List of most popular scientist of the World!

Contents:

  1. गैलिलियो गैलिली |
  2. आइजक न्यूटन |
  3. जेम्स वाट |
  4. चार्ल्स डार्विन |
  5. थॉमस अल्वा एडीसन |

Popular Scientist of the World

1. गैलिलियो गैलिली |  Galileo Galilei

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म परिचय ।

3. उनके आविष्कार ।

4. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

गैलिलियो गैलिली विश्व के आविष्कारकों में अपने गति सम्बन्धी नियम, गुरात्चाकर्षण व दूरबीन सम्बन्धी आविष्कार के लिए जाने जाते हैं । गैलिलियो को अपने इस आविष्कार के लिए प्राणों का बलिदान देकर मूल्य चुकाना पडा । विश्व को उन्होंने अपनी इस महत्त्वपूर्ण खोज के द्वारा जो महान देन दी, वह अमूल्य है ।

2. जन्म परिचय:

गैलिलियो का जन्म 15 फरवरी, 1564 को इटली के पीसा नामक शहर में हुआ था । उनके पिता का नाम विन्सेज्जो गैलिली था । जो एक संगीतज्ञ थे । उनकी माता जूलिया थी । सात भाई-बहिनों में गैलिलियो सबसे बड़े थे ।

उनका परिवार अत्यन्त गरीब था । बचपन की शिक्षा उन्होंने पलोरेंस नगर में प्राप्त की । जब बड़े हुए, तो उन्होंने अपने पिता के काम में हाथ बंटाया । उनके पिता ने उन्हें प्रतिभावान जानकर उनकी पढ़ाई पुन: शुरू करा दी ।

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1581 में उन्होंने चिकित्सा विज्ञान में प्रवेश लेकर अपने पढ़ाई जारी रखी । चिकित्साशास्त्र में उनकी रुचि न होकर वैज्ञानिक आविष्कार की दिशा में अधिक थी । गैलिलियो के पिता का देहान्त 1591 में हो गया ।

बड़े होने के कारण गाता तथा भाई-बहिनों का दायित्व गैलिलियो पर आ पड़ा । भयंकर आर्थिक तंगी के बीच गैलिलियो को अपनी बहिनों की शादी हेतु दहेज राशि जुटाना बहुत कठिन पड़ा । इटली में उस समय दहेज की कुप्रथा प्रचलित थी ।

गैलिलियो ने आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए ट्‌यूशन के साथ-साथ कपड़े की दुकान, सर्वेउपकरण और गणित उपकरण की दुकान खोली, जिससे उन्हें आर्थिक लाया हुआ । इन पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच गैलिलियो अध्ययन और अध्यापन में जुटे रहे ।

3. उनके आविष्कार:

4 अप्रैल, 1597 में गैलिलियो ने एक ऐसी दूरबीन बनायी, जो 32 गुना विशाल देख लेती थी । अपनी दुकान से गैलिलियो ने 1609 में उसकी बिक्री प्रारम्भ कर दी । उस समय जो दूरबीन बिक रही थी, वह कुछ दूरी तक देखने के काम आती थी ।

गैलिलियो की दूरबीन तो आकाश का निरीक्षण करने में शी सफल थी । इस दूरबीन से उसने यह साबित किया कि सूर्य में धब्ये हैं । आकाशगंगा तारों का झुण्ड है । बृहस्पति ग्रह के कई उपग्रह हैं । कैथोलिक धर्म में विश्वास रखने वाले होगो ने गैलिलियो के दूरबीन सम्बन्धी आविष्कार की बहुत आलोचना की । बाइबिल में यह लिखा गया था कि सूर्य घूमता है । पृथ्वी स्थिर है ।

गैत्तिलियो ने इस सिडाना का विरोध करते हुए यह साबित किया कि पृथ्वी घूमती है । गैलिलियो ने अपनी पुस्तक में इन सिद्धान्तों को विस्तारपूर्वक लिखा था । गैलिलियो के इस सिद्धान्त पर उनके विरोधियों ने मुकदमा चलाया, जिसका मकसद गैलिलियो को दोषी साबित कर उन्हें प्राणदण्ड देना था; क्योंकि वे बाइबिल में पृथ्वी तथा सूर्य के सम्बन्ध में लिखी हुई गलत बातों को स्वीकार नहीं करना चाहते थे ।

धर्म विरोधी मानकर गैलिलियो पर मुकदमे चलने लगे । विश्वविद्यालय की शिक्षा के दौरान एक बार गैलिलियो इटली के पीसा नगर के गिरिजाघर के पास से गुजर रहे थे, उन्होंने देखा कि एक आदमी हाथों में तेल का पीपा लिये सड़क के लैम्प-पोस्ट के पास रुका ।

पोरट के ऊपर लटक रही हाण्डी को उसने रस्सी के सहारे नीचे उतारा । उसमें तेल भरा । उसे जलाकर हाण्डी में रखा और हाण्डी का ढक्कन बन्द कर लैम्प जलाकर फिर रस्सी के सहारे से ऊपर चढा दिया । बालक ने देखा कि वह हाण्डी जितना बायीं ओर हिलती थी, उतनी ही दायीं ओर भी हिलती थी ।

दोनों दिशाओं के जाने का समय दर्ज कर उसने पेण्डुलम के सिद्धान्त का प्रतिपादन कर डाला । इसके सौ साल बाद हालैण्ड के वैज्ञानिक हाइजन ने पेण्डुलग घड़ी का आविष्कार किया । विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए गैलिलियो ने यह फैसला ले लिया कि वह गणित व भौतिक विज्ञान ही पढ़ेंगे ।

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विश्वविद्यालय की फीस अदा न करने के कारण उन्हें पढ़ने से वंचित कर दिया गया । पलोरेंस लौटकर उन्होंने हाण्डी वाली घटना को याद कर उसका सम्बन्ध घड़ी से जोड़ा । यदि घड़ी में कोई चीज लटकाई जाये, तो वह घड़ी की टिकटिक के साथ हिलती रहेगी ।

पेण्डुलम की गति धीमी होगी, तो समझ लो कि वह रुकने वाला है । रुकने का अर्थ होगा-घड़ी में चाबी भरनी होगी । शरीर की नाड़ी की गति घड़ी की टिकटिक की गति से मिलाकर देखें कि वह गति घड़ी की टिकटिक से कम या ज्यादा है, तो हमारे शरीर की गति सामान्य नहीं है । व्यक्ति अस्वस्थ है ।

नाड़ी की तेज और धीमी गति चिकित्सा की दृष्टि में बीमारी का लक्षण है । मानव शरीर की चिकित्सा के लिए गैलिलियो की यह खोज बहुत काम आयी । उन्होंने इसकी जांच के लिए जो यन्त्र बनाया, उसका नाम पल्समीटर था ।

गैलिलियो ने अपनी एक महत्त्वपूर्ण खोज में अरस्तू के उस सिद्धान्त को गलत बताया कि यदि पृथ्वी पर ऊपर से कम भार वाली और अधिक भार वाली वस्तुओं को एक साथ गिराया जाये, तो अधिक भार वाली वस्तु जल्दी गिरेगी । पीसा की मीनार पर चढ़कर उन्होंने अधिक और कम भारवाले गोलों को एक साथ गिराया ।

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इस ऐतिहासिक प्रयोग को देखने के लिए धार्मिक नेता, वैज्ञानिक, अध्यापक, बुद्धिजीवी एकत्र थे । लोगों ने स्पष्ट देखा कि दोनों गोले एक साथ नीचे आ गिरे । इस तरह अरस्तु के सिद्धान्त के गलत साबित होने पर लोगों ने उनकी प्रशंसा की बजाय उनकी घोर निन्दा की ।

उन्हें घमण्डी, बुजुर्गों की निन्दा करने वाला बताया दुखी गैलिलियो ने आविष्कार व खोज का रास्ता नहीं छोड़ा । अपनी दूरबीन द्वारा आकाश में होने वाली चमत्कारिक घटनाओं को गैलिलियो ने बताकर खगोल विद्या के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सिद्धान्त प्रतिपादित किये, जिसमें ध्वनि, प्रकाश रंग तथा विश्व की बनावट पर तर्कपूर्ण विचार शामिल थे ।

1611 में दूरबीन के आविष्कार के लिए गैलिलियो को सम्मानित किया गया था । गैलिलियो ने 1585-86 में एक हाइड्रोस्टैटिक बैलेंस तैयार किया । इससे विभिन्न तरल पदार्थो के गुणों का अनुमान लगाना आसान हो गया । 3 वर्ष के पश्चात् उन्होंने ठोस पदार्थो की गति के नियमों का प्रतिपादन किया । उनके आविष्कारों के कारण उन्हें आधुनिक आर्कमिडीज कहा जाने लगा ।

4. उपसंहार:

1632 में गैलिलियो ने जब अपने शोधयथ में सूर्य को ब्रह्माड का केन्द्र बताया, पृथ्वी को नहीं और पृथ्वी को अस्थिर तथा सूर्य को स्थिर बताया, तो उन पर कट्टरपन्धियों द्वारा धर्मविरोधी कहकर आक्षेप लगाये गये । उन्हें 8 वर्षों के लिए नजरबन्द कर दिया गया था ।

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इस दौरान उन्होंने अपना सृजन क्रम जारी रखा । 1637 में वे पूर्णत: नेत्रहीन हो चुके थे । 8 जनवरी, 1642 को उन्हें बुखार ने जकड़ लिया । इस तरह इस महान् वैज्ञानिक का निधन हो गया । गैलिलियो ने अपने गति सम्बन्धी तथा गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी जो नियम प्रतिपादित किये, उसी को न्यूटन ने आगे बढ़ाया । जीवन के अन्तिम क्षण उनके लिए दुःखदायी रहे ।


2. आइजक न्यूटन |  Isaac Newton

1. प्रस्तावना

2. जन्म परिचय व उपलब्धियां

3. उपसंहार

1. प्रस्तावना:

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सर आइजक न्यूटन ने 3 क्रांतिकारी खोजें कीं, जिनमें प्रकाश सम्बन्धी नियम, द्रव्य स्थिति व गुरुत्वाकर्षण, डिफरेंशियल कैल्कुलस हैं । उन्होने जो प्रमुख सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था, उसे गुरुत्वाकर्षण कहा जाता है ।

गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त के अनुसार विश्व की समस्त प्रकृतिक शक्तियां-सूर्य, पृथ्वी, ग्रह, नक्षत्र, तारे-स्थिर और गतिमान रहते हैं । इस महान खोज के लिए तथा खगोल विज्ञान से सम्बन्धी उनकी खोजों के लिए न्यूटन हमेशा जाने जाते रहेंगे ।

2. जन्म परिचय व उपलब्धियां:

न्यूटन का जन्म लिंकनशायन के निकट श्लथोप में 25 दिसम्बर, 1642 को हुआ था । उनके पिता हन्नाह न्यूटन एक मामूली किसान थे, जो न्यूटन के जन्म से दो माह पूर्व ही चल बसे थे । जब न्यूटन की अवस्था 3 वर्ष थी, तो उनकी माता ने गरीबी और मजबूरी के कारण दूसरा विवाह कर लिया और न्यूटन को उनकी दादी की देखरेख में छोड्‌कर नये पादरी पति के साथ चली गयी ।

दादी के लाड-प्यार में बड़े हुए न्यूटन का मन पढ़ाई में नहीं लगता था । उन्हें तो फूलों-पत्तों को एकत्र करने, मशीनों के कलपुर्जो की जानकारी पाने में आनन्द बता था । शरीर से कमजोर होने के कारण उनके मन में हीनता की भावना पैदा हो गयी थी ।

पादरी पति की मृत्यु होने पर न्यूटन की मां ने उन्हें खेती करने के लिए अपने पास बुलवा लिया । न्यूटन का खोजी मन खेती बजाय गणित और अन्य आविष्कारों में लगा रहता था । आइजक के मामा ने जब उनकी यह दशा देखी, तो उसने अपनी बहिन से सहमति लेकर उन्हें फूल में भरती करवा दिया ।

मां के एक परिचित क्लार्क दम्पत्ति के साथ रहते हुए न्यूटन ने 5 जून 1661 को मैट्रिक उत्तीर्ण करने के उपरान्त कैम्तिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला ले लिया । 1665 बी॰ए॰ की उपाधि प्राप्त की । उनके गणित के प्राध्यापक मिस्टर बैरी ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया ।

न्यूटन ने बाइनोमिनल प्रमेय की खोज 1666 में की । वक्र रेखाओं तथा ठोस पदार्थो से सम्बन्धित कछ नियमों का उद्‌घाटन किया । प्लेग और महामारी के फैलने से न्यूटन विश्वविद्यालय छोड़कर गांव आ गये । एक दिन बाग में खाली बैठे-बैठे न्यूटन कुछ सोच रहे थे, तभी सेब के वृक्ष से एक सेब उनके सिर पर आ गिरा ।

इसे उठाकर वे सोचने लगे कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा? ऊपर की ओर क्यों नहीं गया ? न्यूटन की इस बात को किसी ने गम्भीरता से नहीं लिया । उन्होंने यह बात अपनी भतीजी केथरिन को बतायी और यह भी बताया पृथ्वी उसे खींच रही है ।

पृथ्वी ही नहीं सूर्य, चांद तारों में मी यह शक्ति होती होगी ? लगातार सोचते हुए न्यूटन ने सूर्य के चारों ओर निश्चित धुरी पर चक्कर लगाने वाले ग्रहों के सरबन्ध में गुरुत्वाकर्षण के नियम को प्रतिपादित कर दिखाया ।

उन्होंने एक रस्सी में गेंद बांधकर गोल-गोल घुमाया । बॉल के दूरी पर गिरते ही उन्होंने पृथ्वी की चन्द्रमा से दूरी का उघकलन किया । यह बताया कि दो वस्तुओं के बीच दूरी के वर्ग के उलट अनुपात में गुरात्वाकर्षण बल होता है । समुद्र में उठने वाला ज्वार और लहरें मी सूर्य और चन्द्रमा के गुरुत्चाकर्षण से आते हैं ।

सन् 1667 को न्यूटन कैरिज वापस आ पहुंचे । प्रोफेसर बैरो के अवकाश ग्रहण करने के उपरान्त 26 वर्ष की अवस्था में वे वहां के प्रोफेसर नियुक्त हुए । न्यूटन को दूरबीन से तारे देखने में काफी रुचि थी । वे चाहते थे कि ऐसी दूरबीन का निर्माण करें जो अत्यन्त बारीकी से सटीक अध्ययन कर सकेरे । इसी विचार से उन्होंने शीशों के लेंसों को बार-बार घिसा और उन्हें विभिन्न आकारों में ढाला ।

उन्होंने एक नयी दूरबीन तैयार की थी, जिसे रिपलेक्टिंग टेलीस्कोप कहा । इसमें प्रकाश को लैस के बजाय शीशे के द्वारा एकत्रित किया गया । उनके इस आविष्कार की चर्चा रॉयल सोसाइटी तक जा पहुंची थी । इस सोसाइटी द्वारा वे फैलो चुने जा चुके थे ।

न्यूटन ने प्रिज्य की तरह लैस के किनारों को प्रयुक्त किया था, जिससे सफेद प्रकाश की सामान्य किरणें अनेक रंगों में बदल जाती थीं । ऐसे में परेशान होकर उन्होंने रंगों की उत्पत्ति का कारण ढूंढा । उन्हें ज्ञात हुआ कि सामान्य प्रकाश की किरणें जब एक ब्रिज से होकर गुजरती हैं, तो वे सात रंगों में बंटकर अलग-अलग दिखाई पड़ती हैं ।

इन रंगीन किरणों को उन्होंने दूसरे प्रिज्मों से निकलने दिया, तो पाया कि रंगों की किरणों का पद थोड़ा बदलता है, पर कोई नया रंग नहीं निकलता । उन्होंने साबित किया कि सफेद प्रकाश वस्तुत: सात रंगों का मिश्रण है । सभी रंग अलग-अलग हैं । मौलिक हैं, मिश्रण नहीं ।

इन्द्रधनुष का कारण भी सरल भाषा में समझाया । न्यूटन द्वारा तैयार की गयी दूरबीन-जो 9 इंच लम्बी, 2 इंच शीशे से बनी थी अत्यन्त लोकप्रिय हुई । न्यूटन के सिद्धान्तों पर काफी बहसें हुईं, किन्तु न्यूटन ने सभी को सप्रमाण साबित कर दिखाया ।

उनकी इस विधि का नाम विज्ञान विधि भी पड़ा । न्यूटन ने यह भी पता लगाया कि ज्वलनशील पदार्थ की किरणें 1 लाख 86 हजार मील प्रति सैकण्ड की गति से खाली स्थान में चलती हैं । प्रकाश की किरणें पारदर्शी माध्यम से गुजरते समय परावर्तित हो जाती हैं, जो आपार करती हैं, उनका पथ बदल जाता है ।

सन 1684 तक न्यूटन ने अपने सारे सिद्धान्तों का प्रमाण प्रस्तुत कर दिया । उनका नाम सोसाइटी के रजिस्टर में दर्ज हो गया । न्यूटन ने धार्मिक विरोधों का भी सामना किया । उनके द्वारा लिखी पुस्तक फिलासोफिया नेचुरालिस प्रिसिपिया मैथेमेटिका अर्थात् प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धान्त है ।

1687 को इस पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही न्यूटन की प्रतिष्ठा भी बढ़ गयी । 1689 में वे संसद सदस्य चुने गये । 1690 से लेकर 92 तक वे गणित सम्बन्धी शोध में जुटे रहे । इसी बीच उन्हें मानसिक बीमारी हो गयी थी । सामान्य होने पर उन्होंने अपना शोधकार्य जारी रखा ।

1697 में उनके द्वारा हल किये गये गणितीय सूत्र उनकी प्रतिभा के प्रमाण थे । सन 1705 में न्यूटन को सर की उपाधि से सम्मानित किया गया । उनकी पुस्तकों के कई संस्करण छपे ।

1727 में न्यूटन फिर बीमार पड़े । उन्हें पथरी की बीमारी हो गयी थी । 20 मार्च 1727 को न्यूटन को मृत्योपरान्त वेस्ट मिस्टर में दफनाया गया ।

3. उपसंहार:

सर आइजक न्यूटन ने अपनी प्रकाश सम्बन्धी, गुरुत्वाकर्षण तथा गणितीय खोजों से समस्त विश्व को एक नया ज्ञान दिया । अपने जीवन का पूरा समय महान् खोजों और आविष्कार को देने वाले न्यूटन आज भी संसार के महान वैज्ञानिकों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं ।


3. जेम्स वाट | James Watt

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

जेम्स वाट एक ऐसे आविष्कारक थे जो वैज्ञानिक तथा अभियान्त्रिकी क्षेत्र की समन्वित क्षमता के धनी व्यक्ति थे । जेम्स वाट ने जो वाष्प इंजन सम्बन्धी खोज की, उससे संसार को ऊर्जा तथा ऊष्मा की क्षमता का परिचय हुआ । औद्योगिक क्रान्ति लाने में वाट की यह खोज महान एवं उपयोगी साबित हुई है ।

2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां:

जेम्स वाट का जन्म रकाटलैण्ड के ग्रीनांक नामक स्थान में 19 जनवरी, 1736 में हुआ था । उनके पिता एक सफल जलपोत, भवन निर्माता होने के साथ-साथ नगर के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । वाट ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में ग्रहण की ।

वे अपने 8 भाई-बहिनों में छठे थे । कुछ समय बाद ग्रामर में दाखिल होने के बाद उन्होंने लेटिन तथा यूनानी भाषा के साथ-साथ गणित का भी अध्ययन किया । जब वे 17 वर्ष के थे तब से पिता के साथ-साथ वर्कशॉप में जाकर मशीनरी सम्बन्धी कार्यो में दिलचस्पी लेने लगे ।

मशीन सम्बन्धी समस्त छोटे-बड़े उपकरणों तथा जलपोतों के अवयवों में रुचि लेने लगे । सर्दी की एक रात में बालक जेम्स ने अंगीठी पर चढ़े पतीले को देखा, जिसका पानी उबल रहा था । जेम्स ने देखा कि केतली का ढक्कन भाप की वजह से बार-बार ऊपर उठ रहा है ।

उन्होंने भाप की शक्ति को पहचानकर उसका उपयोग करने की योजना बनायी । 1753 में माता के अचानक देहावसान तथा पिता के व्यापार में घाटे ने उनके जीवन की दशा ही बदल दी । उन्हें अपरेंटिस का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा ।

इसके बाद पेट भरने के लिए एक घड़ी निर्माता के यहां काम करने के साथ कई छोटे-मोटे कार्य भी करने पड़े । 1757 में जेम्स ने अपनी छोटी-सी वर्कशॉप बना ली, जिसमें वह यान्त्रिक उपकरण ठीक करने लगे । इसी बीच उन्हें गुप्त ताप की खोज की घटना के बाद भाप सम्बन्धी शक्ति का ध्यान हो आया ।

उन्हीं दिनों विश्वविद्यालय में एक धीरे-धीरे काम करने वाला अधिक ईधन लेने वाला एक इंजन मरम्मत के लिए आया । जेम्स ने इसे सुधारने का बीड़ा उठाया और उन्होंने उसमें लगे भाप के इंजन में एक कण्डेन्सर लगा दिया, जो शून्य दबाव वाला था, जिसके कारण पिस्टन सिलेण्डर के ऊपर नीचे जाने लगा ।

पानी डालने की जरूरत उसमें नहीं थी । शून्य की स्थिति बनाये रखने के लिए जेम्स ने उसमें एक वायुपम्प लगाकर पिस्टन की पैकिंग मजबूत बना दी । घर्षण रोकने के लिए तेल डाला तथा एक रटीम टाइट बॉक्स लगाया, जिससे ऊर्जा की क्षति रुक गयी ।

इस तरह वाष्प इंजन का निर्माण करने वाले जेम्स वाट पहले आविष्कारक बने । जेम्स वाट का जीवन काफी संघर्षो से भरा था । उनकी पहली पत्नी का निधन हुआ । सौभाग्य से दूसरी पत्नी अच्छी मिली ।

अपने इंजन में और सुधार करते हुए जेम्स ने इसे खदानों से पानी निकालने के लिए भी काम में लिया । 1790 तक जेम्स वाट एक धनवान् व्यक्ति बन गये थे । जेम्स ने अपने भाप के इंजन में समय-समय पर बहुत से सुधार किये ।

उन्होंने सेंट्रीपयूगल गवर्नर लगाकर घूमते इजन की गति को नियन्त्रित किया । भाप के दबाव को दर्ज तथा आयतन के अनुपात को दर्ज करने के लिए एक ऐसा संकेतक बनाया, जिसे थर्मोडायनामिक्स कहते हैं । जेम्स वाट को उनकी खोजों के लिए रॉयल्टी के तौर पर 76 हजार डॉलर पेटेन्ट से मिले ।

धनवान व्यक्ति बनने के बाद उन्होंने अपना व्यापार बच्चों के हाथ सौंप दिया । उनकी रुचि चित्र बनाने में भी थी । जीवनकाल में उन्हें 1800 में ग्लोरको विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ लौज की मानद उपाधि प्रदान की । 1814 में विज्ञान अकादमी ने उन्हें सम्मानित किया ।

वृद्धावस्था में उन्हें राजनीतिक विरोधों के साथ-साथ कई पारिवारिक दुःखों का सामना करना पड़ा । उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में पूरे आकार की पाषाण प्रतिमाएं बनाने की मशीन का आविष्कार किया था । अन्तिम समय तक विपुल सम्पत्ति के स्वामी जेम्स वाट शोध में लगे रहे । 25 अगस्त, 1819 में हैथफील्ड में उनका निधन हुआ ।

3. उपसंहार:

जेम्स वाट ने निःसन्देह ही वाष्पशक्ति का उपयोग करने वाली वस्तुओं की न केवल खोज की, अपितु वाष्प की उष्मा और ऊर्जा से उसे बहुउपयोगी बनाया । औद्योगिक दृष्टि से उनके मशीनरी सम्बन्धी सभी आविष्कार संसार को उनकी महान देन ही थे ।


4. चार्ल्स डार्विन |  Charles Darwin

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म परिचय व उपलथियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

चार्ल्स डार्विन वीं शताब्दी के उन महान् वैज्ञानिकों में थे, जिन्होंने मानव के विकास की प्रक्रिया का जैविक विवेचन कर विश्व चिन्तन को नयी दिशा दी । उनके इस चिन्तन ने प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान आदि कई विषयों को प्रभावित किया । परमात्मा एवं प्रकृति की शक्ति को स्वीकारने वाले डार्विन ने प्रकृति के अनुकूलन वादी सिद्धान्त की तर्कपूर्ण व्याख्या की ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:

चार्ल्स डार्विन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को हुआ था । उनके पिता रॉबर्ट डार्विन मूसबरी में डॉक्टरी किया करते थे । डार्विन अपने माता-पिता की छह सन्तानों में से पांचवें थे । जब वे मात्र 8 वर्ष की अवस्था के थे, तो उनकी माता का देहान्त हो गया था ।

डार्विन की देखभाल बड़ी बहिनों के द्वारा हुई । 1818 में मूसबरी में स्वाऊल के छात्रावास में रहने लगे । वहां उनमें अध्ययन के साथ-साथ पौधों के नाम जानने, सीप, शंख, घोंघा आदि संग्रह करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई थी ।

उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, अत: उन्हें एडिनबरा विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना पड़ा । शल्यक्रिया का कक्ष उन्हें भयानक लगता था । डार्विन ने अब डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर पादरी बनने का संकल्प ले लिया ।

इस बीच जीव विज्ञानी डॉक्टर ग्रान्द के प्रभाव में आकर वे समुद्र के किनारे पशु-जगत् के परीक्षण में लग गये । उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ निशानेबाजी, घुड़सवारी, ताशबाजी तथा कीड़े एकत्र करने में आनन्द प्राप्त किया । कीड़े एकत्र करने के दौरान उन्होंने कीड़ों की प्रजाति, उनकी संघर्ष प्रवृति, अनुकूलन इत्यादि का भी अध्ययन किया ।

डार्विन भूगर्भशास्त्र की कक्षाओं में पढ़ाया करते थे । जब उन्हें बीगल अभियान हेतु नियुक्त किया गया, तो उसके कप्तान फीज-राय ने उनकी नाक देखकर उन्हें आत्मविश्वास से हीन व्यक्ति और अभियान हेतु अनुपयुक्त समझा, किन्तु बाद में उनकी यह धारणा गलत साबित हो गयी ।

अभियान से लौटकर डार्विन 1838 में जियोलोजिकल सोसाइटी के सचिव हो गये । 1839 में डार्विन ने जोशिया वैजबुड से विवाह कर लिया । फिर वे लंदन छोड़कर कैंट-डाउन के शान्त वातावरण में रहने लगे ।  डार्विन ने यह प्रतिपादित किया कि परिवर्तनशील अवयवों में जो उानुकूल होते है, वे बच जाते हैं ।

प्रतिकूल अवयव अनाकूलन की स्थिति में समाप्त हो जाते हैं । अनुकूल की प्रकृति सुरक्षित रहना है और प्रतिकूल की नष्ट हो जाना है । उन्होंने मनुष्य सहित जीवों के विकास की प्रक्रिया को भी समझाया । उन्होंने अपनी पुस्तक ‘द ओरिजन ऑफ स्पीशिज’ में परम्परागत चिन्तन को एक चुनौती देते हुए यह प्रमाणित किया ।

जीवन में, प्रकृति में, विभिन्न प्रकार के अनगिनत जीव अस्तित्व में आये, जिनगें मनुष्य भी एक प्रकार का जीव रहा है । जो भोजन के लिए जलवायु एवं शत्रुओं के विरुद्ध संघर्ष करने में सर्वाधिक समर्थ थे, वे ही बच पाये ।

जो ऐसा नहीं कर पाये, उनकी प्रजातियां नष्ट हो गयीं । मनुष्य विकास की प्रक्रिया में अन्य जीवों की अपेक्षा कहीं अधिक आगे पहुंच गया है । वह अपने से मिलते-जुलते छोटी पूंछ वाले बन्दर से भी सभी स्तरों पर आगे निकल चुका है ।

मनुष्य के विकास की कहानी को डार्विन ने जिस ढग से प्रतिपादित किया, वैसा पूर्व के विकासवादी वैज्ञानिक नहीं कर पाये । 24 नवम्बर, 1859 को प्रकाशित उनकी द ओरिजन ऑफ स्पीशिख पुस्तक के 1 हजार 250 प्रतियों के संस्करण उसी दिन बिक गये ।

सभी वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, विचारकों ने इसे स्वीकार कर लिया । डार्विन अपने रोग और कष्ट को छिपाकर भी काम के लिए समर्पित रहते थे । कैंट-डाउन में रहते हुए 19 अप्रैल 1882 को इस महान् वैज्ञानिक का प्राणान्त हो गया ।

3. उपसंहार:

चार्ल्स डार्विन ने अस्तित्व के संघर्ष में सर्वाधिक समर्थ कोजीवित रहने के सत्य का प्रतिपादन किय । परमात्मा एक सर्वोपरि शक्ति है । विकास की इस प्रक्रिया में सृष्टिकर्ता ने अनेक जीवों को उत्पन्न कर अनेक शक्तियां प्रदान की हैं ।

अनेक सुन्दरतम रूपों में इनका विकास होता आया है और होता रहेगा, यह उनका कहना था । डार्विन स्वभाव से संकोचशील, विनम्र प्रवृत्ति के होने के साथ-साथ सूक्ष्म निरीक्षण शक्ति सम्पन्न व्यक्ति थे । जीवों के विकासवादी सिद्धान्त को प्रतिपादित करने वाले इस महान् वैज्ञानिक को संसार हमेशा याद रखेगा ।


5. थॉमस अल्वा एडीसन |  Thomas Alva Edison

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म परिचय एवं उपलब्दियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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थॉमस अल्पा एडीसन को बिजली के बत्व की महान् खोज के लिए जितना जाना जाता है, उससे अधिक उन्हें विद्युत चुम्बक, टेलीफोनिक रिसीवर, फोनोग्राफी, काइनेटोग्राफ, काइनेटोफोन आदि उपकरणों के निर्माता के रूप में भी पहचाना जाता है । वे एक महान वैज्ञानिक, बहुआयामी प्रतिभा के धनी, अनवरत शोधार्थी, अटूट, अथक परिश्रमी तथा परोपकारी वैज्ञानिक थे ।

2. जन्म परिचय एवं उपलब्धियां:

प्रसिद्ध अमेरिकन वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडीसन का जन्म 11 फरवरी, 1847 को मिलन {ओहियो} में हुआ था । जब वे 7 वर्ष के थे, तो उनका परिवार मिशीगन पोर्ट हुरौन चला आया । यहां के स्कूल में पढ़ने वाले एडीसन अत्यन्त कमजोर विद्यार्थी के रूप में जाने जाते थे ।

अपमानित होकर उन्होंने 3 महीनों के बाद स्कूल छोड्‌कर अपने माता द्वारा घर पर ही शिक्षा ग्रहण की । प्रयोगों में उनकी रुचि बचपन से ही रही थी । आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्होंने रेलगाड़ी में समाचार-पत्र बेचने का काम प्रारम्भ किया और रेलगाड़ी में ही छोटा-सा छापाखाना तैयार कर सामान वाले डिबे में एक छोटी-सी प्रयोगशाला भी स्थापित कर ली ।

एक दिन तो टेलीग्राफी सम्बन्धी प्रयोग के दौरान प्रयोगशाला के डिब्बे में आग लग गयी, जिससे क्रोधित होकर रेल अधिकारियों ने उनके छापेखाने को स्टेशन पर फेंक दिया । रेल कंडक्टर ने इतना पीटा कि वे आजीवन के लिए बहरे हो गये ।

सन् 1862 की बात है । एडीसन ने अखबार बेचते समय एक बालक को ट्रक की ओर भागते देखा, तो उन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगाकर उस लड़के की प्राणरक्षा की । स्टेशन मास्टर ने अपने पुत्र की प्राणरक्षा की एवज में एडीसन को टेलीग्राफी सिखायी ।

इस प्रकार वे टेलीग्राफ ऑपरेटर बने । रात को ड्‌यूटी के दौरान नींद से बचने के लिए उन्होंने एक फोनोग्राफी यन्त्र का भी आविष्कार कर लिया । जिस आफिस में काम करते थे, वहां चूहे बहुत अधिक थे । अत: उन्होंने चूहों को मारने के लिए बिजली चालित यन्त्र बनाया ।

ऐसा उपकरण भी बनाया, जो सन्देशों को अपने आप रिकॉर्ड कर लेता था । उन्होंने तो वोट रिकार्डर उपकरण भी बनाया था । विरोध के बाद इसे छोड्‌कर टेलीग्राफ सेवा में ध्यान केन्द्रित कर लिया । न्यूयार्क में जब आये, तो उनकी तंगहाली इतनी थी कि वे भरपेट भोजन तक नहीं जुटा पाते थे ।

एक दिन ऐसे ही वे बैटरी रूम के आफिस के बाहर बैठे हुए थे । एक ट्रांसमीटर के दूटने पर आफिस वालों ने उन्हें अपराधी बनाकर बहुत मारा-पीटा । एडीसन ने उस ट्रांसमीटर मशीन को चालू कर दिया, तो एक अधिकारी ने उनकी प्रतिभा से प्रसन्न होकर उन्हें प्लान्ट मैनेजर बना दिया ।

एक टेलीग्राफ इंजीनियर के साथ काम करते हुए उन्होंने न्यूजर्सी में टेपमशीन और उसके पुर्जों को बनाने का कार्य शुरू किया । एडीसन ने बिजली के मोटोग्राफ द्वारा मोर्स के टेलीग्राफ को ध्वनि उत्पन्न करने वाला उपकरण बना दिया ।

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विद्युत चुम्बक के सिद्धान्त पर आधारित इस टेलीफोन रिसीवर की आवाज साफ-साफ बड़ी दूर तक सुनाई पड़ती थी । इस आविष्कार के कारण वे काफी लोकप्रिय हो चले थे । फिर एडीसन ने सन्देश एक साथ भेजे जाने वाला फोनोग्राफ उपकरण बनाया ।

अपने अगले आविष्कार इलेक्ट्रो मोटोग्राफ के आधार पर अधिक जोर से बोलने वाला टेलीफून बनाया । एडीसन ने कार्बन का धागा खोजकर बिजली के बत्व को एक ऐसा रूप दिया, जिसने पूरी दुनिया को बिजली के प्रकाश से आलोकित किया ।

बिजली का बत्व तैयार करने में एडीसन ने अनेक प्रयोग, अनेक परीक्षण किये, जिसमें 1600 खनिजों का प्रयोग भी किया । 21 अक्टूबर, 1879 को तैयार बिजली के बल्ब ने तो आविष्कार जगत् में क्रान्ति-सी ला दी थी । इसी वर्ष उन्होंने काइनेटोग्राफ तैयार किया, जिसमें चलती हुई तस्वीरें उतारने का प्रथम कैमरा था ।

उन्होंने कैमरे को फोनोग्राफ से जोड़ दिया । बस, फिर क्या था, बोलती हुई तस्वीर का आविष्कार हो गया । सन् 1876 में एडीसन का विवाह गेरी शिलवैल से हुआ था, जिससे उनके तीन बच्चे हुए । सन् 1884 में शिलवैल की मृत्यु के पश्चात् मीना मिलर्स से दूसरा विवाह किया । ऐसे महान् आविष्कारक की मृत्यु जीवन के अन्तिम क्षणों तक कार्य करते हुए सन् 1931 गे हो गयी ।

3. उपसंहार:

यान्त्रिकीय सभ्यता के जनक या पिता कहे जाने वाले एडीसन ने बिजली और यान्त्रिकी के क्षेत्र में इतनी देने विश्व को प्रदान की हैं, जिनके कारण आज मानव का जीवन सुविधा सम्पन्न, मनोरंजन से पूर्ण बन पाया है । उन्होंने आजीवन कष्ट सहकर संघर्ष करते हुए जो कुछ भी आविष्कार किये, उसके लिए संसार उससे नहीं हो पायेगा ।


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