प्रातःकालीन सैर पर अनुच्छेद | Paragraph on Morning Walk in Hindi

प्रस्तावना:

पिछले कुछ समय से मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । डॉक्टरों ने मुझे हर दिन उषाकाल में प्रतिदिन दो घंटे सैर करने की सलाह दी है । उनका कहना है कि मेरे स्वारस्य सुधरने में दवायें कोई काम नहीं करेंगी ।

नित्यप्रति प्रात:

कालीन सैर से मुझे मेरा खोया हुआ स्वास्थ्य वापस मिल जायेगा और मै जीवन भर रचरथ रहूँगा । मैंने डॉक्टर की सलाह पर अमल मैं पिछले लगभग एक महीने से प्रातःकालीन सैर कर रहा हूँ । मेरे स्वास्थ्य में सुधार हुआ है । मैं डॉक्टरो का आभारी हूँ ।

प्रातःकालीन सैर का समय:

मैं आजकल रोज साढ़े चार बजे सोकर उठ जाता हूँ । नित्यकर्म से निबट कर पाँच बजे मैं सैर को निकल पड़ता हूँ । बाहर निकलने पर ऐसा लगता है कि समूचा शहर निद्रमग्न है । सडक लगभग वीरान-सी दिखाई पड़ती है ।

ठडी-ठंडी वायु चलती है, जो मेरे शरीर को पुलकित कर देती है । चारो तरफ चिडियों की मधुर चहचहाहट सुनाई देती है । मैं ईश्वर का स्मरण करने लगता हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि चिड़िया सृजनकर्ता की याद में गाना गा रही हैं ।

मार्ग के दृश्य:

प्रात:काल का समय हमारे सामने प्रकृति की खुली किताब जैसा लगता है । कुछ दूर के बाद सड़क के दोनो ओर हरी-हरी घास के लम्बे मैदान दिखाई पड़ते है । हरियाली ऑखों को बड़ी ताजगी देती है । घास पर आस की नन्हीं-नन्हीं बूँदे चमकते मोतियों-सी दिखती हैं । मन करता है कि उन्हें अपनी झोली में समेट लूँ ।

कभी-कभी मैं उन्हें हाथ में उठाने का प्रयास करता हूँ लेकिन वे बिखर कर मेरा स्वप्न तोड़ देती हैं । कुछ दूर और जाने पर मुझे लम्बे-चौड़े खेत दिखाई देने लगते हैं । कुछ खेतों में हल लिए किसानों को काम करते देखता हूँ । वे इतने सवेरे से अपने काम में जुट जाते हैं । कुछ दूरी पर मुझे बडे कुँये पर लोग दिखाई देते हैं । उसमें चलती रहट की आवाज बडी कर्ण प्रिय होती है ।

ऊपर आँखें उठाने पर मुझे आश्चर्यभरा आकाश दिखाई देता है । अक्सर आसमान एकदम साफ नीला और शान्त दीखता है । आसमान पर झिलमिलाते तारे देखकर मुझे ऐसा लगता है कि मानों हीरे-जवाहरात बिखर गए हों । कभी-कभी मुझे एक-दो अन्य व्यक्ति सुबह की सैर पर निकले दीख पडते हैं । मैं उनके साथ बातचीत करता आगे बढ़ जाता हूँ ।

मुझ पर प्रभाव:

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प्रकृति के इन दृश्यों और मधुर ध्वनियों का मेरे मन और शरीर पर बड़ा अद्‌भुत प्रभाव पड़ता है । मेरा मन बड़ा प्रफुल्लित और शरीर चुस्त हो जाता है तथा पिछले दिन की सारी थकान ऊब और दुश्चितायें एकदम गायब हो जाती हैं । मुझे पूरा यकीन हो जाता है कि मैंने इस बीच इतनी शक्ति अर्जित कर ली है कि मैं दिनभर का काम सुचारु रूप से कर सकूंगा ।

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लौटते समय : सैर से लौटते समय मुझे प्रकृति का समूचा दृश्य एकदम बदला हुआ नजर आता है । आसमान से सारे तारे गायब हो गए होते हैं और सूरज चमकता हुआ दिखाई पड़ने लगता है । मोती-सी चमकती ओस की बूँदें विलीन हो चुकी होती है ।

चिडियों की चहचहाहट भी नही सुनाई पड़ती । अब आसमान में चिड़ियों के अनेक झुँड उठते दिखाई देते हैं । वे खाने की तलाश में उसी प्रकार निकल पडी दीखती है, जैसे हम सब अपनी रोटी-रोजी के लिए काम पर निकलते हैं ।

प्रातःकालीन सूर्य की सुनहरी धूप पेडो और खेतों पर छाई दिखाई पडती है । समूचा शहर जो दो घण्टे पूर्व सोता हुआ दिखाई पड़ता था, अब उठकर अपने काम पर लगा दिखाई पड़ता है अब तरह-तरह का शोर सुनाई पडता है । मुझे ऐसा लगता है मानों समूची प्रकृति अपने काम पर निकल पड़ी हो । इसीलिए मैं भी अपने दिनभर के काम के बारे में सोचता हुआ घर लौट आता हूँ ।

उपसंहार:

प्रातःकालीन रनैर के अनेक लाभ हैं । इससे फेफडों को शुद्ध वायु मिलती है, रक्त का सचार बढ़ता है और शरीर में स्फूर्ति आती है । शहरों और नगरों के निवासियों के लिए प्रातःकालीन सैर विशेष महत्त्वपूर्ण है ।

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