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आउटसोर्सिंग: रोजगार के क्षेत्र में आशा की किरण पर निबंध | Essay on Outsourcing : A Ray of Hope in the Field of Employment in Hindi!

वर्तमान वैश्वीकरण की होड़ में प्रत्येक देश एवं प्रत्येक व्यापारिक प्रतिष्ठान आगे निकलना चाहता है । उनके लिए आउटसोर्सिंग एक ऐसा हथियार है, जिसकी सहायता से आधुनिक तकनीक एवं प्रबंधन के जरिए उनके द्वारा प्रतिस्पर्धा कायम की जा सकती है, लेकिन यह तभी सम्भव है जब कम्पनी के खर्चों में कटौती हो और यह सब हो सकता है कर्मचारियों की छँटनी की कीमत पर ।

पश्चिमी देशों में श्रम महँगा होने के कारण वहाँ से लाखों रोजगार भारत जैसे जनसंख्या की बहुलता वाले एशियाई देशों में स्थानांतरित हो रहे हैं, क्योंकि यही श्रम अपेक्षाकृत सस्ता है । यही आउटसोर्सिंग है । आउटसोर्सिंग का तात्पर्य किसी बाहरी स्रोत से ठेके पर वस्तुएं या सेवाएं प्राप्त करने की एक आधुनिक तकनीकी प्रणाली से है ।

वास्तविक अर्थों में किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान द्वारा अपने सुनिश्चित मानदण्डों के अनुसार सूचना-प्रौद्योगिकी आधारित प्रक्रियाओं का प्रबन्धन एवं प्रशासन संबंधी कार्य ठेके पर बाहरी प्रदाताओं से कराना ही आउटसोर्सिंग है ।

आउटसोर्सिंग सूचना प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण के विस्तार का एक आधुनिक रूप है । आउटसोर्सिंग में एक तरफ जहाँ कार्य निष्पादन की गुणवत्ता में मामूली-सी कमी आती है, वहीं सेवाओं के परिचालन व्यय में अच्छी-खासी कमी आती है, इसी कारण वर्तमान समय में यह कार्य तेजी से बढता जा रहा है ।

आउटसोर्सिंग की कार्य प्रणाली बहुत ही आसान है । उदाहरण के लिए यदि किसी अमेरिकी डॉक्टर को अपने मरीज की जाँच करने के बाद मरीज के रोगों के निदान और उपचार आदि से संबंधित पूरी रिपोर्ट बनवानी हो या फिर किसी कम्पनी को अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार हेतु विज्ञाप्तियाँ अथवा कोई प्रचार सामग्री आदि बनवानी हो, तो इन कार्यों को कम समय में और कम खर्चे पर किसी बाहरी क्षेत्र से करवाने के लिए आउटसोर्सिंग की सहायता लेते हैं ।

आउटसोर्सिंग के माध्यम से इन पूंजी प्रधान देशों को तो कम खर्चे में निर्धारित कार्य हो जाने के कारण लाभ होता ही है साथ ही भारत जैसे जनसंख्या वाले गरीब और शिक्षित बेरोजगारी की अधिकता वाले देशों को भी रोजगार के पर्याप्त अवसर प्राप्त होते हैं । भारत के विशेष सन्दर्भ में देखा जाए तो आउटसोर्सिंग के दो लाभ हैं । एक तो इससे हमारे यहाँ बेरोजगारी घटेगी, और दूसरे यहाँ नई तकनीक विकसित होने की संभावनाएं प्रबल होंगी ।

भारत में वर्तमान समय में रोजगार के भीषण संकट से गुजर रहे बेरोजगारों के लिए आशा की एक किरण के रूप में यह व्यवसाय उभरकर सामने आया है, लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देशों में स्थानीय स्तर पर यह विवाद का मुद्‌दा बन गया है, क्योंकि इसके माध्यम से वहाँ की नौकरियाँ भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं । एक अनुमान के अनुसार अमेरिका से प्रति वर्ष दो लाख नौकरियाँ भारत तथा चीन जैसे एशियाई देशों में आ रही हैं ।

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यह भी अनुमान लगाया गया है कि ‘बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग’ (बी.पी.ओ.) के मामले में भारत, रूस तथा चीन से आगे है । पिछले पचास सालों से अमेरिका कम वेतन वाले साधारण ब्ल्यू कॉलर रोजगारों को अनेक विकासशील देशों को निर्यात करता रहा है । चूंकि उच्च श्रेणी के हवाइट कॉलर रोजगार भी इस आउटसोर्सिंग के जरिए अनेक विकासशील देशों को विशेष रूप से भारत को स्थानान्तरित हो रहे हैं, यही कारण है कि अब अमेरिका में आउटसोर्सिंग को बन्द करने की मांग जोर-शोर से की जा रही है ।

इसी सन्दर्भ में 5 मार्च, 2004 को अमेरिकी सीनेट ने अमेरिकी नौकरियों बाहर स्थानान्तरित करने पर रोक लगाने के लिए एक बिल भी पास किया । यदि यह बिल राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है तो अमेरिकी ठेकेदार उन नौकरियों को बाहर स्थानान्तरित नहीं कर सकेंगे जिन्हें पहले संघीय कर्मचारी किया करते थे और अब सरकार उनका निजीकरण कर रही है । इसके मुताबिक ठेकेदार इन नौकरियों को भी बाहर नहीं भेज पाएंगे जहाँ संघीय सरकार वस्तुओं और सेवाओं के लिए संविदा करती है अथवा जहाँ राज्य सरकारें सरकारी धन से किसी काम के लिए संविदा करती हैं ।

हालांकि इस सन्दर्भ में विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि अमेरिकी कंपनियां अपने कार्यों को सम्पादित करने के लिए आउटसोर्सिंग नहीं अपना सकेंगी, तो इन कम्पनियों के लिए बाजार में टिक पाना मुश्किल होगा । अत: आउटसोर्सिंग के लिए हो रहे विरोध के बावजूद अमेरिकी व्यवसाय आउटसोर्सिंग के लिए मजबूर हैं । भारत उनकी इस परिस्थिति का काफी सीमा तक लाभ उठा सकता है ।

भारत में आउटसोर्सिंग के कारण काल-सेन्टरों की वृद्धि से आम शिक्षित-प्रशिक्षित भारतीयों को निकट भविष्य में नौकरियों की सम्भावनाएं बढ़ती दिखाई पड़ रही हैं । आज विदेशी मुद्रा अर्जन के साथ-साथ आईटी के क्षेत्र में पूरे विश्व की छवि कुशल पेशेवर की बन रही है । इस क्षेत्र में भारत की बढ़त के जो कारण गिनाए जा रहे हैं, उनमें से एक प्रमुख कारण भारत सरकार की इस दिशा में अनुकूल नीतियां अनेक कारणों में से एक है ।

भारत सरकार और उसकी आईटी समर्पित नीतियां तथा नास्कॉम, सरकार और कम्पनियों के बीच अच्छा तालमेल अच्छे भविष्य की ओर संकेत कर रहे हैं । आज की स्थिति यह है कि न केवल सेवाओं की दृष्टि से बल्कि उत्पादन की दृष्टि से भी आउटसोर्सिंग के लिए देश में उपयुक्त वातावरण बनता जा रहा है । यह हमारे देश के बेरोजगारों के लिए एक अच्छी खबर है । आशा है कि आने वाले दिनों में आउटसोर्सिंग के द्वारा देश में रोजगार पाने वालों की संख्या में और वृद्धि होगी और रोजगार चाहने वालों को बेरोजगारी से मुक्ति प्राप्त होगी ।

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