवां सड़क टाउन हाल की ओर जाती है । मेरा घर टाउन हाल के पास ही है । इस सड़क पर कई तीखे मोड़ हैं ।

दुर्घटना कैसे हुई ?

मैं बड़ी जल्दी में था, इसलिए मुझे अपनी साइकिल के ब्रेकों की जांच करने का ध्यान नहीं रहा । मैं पूरी रफ्तार से साइकिल चला रहा था क्योंकि जल्दी-से-जल्दी मैं घर पहुँच जाना चाहता था । सड़क वैसे ही ढलवां थी इसलिये मेरी साइकिल हवा से बातें कर रही थी ।

जब मैं इन्सपेक्शन हाउस के निकट पहुंचा, जहाँ ढलवां सडक पर एक तीखा मोड़ है, और जरा-सा आगे एक अन्य सड़क आकर मिलती है, मुझे सड़क पर कई तेज रफ्तार की गाडियाँ आती दिखीं । मैंने अपनी साइकिल की रफ्तार कम करने के लिए ब्रेक लगाने का प्रयास किया, लेकिन ब्रेक धोखा दे गए और गाडी उसी रफ्तार से बढ़ती रही । मैं एकदम घबरा गया । मेरी समझ में कुछ नहीं आया कि मै क्या करू ।

जब तक मैं कुछ सोच पाता, एक तेज आती हुई मोटर कार से मेरी साइकिल जा टकराई । मैं धक्का खाकर सडक से दूर जा गिरा और मेरी साइकिल कार से नीचे आकर चकनाचूर हो गई । गनीमत यह रही कि मैं सड़क से दूर जा गिरा था, वरना किसी अन्य गाड़ी के नीचे आ गया होता ।

गिरते ही मेरा सिर फट गया और खून का फबारा बह निकला । मैं जोर से चीख पड़ा । बहुत-से लोग मेरी ओर दौड पड़े। जब उन्होंने मेरे सिर से खून निकलता देखा, तो उन्होंने मेरे सिर पर कपडा बाध दिया । तब तक लोगों ने कार के नीचे से साइकिल निकाल ली थी । कार वाले सज्जन बड़े दुखी और चिंतित लग रहे थे । उन्होंने साइकिल अपनी डिक्की में डाली और अन्य लोगों की सहायता से मुझे कार में बिठा फौरन म्युनिसिपल अस्पताल ले गए ।

अस्पताल में भर्ती:

जैसा कि मैं बता चुका हूँ कि म्युनिसिपल अस्पताल थोड़ी ही दूर पर है । मुझे फौरन अस्पताल के आपात्‌कालीन कक्ष में पहुँचाया गया । वही ड्‌यूटी पर बड़े सज्जन और दयालु डॉक्टर थे । उन्होंने मेरी तत्काल परीक्षा की और मुझे खतरे के बाहर घोषित कर दिया । उन्होंने टिटनस का एक इंजेक्शन दिया और फिर दर्द रोकने का एक इंजेक्शन लगाया । इसके बाद उन्होंने ड्‌यूटी नर्स को बुलाकर मेरे घावों की मरहम-पट्‌टी करने का आदेश दिया ।

अब तक मेरा खून बन्द हो चुका था । सिर की चोट भी केवल ऊपरी ही थी । मेरे हाथ-पैरो की हड्‌डियाँ सही-सलामत थीं । अब तक बहुत-कुछ मेरा डर भी दूर हो चुका था । घावों की मरहम-पट्‌टी के बाद मुझे एक वार्ड में कुछ देर रखने का आदेश दिया गया ।

घर के लोगों का अस्पताल में आना:

अब कार के मालिक ने मुझसे मेरे घर का पता पूछा । मैंने उन्हें पता बता दिया । वे सज्जन मेरे घर गए । उनके साथ एक दो अन्य सज्जन भी कार में गए क्योंकि उन्हें डर था कि कार का मालिक कहीं भाग न जाये ।

घर पहुँचकर लोगों ने मेरी दुर्घटना की बात बताई । मेरे घर में पहले से ही बड़ी चिन्ता हो रही थी । सतीश भी घर आ चुका था और वह मेरी लापरवाही पर गुरसा हो रहा था । दुर्घटना की बात सुनकर मेरे मां-बाप और सतीश को बडा धक्का लगा । वे एकदम सकते मे आ गए और मेरी कुशलता जानने लगे ।

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मैं होश में हूं और खतरे के बाहर हूं जानकर उनकी जान-में-जान आई । मेरी मा के तो हाथे-पांव ही फूल गए । तीनों ही उसी कार में बैठकर फौरन अस्पताल पहुंचे । रास्ते में मेरी मां उस कार वाले को भला-बुरा कहती रही, लेकिन कार वाला एकदम चुप रहा । अस्पताल आकर मुझे बातचीत करते देख सबको बड़ा संतोष हुआ ।

दुर्घटना की जिम्मेदारी:

अब मेरे मां-बाप ने दुर्घटना का कारण जानना चाहा । कार वाले सज्जन ने दुर्घटना का जो सही ब्यौरा दिया था उससे मां-बाप सतुष्ट नहीं हुए, हालांकि अन्य लोगो ने भी इसकी पुष्टि की । जब मैंने दुर्घटना का सही कारण बताया, तब उन लोगों को यकीन आया ।

मेंने स्पष्ट रूप से सबके सामने अपनी गलती को स्वीकार किया और बताया कि कार के मालिक तथा अन्य सज्जनों के कारण ही मेरी जान बच सकी है, वरना मैं सड़क पर खून बहते-बहते ही मर सकता था । यह जानकर मेरी माँ को बड़ा अफसोस हुआ और उन्होने कार के मालिक से हाथ जोडकर बुरा-भला कहने की माफी मागी ।

वे बड़े ही सज्जन पुरुष थे । उन्होंने हँस कर कहा कि माफी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि माँ सदैव अपने बच्चे को निर्दोष रनममसई है । गलतफहमी दूर हो जाने पर उन्होंने खुशी जाहिर की और अस्पताल से चले गए ।

उपसंहार:

मैंने अपने बच जाने पर ईश्वर और उस कार के मालिक को धन्यवाद दिया और कसम खाई कि भविष्य में किसी भी अवस्था मे ब्रेको की भली-भाँति जाँच किए बिना मैं साइकिल पर पैर नहीं रखूँगा ।

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