एक बस दुर्घटना पर अनुच्छेद | Paragraph on A Bus Accident in Hindi

प्रस्तावना:

पिछले वर्ष जून के अन्तिम सप्ताह में मैंने अपने एक मित्र कैलाश के साथ आगरा की ऐतिहासिक इमारतों को देखने के लिए जाने का फैसला किया । हमने यह यात्रा बस से करने का निर्णय लिया ।

जब हम बस-अड्‌डे पहुंचे, हमें एक बस आगरा जाने को तैयार खड़ी मिली । इसलिए हमें कोई प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी । हमारे बैठते ही बस चल पड़ी । हमने अपनी टिकटें भी बस में ही खरीदीं । कुछ ही देर बस ने रफ्तार पकड़ ली ।

दुर्घटना कैसे हुई ?

हमारी बस नगर से बाहर निकलकर राजमार्ग पर मुश्किल से चार-पाँच किलोमीटर ही आगे बड़ी होगी कि पीछे से एक अन्य बस बड़ी तेजी से आती दिखाई दी । उस बस का ड्राइवर हमारी बस से आगे निकालना चाहता था ।

अत: उसने साइड देने के लिए कई बार जोर-जोर से हर्ज बजाया । लेकिन हमारी बस के ड्राइवर ने कोई ध्यान नहीं दिया और उसी रफ्तार से बस आगे बढ़ाता रहा । इसे अपनी अवहेलना समझ पीछे की बस का ड्राइवर गुरसा हो गया ।

उसने अपनी रफ्तार एकदम बढ़ा दी और दाहिनी ओर आने लगा । ऐसा देखकर हमारी बस के ड्राइवर ने भी रफ्तार और तेज कर दी । पीछे की बस एकदम हमारी बगल में आ गई । दोनों ही बसें अपनी पूरी रफ्तार से दौड़ने लगीं । इस तरह उन दोनों में रफ्तार की होड़ लग गई और दोनों बसें एकदम समानान्तर दौड़ती रहीं ।

दोनों ही बेवकूफ ड्राइवर अपनी बसों की रफ्तार बढ़ाते रहे । बसों के यात्री भी बड़े उत्तेजित हो गए । दोनो बसों के लोग चिल्लाने लगे और उत्तेजित हो उठे । दोनों ड्राइवरों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लग गई ।

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अधिकांश यात्री अपनी सुरक्षा से बेखबर होकर इस रेस का मजा ले रहे थे और अपने-अपने ड्राइवरों को आगे बढ़ाने के लिए उकसा रहे थे । कोई यह देखने को तैयार नहीं लगता था कि दूसरी बरन उनसे आगे निकल जाये ।

मेरी बस के कुछ वयोवृद्ध और समझदार यात्रियों ने ड्राइवर को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की और दुर्घटना का डर दिखाया, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज-सी दब गई । ड्राइवर ने उस पर लोई ध्यान नहीं दिया । दोनों ही अपनी-अपनी इज्जत दांव पर लगी समझ रहे थे ।

इसी तरह कई किलोमीटर तक दोनों बसें सामान्तर चलती रही । ऐसा लगता था जैसे दोनों बसें खड़ी हों । एकाएक सामने से एक पुलिस-जीप आती दिखाई दी । उसे देख दोनों ही बसों के यात्री एकदम घबरा उठे । रफ्तार इतनी तेज थी कि ब्रेक लगाना खतरे से खाली नहीं था ।

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अत: हमारे ड्राइवर ने बस को तेजी से बाईं ओर मोड़ना चाहा । उसने एकदम बाईं ओर स्टीयरिंग काटना चाहा, लेकिन वह गाड़ी संभल न सकी और नियंत्रण के बाहर हो गई । अब उसने ब्रेक लगाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी । बस एक वृक्ष से जा टकराई और उलट गई ।

दुर्घटना का दृश्य:

बस का ड्राइवर बेहोश हो गया । उसके सिर से खून बह रहा था । यात्रियों की चीख-पुकार से सारा वातावरण गूँज उठा । सौभाग्य से मुझे और मेरे साथी को कोई गम्भीर चोट नहीं आई । केवल थोड़ी-सी खरोचें लगी थी । मैं जल्दी से किसी तरह बस से बाहर निकला । मैंने अपने मित्रों को भी खींचकर बाहर निकाला ।

अब हम दोनों मिलकर बचे हुए यात्रियों को बाहर निकलने लगे । पुलिस की जीप भी रुक गई और उसमें बैठे पुलिस वालों ने भी सहायता-कार्य में मदद की । दूसरी बस का ड्राइवर उसे तेजी से भगा ले गया । इस आपाधापी में हम उसका नम्बर भी नोट नहीं कर सके । निकट के गाँव के निवासी भी सहायता को दौड पड़े । सबकी सहाराता से बस के नीचे दबे यात्रियों को बाहर निकाला गया ।

पाँच व्यक्ति घटनास्थल पर ही मर गए । लगभग 20 व्यक्तियों को गंभीर चोटें लगी और शेष यात्री बच गये । एक वृद्ध महिला का एकमात्र पुत्र दुर्घटना में मारा गया । वह बिलख-बिलख कर रो रही थी । सभी ने उसे सांत्वना देने का प्रयास किया ।

पुलिस वालो ने कुछ गम्भीर रूप से घायल व्यक्तियों को अपनी जीप में बैठाया तथा एक आते हुए ट्रक को रोककर उसमें शेष बचे गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को बैठाकर वे आगरा की ओर चल पड़े । उन्होंने आगरा पहुंचकर घायलों को अस्पताल में भर्ती करा दिया तथा आगरा बस अड्‌डे को दुर्घटना की सूचना दी ।

सहायता दल:

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लगभग डेढ़ घंटे बाद आगरा से डॉक्टरों आदि का सहायता दल लेकर एक बस दुर्घटना-स्थल पर पहुच गई । डॉक्टरों ने मामूली घायल व्यक्तियों का प्राथमिक उपचार किया । मृत शवों तथा शेष यात्रियों तथा उनके सामान को लेकर सहायता-बस आगरा के लिए चल पड़ी ।

बस में एक नवयुवती अपने घायल पति के लिए रो रही थी । उसके पति को बेहोशी की हालात में पुलिस जीप ही ले जा चुकी थी । वह बेचारी नहीं समझ पा रही थी कि वह अनजाने शहर में अपने पति की तलाश कैसे करेगी । मैंने और मेरे साथी ने उसे पूरा आश्वासन दिया कि हम उसे पति के पास अस्पताल पहुंचाकर ही आगे जायेगे ।

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अब तक हमारा आगरा की ऐतिहासिक इमारतें देखने का सारा उत्साह समाप्त हो गया था । आगरा बस अड्‌डे पर पहुंचकर हमने पता किया कि घायलों को किस अस्पताल में भर्ती किया गया है । सभी यात्री मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाये गए थे । वहां पहुँचकर उस महिला के पति का पता लग गया ।

उसे तब तक होश आ चुका था । पति-पत्नी एक-दूसरे को देख बड़े प्रसन्न हुए । अब हमारे मन में ड्राइवर का ख्याल आया । पता लगने पर ज्ञात हुआ कि उसने अस्पताल आते ही दम तोड़ दिया था । बड़े भारी मन से हम अस्पताल के बाहर आये ।

उपसंहार:

इस दुर्घटना से हमारा मन इतना उदास हो गया कि आगरा देखने का कोई उत्साह शेष न रहा । हम बस अड्‌डे पर आकर अगली बस से ही वापस लौट पड़े ।

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