दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry Custom!

‘दहेज प्रथा समाज के लिए अभिशाप बन गया है’ यह एक सामाजिक कलंक है ।

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सामान्य दहेज उसे कहते है जो एक पुरुष तथा कन्या के शादी में कन्या के माँ बाप के द्वारा दिया जाता है लेकिन अब कलंकित कर रही है तथा वर पक्ष के लोग टी. वी., फ्रिज, कार इत्यादि की मांग कर रहे है यदि लड़की का बाप यह सब देने में असमर्थ हो तो लड़की की शादी रूक जाती है या शादी भी हो जाती है तो लडकी को तंग किया जाता है ।

दहेज प्रथा के जन्म के कारण:

प्राचीन काल राजा महाराजा तथा धनिक लोग अपने बेटियों के शादी में हीरे, जवाहरात, सोना, चाँदी आदि प्रचुर मात्रा से दिया करते थे । धीरे – धीरे यह प्रथा पुरे विश्व में फैल गई यह कहावत तो अपने सुना ही होगा कि समाज जिसे ग्रहण कर ले वह दोष भी गुण बन जाता है तथा इसका एक और भी कारण है भारतीय समाज में नारी को पुरुष कि अपेक्षा निम्न समझा जा रहा है ।

दहेज प्रथा को रोकने के उपाय:

दहेज को रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को प्रयास करना होगा । सरकार को इस प्रथा को रोकने के लिए कडे कानून का सहारा लेना होगा । यदि कानून इस प्रथा का सच्चाई तथा कडाई के साथ पालन करे तो सफलता मिल सकती है । कानून से बढ़कर जन-सहयोग है हर जनता ये चाहिए कि दहेज न ले तभी ये प्रथा रुक सकती है । इसमे युवा वर्ग के लोगो को आगे आना जाहिए उन्हें स्वेच्छा से बिना दहेज के विवाह करके आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए ।

अत: जिस समाज में दुल्हनों के प्यार के स्थान पर यातना दी जाती है इस प्रथा को समाप्त करने के लिए अभियान चलाना होगा जिसका नारा होगा ”दुल्हन ही दहेज है” तभी हम समाज के इस कोढ से मुक्ति पा सकते है ।