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सार्वजनिक जीवन में हिंसा पर निबन्ध | Essay on Violence in Public Life in Hindi

सार्वजनिक जीवन में हिंसा पर निबन्ध | Essay on Violence in Public Life in Hindi! वास्तव में हिंसा की मानसिकता एक बुरी व्याधि है । इसके खिलाफ समूची मानवजाति को उठ खड़ा होना है और एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी है । यह एक ऐसा खतरा है, जो किसी देश अथवा जाति विशेष का नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए [...]

By |2015-12-17T13:30:45+05:30December 17, 2015|Violence|Comments Off on सार्वजनिक जीवन में हिंसा पर निबन्ध | Essay on Violence in Public Life in Hindi

हिंसा और प्रजातंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते पर निबन्ध | Essay on Violence and Democracy Cannot go Together in Hindi

हिंसा और प्रजातंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते पर निबन्ध | Essay on Violence and Democracy Cannot go Together in Hindi! अब्राहम लिंकन ने प्रजातंत्र की परिभाषा देते हुए कहा कि ''प्रजातंत्र जनता के लिए जनता द्वारा निर्मित, जनता की सरकार है ।'' स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के वरिष्ठ नेताओं ने अपने देश के राजनैतिक जीवन की राह संसदीय शासन [...]

By |2015-10-26T18:03:04+05:30October 26, 2015|Violence|Comments Off on हिंसा और प्रजातंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते पर निबन्ध | Essay on Violence and Democracy Cannot go Together in Hindi
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