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इतिहास की पुनरावृत्ति होती है पर निबन्ध | Essay on History Repeats Itself in Hindi!

इतिहास प्राचीन घटनाओं, तथ्यों, तिथियों तथा महान नायकों, शासकों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के महान कार्यो का लिखित प्रमाण होता है । इसमें विभिन्न देशों और विभिन्न युगों की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों का अंकन भी होता है ।

इतिहास में केवल उच्च वर्ग का ही नहीं बल्कि मध्य और निम्न वर्ग, पिछड़े और शोषित वर्ग की स्थिति का उल्लेख भी होता है । अत: इतिहास का क्षेत्र अत्यंत व्यापक होता हैं, इसमें मानव जाति के सम्पूर्ण जीवन का अंकन होता है ।

काफी हद तक यह कहना ठीक ही है कि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है, अर्थात प्राचीन युग में घटी घटनाएं, प्रसंग पुन: घटित होते हैं । राजनैतिक और सामाजिक धाराएं पुन: घटित होते हैं । राजनैतिक और सामाजिक धाराएं पुन: प्रवाहित होती रहती हैं ।

सशक्त देश का प्रयास सदैव कमजोर देश पर शासन या आधिपत्य जमाने का होता है । यही प्रवृति आज भी विद्यमान है । देश में विभिन्न धार्मिक, राजनैतिक सैन्य और आर्थिक उद्देश्यों एवं प्रेरणाओं के कारण वर्गीकरण एक सामान्य प्रक्रिया है ।

विश्व इतिहास के प्रत्येक युग में नाटो या वार्सा संधि जैसे प्रकरण होते आ रहे हैं । जब हम सीमा युद्ध के संबंध में पढ़ते हैं, तो हमारी प्रतिक्रिया यही होती है कि इतिहास की पुनरावृति होती है, क्योंकि प्रत्येक देश में हर समय सीमा युद्ध की संभावना बनी रहती है । 1789 की फ्रांस की क्रांति ने फ्रांस का विनाश कर दिया था ।

उसी प्रकार 1917 की रूस की क्रांति ने भी रूस में रक्तपात की विनाशलीला मचा दी थी । 19वीं सदी में विश्व में साम्राज्य की महत्वाकांक्षा रखने वाला नेपोलियन पैदा हुआ था, तो 20वीं सदी में हिटलर ने अपनी तानाशाही से विश्व में तबाही मचा दी थी । दोनों ने रूस पर आक्रमण किया और दोनों का अंत एक ही हुआ ।

1914-18 में प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1939-45 में दूसरा विश्व युद्ध हुआ । प्रथम विश्व युद्ध के अंत में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई और दूसरे युद्ध के बाद उसी के अनुरूप लक्ष्यों और उद्देश्यों वाली एक अन्य संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई । इससे सिद्ध होता है कि इतिहास की निश्चित रूप से पुनरावृत्ति होती है ।

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मानव जीवन में कई प्राकृतिक आपदाएं आती है – जैसे बाढ़, अकाल, भूकम्प आदि । बिहार के कुछ इलाके तो सदैव बाढ़ग्रस्त रहते हैं । मानसून के कारण यमुना का जल हर वर्ष स्तर से ऊपर उठ जाता है, जिससे हजारों लोगों को बेघर होना पड़ता है, जान और माल की हानि भी होती है । कई वर्ष पहले भूकम्प के कारण पॉमपी शहर नष्ट हो गया था और 1985 में चिली शहर भूकम्प से ध्वस्त हो गया । सूखे के कारण अकाल भी कई बार विश्व में अपनी विनाशलीला दिखा चुका हैं ।

सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों के बारे में भी यह कहा जा सकता है कि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है । मित्रता होती है, पल्लवित होती है और टूट जाती है । प्रत्येक दिन हम मिलावट के मामलों को सुनते हैं । हर दिन एक बहू को दहेज की बलिवेदी पर अपने प्राण त्यागने पड़ते हैं ।

स्त्रियों की हत्या के अपराध प्राय: सुनने में आते हैं । पितृहत्या, मातृहत्या, आत्महत्या, नरहत्या – सभी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है । दया-उदारता से भरे कार्य होते रहते है । आत्म बलिदान, समाज सेवा, शोषितों का कल्याण आदि मानव जीवन के सामान्य उदाहरण हैं, जो वर्षो से चले आ रहे हैं ।

इतिहास की पुनरावृत्ति होती है, लेकिन यह भी सच है कि घटनाएं पुन: घटित होती हैं, लेकिन उनसे संबंधित मानव चरित्रों में विभिन्नता होता है । क्योंकि दो घटनाओं का रूप एक समान नहीं होता है । विश्व में एक के बाद दूसरा विश्वयुद्ध हो सकता है, लेकिन उनके उद्देश्यों, संबंधित व्यक्तियों और प्रयुक्त शस्त्रों में भिन्नता दृष्टिगत होती है ।

यहाँ तक कि डकैती, चोरी, हत्या के मामलों में भी भिन्न परिस्थितियाँ, उद्देश्य और हथियारों का इस्तेमाल होता है । इसके अतिरिक्त किसी एक घटना पर दो भिन्न युगों से संबंधित व्यक्तियों के विचार भिन्न-भिन्न हो सकते है, क्योंकि सामाजिक मूल्यों में अंतर होता हैं और मानव चिर निरंतर परिवर्तनशील हैं । घटनाओं के पुनरावृत्त रूपों में वैभिन्य होते हुए भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है ।

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