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हिंदी पद्य का विकास पर निबन्ध | Essay on Hindi Poetry in Hindi

हिंदी पद्य का विकास पर निबन्ध | Essay on The Development of Hindi Poetry in Hindi! हिंदी पद्य हिंदी साहित्य के आदिकाल से आज तक अखंड रूप में प्रवाहित होती रही है । इसका आदिम रूप मध्यकाल के राजपूत शासकों के दरबारों और अपभ्रंश में मिश्रित भाषा में पाते हैं । राजाश्रय के कवि अपने आश्रयदाताओं के ऐश्वर्यमय जीवन तथा [...]

By |2015-12-17T13:29:39+05:30December 17, 2015|Poets|Comments Off on हिंदी पद्य का विकास पर निबन्ध | Essay on Hindi Poetry in Hindi

कवि, प्रेमी और पागल व्यक्ति एक समान होते हैं (निबन्ध) | Essay on Poets, Lovers and Mad Men are All alike in Hindi

कवि, प्रेमी और पागल व्यक्ति एक समान होते हैं (निबन्ध) | Essay on Poets, Lovers and Mad Men are All alike in Hindi! Aविश्व भर में कवि को सबसे प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति माना जाता है । यह मान्यता भी प्रसिद्ध है कि कवि जगत का निर्माण करता है । दुनिया इन्हीं पर टिकी हुई है । संसार के महान कवियों की [...]

By |2015-10-26T18:03:04+05:30October 26, 2015|Poets|Comments Off on कवि, प्रेमी और पागल व्यक्ति एक समान होते हैं (निबन्ध) | Essay on Poets, Lovers and Mad Men are All alike in Hindi

प्रजातंत्र में पत्रकार के दायित्व पर निबन्ध

प्रजातंत्र में पत्रकार के दायित्व पर निबन्ध | Essay on The Responsibility of Journalists in Democracy in Hindi! जिज्ञासा, मानव चरित्र की सबसे महत्वपूर्ण विशिष्टता है । आम व्यक्ति के लिए समाचारपत्र पढ़ना एक आवश्यकता बन गई है, इसके माध्यम से वह अपने विचारों को पुष्ट और परिष्कृत करता है । शिक्षा के प्रसार के कारण समाचारपत्रों की प्रसार-मात्रा भी [...]

By |2015-10-26T18:03:06+05:30October 26, 2015|Journalists|Comments Off on प्रजातंत्र में पत्रकार के दायित्व पर निबन्ध
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