विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर अनुच्छेद | Article on Science is a Blessing or a Curse in Hindi!

विज्ञान मानव के लिए कामधेनु है, कल्पत: है । यह प्राणिमात्र के लिए अमृत-कुण्ड है, जीवनदायिनी शक्ति का पुंज है, प्रकृति की गुप्त निधियों के द्वारा खोलने की वुंफजी है, विश्व को पारिवारिक रूप प्रदान करने का माध्यम है । वस्तुत: विज्ञान मानव-कल्याण का नेत्र है, जो अहर्निश मानव-कल्याण की चिन्ता में ध्यानस्थ है ।

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विज्ञान ने मनुष्य को अपरिमित शक्ति प्रदान की । प्रकृति को उसकी चेरी बनाया ऐश्वर्य और वैभव उसके चरणों में उँडेल दिए काल तथा स्थान की बाधएँ मिटा दीं । अन्धें को आँखें दीं । बहरों को सुनने की शक्ति दी । पंगु को पैर दिए । जीवन को दीर्घायु बनाया । भय को कम किया । पागलपन को वंश में किया । रोग को रौंद डाला ।

आज का विश्व विज्ञान के दृढ़ स्तम्भ पर टिका है । अत: आज का युग ‘विज्ञान का युग’ कहलाता है । प्रतिदिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार संसार में नूतन क्रान्ति कर रहे हैं । आज मानव-जीवन के प्रत्येक क्षेत्रा में विज्ञान-देवता अपना आधिपत्य जमा चुके हैं । उनकी आशातीत उन्नति से आज सभी चमत्कृत हैं । विज्ञान की इस महत्ता का एकमात्र कारण है- विज्ञान द्वारा प्रदत्त आावष्कार ।

विज्ञान की इस आशातीत उन्नति और सर्वव्यापकता का श्रेय पिछली चार शताब्दियों का है, जिनमें क्रमश: जर्मनी, जापान, इंग्लैंड, रूस, अमेरिका आदि देश एक-से बढ़कर एक आश्चर्यजनक आविष्कार करके विज्ञान को चरम-सीमा तक पहुँचा रहे हैं । विज्ञान के इन आविष्कारों को दैनिक जीवन सम्बन्धी, शिक्षण, चिकित्सा, यातायात, संचार संबंधी आदि अनेक वर्गों में बाँटा जा सकता है ।

यातायात-साधनों के विकास ने जहाँ मानव को सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम-से-कम समय में पहुँचाया, वहाँ सम्पूर्ण विश्व एक राष्ट्र-सा लगने लगा । साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, बस, रेल, वायुयान, जलयान आदि वाहन बने । यातायात सरल हुआ, सुगम हुआ और हुआ द्रुतगामी । मीलों का सफ्फर मिनटों में तय होने लगा । पृथ्वी-पुत्रा मानव चन्द्रमा, शुक्र-ग्रह एवं मंगल-ग्रह तक पहुँचने का दम भरने लगा ।

अन्धकार में प्रकाश हुआ, अमावस पूनम में बदली । विद्युत ईंधन बना । पंखे, कूलर, हीटर, वातानुकुलन के यन्त्रा बने । रेडियो, टेलीविजन-रेडियोग्राम, लाउडस्पीकर सिनेमा आदि संचार और मनोंरजन के माध्यम बने । इन आविष्कारों से मानव-जीवन सरल, सुविधा-सम्पन्न ज्ञानवर्धक और मनोरंजनपूर्ण बना । विश्व में घटित घटनाओं के सजीव चित्र घर की चारदीवारी में बैठे टेलोविजन पर देखने को मिले । चलचित्र द्वारा मनोंरजन हुआ ।

मुद्रण-विज्ञान का क्षेत्रा व्यापक हुआ । पुस्तकों के द्वारा मानव शिक्षित हुआ, ज्ञानी हुआ, आगामी पीढ़ी के लिए ज्ञान का भण्डार सुरक्षित रख सका । मुद्रण-कला ने ही समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं को भी जन्म दिया । विश्व के ताजा समाचार और ज्ञानवर्धक सामग्री मानव के ज्ञान-कोष के विकास में सफल हुए ।

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चिकित्सा-क्षेत्र में विज्ञान की सफलता अद्भुत है, आश्चर्यजनक है । इंजेक्शन, एक्स-रे, रेडियम एवं विद्युत-चिकित्सा ने मृतक समान मानव को प्राणदान दिया । छोटी-मोटी शल्य-क्रिया की बात छोड़िए, आज तो हृदयारोपण तक में सफलता प्राप्त हो रही है । मशीन जिग का काम करने लगी है । कुत्रिम गर्भाधन से ‘ट्‌यूब बेबी’ जन्म लेता है ।

समाचार भेजने के क्षेत्र में विज्ञान ने अद्‌भुत योगदान दिया । टेलीफोन, तार, बेतार का तार, टेलेक्स, फैक्स और रेडियों से तुरन्त समाचार पहुँचने लगे । विज्ञान ने हमारे घरेलू जीवन को प्रभावित किया । बिजली तथा गैस भोजन बनाने लगीं । सिलाई की मशीन कपड़े सीने लगीं । पिसाई की मशीनें बनीं । जुराब, बनियान और स्वैटर बुनने की मशीनें मिनटों में परिधान तैयार करने लगीं ।

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संसार में विशाल भीमकाय मशीनों का जाल, बिछा पड़ा है । वे दिन-रात मानव-सुविधाओं को जुटाने में लगी हैं । नद-नदियों का जलभूमि-सिंचन और पीने के काम आ रहा है । ट्रैक्टर भूमि को जोत रहे हैं । तन ढ़कने के लिए बढ़िया-से-बढ़िया उफनी, सूती रेशमी वस्त्र तैयार हो रहे हैं और तो और, मानव-मस्तिष्क का काम भी लोहे की मशीन ‘कम्प्यूटर’ करने लगा है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने आकाश की विशाल छाती को फाड़ा समुद्र की अतल गहराई को नापा, अलंय पर्वतों को वश में किया, प्रकृति को मानव की दासी बनाया । कुछ लोग विज्ञान को मानव के लिए अकल्याणकारी भी मानते हैं । उनका कहना है कि एक ओर विज्ञान द्वारा निर्मित अस्त्र-शस्त्र और बम नागासाकी और हिरोशिमा जैसे सुन्दर नगरों को खण्डहरों में बदल देते हैं ।

दूसरी ओर, यान्त्रिक उन्नति ने मानव को आलसी, सुरत और निकम्मा बना दिया है । तीसरी ओर, यान्त्रिक खराबी और मानव की जरा-सी भूल जीवन को नष्ट कर देती है, पदार्थ का अस्तित्व समाप्त कर देती हे । नभ में उड़ता विमान जरा-सी यान्त्रिक खराबी से यात्रियों को परलोक में पहुँचाकर धूल चाटने लगता है ।

बिजली के नंगे तार पर भूल से हाथ लगा और मृत्यु से साक्षात्कार हुआ । खाना पकाने की गैस रिसी नहीं कि आग लगते देर नहीं लगती । नगरों में प्रदूषण की समस्या विज्ञान की देन है, जिसके कारण न रचच्छ वायु मिल पाती है और न शुद्‌ध भोजन प्राप्त होता है ।

सच्चाई यह है कि आज सभी राष्ट्रों का अधिकांश बजट वैज्ञानिक उन्नति द्वारा मानव को स्वस्थ, सुखी, समृद्‌ध और जीवन को सर्वाधिक आनन्दप्रद बनाने पर खर्च हो रहा है । भूमि जल तथा नभ के विस्फोटों द्वारा हो या नभ के उपग्रह की स्थापना द्वारा, विज्ञान मानवीय कल्याण में अग्रसर है । ईश्वर की तीनों शक्तियों ब्रह्म, विष्णु तथा महेश को विज्ञान आज अपने हाथों में ले रहा है- मानव के सुख, समृद्‌धि और कल्याण के लिए ।

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