महात्मा बुद्ध पर निबन्ध | Essay for Kids on Mahatma Budha in Hindi!

1. भूमिका:

भारत की पवित्र भूमि पर सत्य, अहिंसा ओर सादगी का संदेश देने वाले धर्म प्रवर्त्तक महापुरुषों में एक पूजनीय नाम है महात्मा बुद्ध । उन्होंने जिस ज्ञान का प्रचार किया, वही आगे चलकर बौद्ध धर्म कहलाया, जिसमें जीवन की बुराइयों से मुका होकर जीवन का सच्चा आनन्द प्राप्त करने का उपाय बताया गया है ।

2. जन्म और शिक्षा:

आज से करीब तीन हजार वर्ष पूर्व नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था । उनके पिता थे महाराज शुद्धोदन तथा माता थीं महारानी महामाया । गौतम बुद्ध का नाम बचपन में सिद्धार्थ रखा गया ।

कुछ दिनों बाद माता का देहांत हो जाने के कारण सिद्धार्थ का पालन-पोषण उनकी मौसी गौतमी करने लगी जिससे उनका नाम गौतम पड़ गया । बचपन में ही सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा से हुआ । उनकी शिक्षा का प्रबंध राजमहल में ही कर दिया गया किन्तु उनका मन न तो शिक्षा पाने में, न राजकर्म में और न ही राग-रंग में लगता था ।

बचपन से ही गौतम एकांतप्रिय थे । वे सदा यही सोचा करते थे कि जीवन में नाना प्रकार के कष्ट क्यों होते हैं और कोई प्राणी मरता क्यों है ? इन्हीं प्रश्नों से व्याकुल होकर वे एक रात अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को सोता हुआ छोड्‌कर चुपचाप राजमहल से निकल गये और राजगृह नामक स्थान पर पहुँच गये ।

3. कार्यकलाप:

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राजगृह पहुँचने पर वहाँ के राजा बिम्बिसार (सम्राट् चन्द्रगुप्त के पुत्र) ने उन्हें अपने महल में रहने का अनुरोध किया किन्तु उन्हें किसी सुख का लोभ नहीं था । वे सत्य की खोज में निकले थे ।

अत: गया पहुंचकर एक वट-वृक्ष के नीचे उन्होंने छ: वर्षों तक कठोर तपस्या की, जहाँ बैशाखी पूर्णिमा के दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ । इसी कारण उस वट-वृक्ष का नाम बोधि वृक्ष पड़ गया और गौतम उस दिन से गौतम बुद्ध बन गये ।

स्थान का नाम भी ‘बोधगया’ हो गया । इसके पश्चात् वे वाराणसी के समीप सारनाथ पहुँचे और अपने ज्ञान का प्रचार आरम्भ किया । उन्होंने बताया कि लोभ, लालच, इच्छा आदि ही सभी दुखों के कारण हैं और अच्छे विचार, दृढ़संकल्प (Determination) बिल्लाह ।

अच्छा बोलने, अच्छे कर्म और अच्छे उपाय से सभी कष्ट समाप्त होते हैं । ये उपदेश सुनने में जितने सरल हैं, प्रयोग में उतने ही कठिन भी हैं । वे एक बार वैशाली की नगरवधू आम्रपाली के अतिथि भी रहे । उनकी शिक्षाएँ उनके शिष्यों ने ‘धम्मपद’ नामक ग्रथ में संकलित की । उनका निर्वाण 80 वर्ष की अवस्था में हुआ ।

4. उपसंहार:

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आज महात्मा बुद्ध हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनकी शिक्षाएँ बौद्ध धर्म के रूप में चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका सहित संसार के अनेक देशों में याद की जाती हैं । भारत में बोधगया पावापुरी तथ दिल्ली-गुड़गांव मार्ग पर बुद्धजयंती पार्क और बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार सदा महात्मा बुद्ध की याद दिलाते रहेंगे ।

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