एक रिक्शा दुर्घटना पर अनुच्छेद | Paragraph on A Rickshaw Accident in Hindi

प्रस्तावना:

बड़े नगरों में सड़क दुर्घटनायें आम बात है । यहाँ इतने तरह-तरह के वाहन और लोग सड़कों से गुजरते है कि दुर्घटनाओं से बचना असस्य्राव है । बड़े आम रास्तों और खुली सड़कों पर ऐसी दुर्घटनायें होती ही रहती हैं । इन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण तेजी से और लापरवाही से गाडियाँ चलाना और भली-भात, इधर-उधर देखे बिना सड़क पार करना है ।

दुर्घटना स्थल:

पिछले रतिवार को मैं अपने मित्र रवि को लेने स्चेशन के लिए पैदल रवाना हुआ । मेरा मित्र लखनऊ से आ रहा था । मैं चौक के निकट सड़क पार कर रहा था । मेरे पीछे एक महिला थी, जो लम्बा घूँघट निकाले हुए थी ।

मैंने देखा कि एक दिशा से एक रिका बड़ी तेजी से मेरी ओर आ रहा था और दूसरी दिशा से एक ताँगे वाला सरपट घोड़ा दौड़ाता आ रहा शा । मैं बड़ी-तेजी से सड़क के किनारे से हट गया, लेकिन मेरे पीछे वाली महिला घूँघट के कारण रिक्शा और तांगा न देख सकी और वहीं खड़ी रह गई ।

रिक्शा तेजी से आ रहा था । उसे एक वृद्ध व्यक्ति चला रहा था । रिक्शे पर एक काला मोटा लाला बैठा था । रिक्शाचालक बड़ा होशियार दिखाई दे रहा था, लेकिन सड़क की भीड़भाड़ और सामने से सरपट दौड़ते तांगे को देख उसके हाथ-पैर फूल गये ।

जैसे ही वह उस पर्दे वाली महिला के निकट पहुंचा, उसे बचाने की कोशिश में उसका हैण्डिल ताँगे की ओर मुड़ गया । रिक्शा महिला के बदन को छूता हुआ एकदम घोड़े की टाँगो के बीच रो निकलकर ताँगे से जा टकराया । महिला एकदम हक्की-बक्की होकर वहीं खड़ी रह गई ।

रिक्शा में सवार लाला उछलकर धडाम को आवाज करके सड़क पर जा गिरा । रिक्शा वाला बुड्‌ढा बाल-बाल बच गया । इतने में ही एक कार बड़ी तेजी से आई और उरपने महिला को धक्का दिया । महिला सड़क पर गिर गई और कार उसे कुचलती हुई निकल गई ।

दुर्घटना का वर्णन:

चंद मिनटों में चौक पर तीन वाहन दुर्धटना ग्रस्त थे । सारी सड़क रुक गई । रिक्शावाला ताँगे के दोनो पहियों के बीच में पड़ा था, महिला कार के नीचे थी और मोटा लाला सडक पर पडा कराह रहा था । गरीब रिक्योवाले के हल्की चोट ही आई थी । वह फौरन उठ खड़ा हुआ । लाला जी का सिर सड़क से टकरा गया था ।

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उनके आगे के दो दांत भी टूट गये थे । उनके सिर और मुह से बुरी तरह खून बह रहा था । वह सहायता की गुहार कर रहे थे । महिला बेहोश पड़ी थी । उसके कपड़े फट गए थे और सारे चेहरे पर बुरी तरह से खरोचें दिखाई दे रही थीं । उसका दायाँ गाल कट गया था और उससे खून निकल रहा था । उसके हाथ की उंगलियाँ बुरी तरह से कुचल गई थीं ।

भीड़ का व्यवहार:

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दुर्धटना-स्थल को लोगों ने घेर लिया । सभी लोग नवयुवती की सहायता करने को आतुर दिखाई दिये । उसके फटे वसो से झाकते अगों को लोग देखने में मस्त दीख रहे थे । लाला जी की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा था ।

मुझे भीड़ के इस व्यवहार पर बड़ा क्षोभ हुआ । मै लाला की ओर बढ़ा । मैंने बड़ी कठिनाई से रिक्शावाले की मदद से लाला को बैठाया और उनके सिर पर अपना रूमाल कस कर बांध दिया, जिससे उनके सिर का खून निकलना बन्द हो गया ।

इसी बीच ड्‌यूटी का पुलिस वाला आ गया । उसने भीड़ को हटाया और उस महिला तथा लाला जी को अस्पताल पहुँचाया तथा दुर्घटना के बारे में लोगो से पूछताछ की । उसने कार चालक तथा रिक्शा-चालक दोनो को ही हिरासत में ले लिया और दोनों को लेकर पुलिस थाना चल दिया ।

उपसंहार:

अब भीड़ छंटने लगी । सब लोग अपनी-अपनी बाते कर रहे थे । कुछ कार-चालक को दोष दे रहे थे और कुछ रिक्शा-चालक को । कुछ अन्य महिला के प्रति दया प्रकट कर रहे थे । बेचारे लाला जी के बारे में कोई बात नहीं कर रहा था । भारी मन लिए मैं स्टेशन की ओर बढ़ चला । भाग्य से गाड़ी लेट थी । में प्लेटफार्म पर खड़ा अपने मित्र की गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगा ।

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