समय की पवनदी पर अनुच्छेद | Paragraph on Punctuality in Hindi

प्रस्तावना:

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किसी काम को उसके निर्धारित समय पर करना अथवा ठीक समय पर कहीं पहुचना समय की पाबन्दी कहलाता है और जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसे समय का पाबन्द कहते हैं । इस तरह निर्धारित समय का पूरा-पूरा ध्यान रखना ही समय की पाबन्दी है । इसमें यह निहित है कि किसी को न समय से बहुत पहले किया जाये और न बाद में ।

समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता:

हम सभी देखते है कि घड़ी निर्बाध गति से चलती रहती है और समय बीतता रहता है । वह न किसी व्यक्ति की प्रतीक्षा करता है और न किसी काम की परवाह करता है । इससे समय की पाबन्दी का महत्त्व अपने आप रयष्ट हो जाता है ।

मान लीजिये कि हमें किसी काम को सोमवार को प्रात:

आठ बजे करना है और उस दिन हम देर से उठते हैं । घडी आठ बजाकर आगे बढ़ जायेगी और वह समय पुन. लौटकर कभी वापस नहीं आयेगा । इस तरह उस समय काम करने का अवसर हम सदा के लिये गवां देंगे । इसीलिये कहा जाता है कि हमें समय को बाँधकर रखना चाहिये अर्थात् पहले से यह ध्यान रखना चाहिये हमें कब और क्या करना है ।

पाबन्दी की सुलभता:

समय की पाबन्दी एक बहुत बडा सद्‌गुण है । इसका पालन करना कठिन नहीं है । हर व्यक्ति चाहे वह पढ़ा-लिखा हो या निरक्षर बुद्धिमान हो अथवा बेवकूफ, चाहे तो समय का पालन आसानी से कर सकता है ।

उसे केवल ध्यान रखने की आवश्यकता होती है । आलसी आदमी अपने कर्त्तव्य ठीक समय पर पूरे नहीं कर सकता । लापरवाही और काम को टालने की आदत समय की पाबन्दी के घोर शत्रु हैं । इनसे बचकर ही समय की पाबन्दी की आदत डाली जा सकती है ।

लाभ:

समय की पाबन्दी से हम बड़ी आसानी और सरलता से निश्चित समय पर अपना काम बिना किसी हड़बड़ाहट के पूरा कर सकते हैं । ऐसा करने में हमे व्यर्थ की जल्दबाजी नहीं करनी पड़ती । समय की बरबादी तो बचती है, साथ ही श्रम और धन की बचत भी होती है । समय की पाबन्दी से हम अपना काम सुचारु रूप से भली-भाँति पूरा कर सकते है । इस सद्‌गुण के द्वारा जीवन के हर क्षेत्र में आसानी से सफलता मिल सकती है ।

ठीक समय पर काम करने से मन भी बड़ा प्रसन्न और प्रफुल्लित रहता है और हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है । लेट-लतीफ जीवन मे शायद ही सफल हो पायें । हानियाँ समय के ठीक समय से उपयोग न करने से अनेक प्रकार की हानियाँ बरबादी और असफलता का सामना करना पड़ता है ।

निर्धारित समय पर परीक्षा भवन में न पहुंचने अथवा इंटरव्यू में देर से पहुंचने पर प्राय: असफलता ही हाथ लगती है । न जाने कितने अवसर समय निकाल देने से खो जाते हैं । जीवन में सफलता के मौके बहुत कम मिलते हैं ।

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यदि उनसे हम लापरवाही के कारण चूक गये तो जीवनभर पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं लगता । समय की पाबन्दी न होने से बहुमूल्य समय, श्रम और धन की हानि होती है, मन हतोत्साहित होता है और निराशा आती है । अंतत: हमारा आत्मविश्वास खोने लगता है ।

भारत में समय की स्थिति:

भारत में समय की पाबन्दी पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है । यही एक आध घन्टे की देरी को देर की देरी नहीं माना जाता । व्यग्यात्मक रूप में जब हम किसी को ठीक समय पर आने के लिए कहते हैं, तो यह कह कर जोर देते हैं कि भारतीय समय से नहीं, अग्रेजी समय से आना है ।

इसका अर्थ यह है कि भारतीय स्वाभावत: लेट पहुचने वाले लोगो की संख्या बहुत बड़ी होती है । हमारे यहां शायद ही कोई समारोह या सार्वजनिक मीटिंग पूर्व-घोषित समय पर प्रारम्भ होती हो । हमारे नेतागण तक पहले से निर्धारित समय का बहुत कम पालन करते हैं ।

सामाजिक महत्त्व:

समय की पाबन्दी का सार्वजनिक महत्त्व भी है । समय का पाबन्दी करके व्यक्ति अपना समय और असुविधा तो बचाता ही है, बल्कि के व्यक्ति समाज में आदर र्को दृष्टि से देखे जा सकते हैं और सहज ही दूसरों का विश्वास जीत लेते हैं ।

उपसंहार:

समय की पाबन्दी सफलता का मूल मंत्र है । प्रत्येक क्षेत्र, व्यवसाय और पेशों में समय की पाबन्दी के द्वारा आसानी से उन्नति की जा सकती है । बचपन से ही बच्चों में इसकी आदत डालनी चाहिए । माँ-बाप को अपने बच्चों के सामने समय की पाबन्दी का उदाहरण पेश करके उन्हें भी ऐसा करने के लिए आसानी से प्रेरित किया जा सकता है । अध्यापको को भी इस दिशा में आदर्श प्रस्तुत करके विद्यार्थियो को इसका महत्त्व समझाना चाहिए । यदि देश के सभी लोग समय की पाबन्दी करना सीख ले, तो समूवे राष्ट्र का कल्याण हो जायेगा ।

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