सौर उर्जा: उर्जा सकंट का एक विकल्प पर अनुच्छेद | Paragraph  on Solar Energy in Hindi

प्रस्तावना:

सभ्यता के विकास के साथ उर्जा की खपत बढती जा रही है । जिस तेजी के साथ उर्जा का इस्तेमाल बढता जा रहा है, उसका परिणाम यह होगा कि जल्दी की लगभग एक शताब्दी मे उर्जा के सभी परम्परागत स्त्रोत समाप्त हो जायेगे ।

इनके समाप्त होते ही उर्जा का भयकर सकट पैदा हो जायेगा । उर्जा के परम्परागत स्त्रोतों की मात्रा में हम वृद्धि नहीं कर सकते हैं । परमाणु उर्जा बनाने की टेकनालजी बहुत महगी है । अत: इस परिस्थिति में सौर उर्जा सकट का सबसे अधिक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में है जो सस्ते, निरापद, सर्वसुलभ, बार-बार प्रयोग मे लाये जा सकने वाले हों और जिनके भण्डार अक्षय हो ।

उर्जा का अर्थ व प्राप्ति के स्त्रोत:

उर्जा का तात्पर्य है काम करने की शक्ति । अर्थात उर्जा कार्य करने की शक्ति या चालक शक्ति है । हम सभी उर्जा के बल पर चलने हैं । चाहे वह मनुष्य हो या मोटर, रेल, वायुयान, मशीन या कल-कारखाने । सभी उर्जा के बल से ही चलती है ।

आज प्रत्येक क्षेत्र या क्रियाकलापो के हर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार से उर्जा की आवश्यकता पड़ती है । मनुष्य ने उर्जा प्राप्त करने की अनेक विधियाँ ढूंढ निकाली है । विश्व की उन्नति और गतिशीलता उर्जा पर ही निर्भर करती है । कृषि का क्षेत्र हो या उद्योग, यातायात की दुनिया हो या सचार की सबमें उर्जा ही प्राण डालती है । उर्जा के अभाव में सारी गतिविधियाँ ठप्प हो जायेगीं ।

आधुनिक युग में उर्जा के कई स्त्रोत है आज मनुष्य उर्जा के नये-नये स्त्रोतों की खोज भी कर रहा है । उर्जा के परम्परागत स्त्रोतों में लकडी, कोयला, पेट्रोल और पेट्रोलियम, गैरा और जल है । इसके नवीनतम स्त्रोतों में परमाणु उर्जा है । उर्जा के नवीनतम और गैर-परम्परागत स्त्रोतों मे सौर उर्जा, वायु उर्जा, जल उर्जा, ज्वार भाटा उर्जा आदि को शामिल किया जा सकता है ।

उर्जा का अन्धाधुन्ध प्रयोग:

आधुनिक युग मे उर्जा का अन्धाधुन्ध प्रयोग हो रहा है । आगे भी इसमे वृद्धि होती जायेगी । इस शताब्दी में मनुष्य जाति ने उर्जा का जितना अधिक इ२तेमाल किया है । उतनी उर्जा का प्रयोग आदिकाल से लेकर इस शताब्दी के आरम्भ तक की लम्बी अवधि मे नहीं हो पाया था ।

वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया गया है कि जिस तेजी से उर्जा का प्रयोग बढ रहा है, उसका परिणाम यह होगा कि उर्जा के सभी परम्परागत स्त्रोत समाप्त होने लगेंगे । विश्व में मुख्य रूप से लकड़ी, कोयला, तेल और गैस उर्जा के प्रमुख स्त्रोत हैं । नदियों के जल से भी उर्जा प्राप्त होती है । उर्जा के सभी परम्परागत स्त्रोत प्रकृति की देन हैं । किन्तु इनके भण्डार सीमित है ।

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अत: अन्धाधुन्ध प्रयोग से इनके भण्डार जल्दी ही समाप्त हो जाएँगे । बहुत देश ऐसे है जहाँ कोयला, तेल व गैस का भंडार बिल्कुल नहीं है । ऐसे देश बाहर के देशो से आयात करके अपनी उर्जा की आवश्यकता को पूरी करते हेर ।

यदि हम अनवीकरणीय उर्जा स्त्रोतों का उपयोग इसी दर से करते रहे तो उनके ज्ञात भण्डारो का तीव्र गति से क्षय हो जायेगा । साथ ही उनके नये भंडारों की खोज करना और उपयोग करना अधिक कठिन होता जा रहा है ।

ऐसा ज्ञात है कि हमारे देश का पेट्रोलियम के ज्ञात भंडार सन 2020 तक समाप्त हो जाएँगे । कोयले के भडारों के भी 250 वर्षों तक चलने की आशा है किन्तु ये भंडार जनसंख्या वृद्धि और तेल के भंडारो के ह्रास के कारण पहले भी समाप्त हो सकते हैं ।

जीवाश्म ईंधनों का व्यापक पैमाने में उपयोग पर्यावरण प्रदूषण का एक मुख्य कारण है । दूसरी ओर सौर उर्जा, वायु उर्जा, जल उर्जा, ज्वार भाटा उर्जा तथा बायोगैस से दोहित उर्जा, उर्जा के कुछ ऐसे स्त्रोत है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सूर्य की उर्जा से द्युत्पन्न हैं ।

इन स्त्रोतों का दोहन तब तक किया जा सकेगा, जब तक पृथ्वी, सूर्य से प्रकाश व उष्मा प्राप्त होती रहेगी । नाभिकीय उर्जा तथा भूतापीय उर्जा के दीर्घकाल तक उपलब्ध रहने की संभावना है ।

सौर उर्जा – उर्जा संकट का एक विकल्प:

अधिकांश उर्जा स्त्रोतों का सम्बन्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सौर उर्जा से है । पृथ्वी पर सूर्य उर्जा का मुख्य स्त्रोत है । सूर्य के अत्यंतर में नाभिकीय संलयन के कारण लगातार विशाल मात्रा में उर्जा मुक्त होती रहती है । इस उर्जा का अंतरिक्ष में सब दिशाओं में विकिरण होता रहता है । पृथ्वी व अन्य सौर ग्रहों को इस उर्जा का एक छोटा सा भाग ही मिलता है । उर्जा संकट के समाधान के रूप में सौर उर्जा सबसे महत्वपूर्ण विकल्प है ।

सौर उर्जा के सम्बन्ध में सामान्यतया तीन लाभ बताये जाते हैं:

1. भोजन पकाने, सड़कों पर प्रकाश, पानी गर्म करने, बिजली पैदा करने और अन्य अनेक उपयोगी कार्यों के लिए सौर उर्जा अन्य उर्जा की तुलना में सस्ती पड़ती है ।

2. सौर उर्जा का स्त्रोत सूर्य का प्रकाश है जो कभी भी खत्म नहीं होगा ।

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3. इस स्त्रोत से उर्जा प्राप्त करने में न प्रदूषण पैदा होगा और न ही पर्यावेरण को क्षति पहुँचेगी ।

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सौर उर्जा की सम्भावनाओं के बारे में वैज्ञानिकों को बहुत आशा है । एक सर्वे से पता चलता है कि धरती पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश का विकिरण 170 करोड़ अरब किलोवाट उर्जा के बराबर है । इसका मतलब कि आठ दिन का सूर्य का प्रकाश सारे संसार में एक वर्ष तक उपलब्ध रहेगी ।

यदि सौर उर्जा का भली भांति उपयोग किया जाये तो आने वाले 50 वर्षो में, इस स्त्रोत से संसार की उर्जा की कुल आवश्यकता का लगभग 80% उर्जा प्राप्त हो सकती है । भारत में सौर उर्जा की अच्छी संभावनाएं हैं । सौर विकिरण के दृष्टिकोण से भारत का स्थान विश्व में दूसरे नम्बर पर है । भारत में अनेक राज्यो में सौर उर्जा के कुछ प्रायोगिक संयंत्र लगाये गए है और इनसे घरेलू प्रयोग के लिऐ उर्जा प्राप्त हो रही

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है । सौर उर्जा के दोहन के लिऐ सामान्यत: प्रयुक्त युवितयाँ सौर-कुकर, सौर-जल ऊष्मक, सौर-जल पंप और प्रकाश-वोल्टीय सैल है । इन युक्तियों में पहले प्रकार की युक्तियों में सौर उर्जा को उष्मा के रूप में एकत्र किया जाता है जैसे कि सौर-कुकर व सौर-जल उष्मक में । दूसरे प्रकार की युक्तियों में सौर उर्जा की विद्युत उर्जा में परिवर्तित किया जाता है जैसे कि सौर सेल में ।

उपसंहार:

उर्जा का संकट संसार के सभी देशों के सामने है । अत: यह आवश्यक है कि हम उर्जा के इन बहुमूल्य स्त्रोतों का समझदारी से उपयोग करे और इनके संरक्षण में सहयोग करे ताकि ये अधिक समय तक उपलब्ध हो सके । किसी देश में यह अभी तुरन्त उत्पन्न होने वाला है तो कहीं आगे आने वाले समय में ।

उर्जा संकट का समाधान सौर उर्जा के विकास पर निर्भर करता है क्योंकि जब तक सूर्य से प्रकाश व उष्मा प्राप्त होती रहेगी और सौर उर्जा का उपयोग किया जा सकेगा । ये किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते व इनकी उत्पादन लागत भी कम है । अत: इनके उपयोग को लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए ।

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