ज्ञान की सुपर शक्ति के रूप में भारत की भूमिका पर निबंध | Essay on India’s Role as a Knowledge Super Power in Hindi!

डिजिटल प्रौद्योगिकी चुपचाप, परंतु निश्चित तौर पर देश के भीतर सामाजिक ढाँचें को बदलने तथा सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है । इसके अपने सिद्धांत और नियम हैं ।

इन नियमों को अपनाने वाले लाभ कमा रहे हैं और इनसे अनजान विकास की दौड़ में पिछड़ रहे हैं । भूमण्डलीकरण के मौजूदा दौर में सूचना प्रौद्योगिकी सभी राष्ट्रों का समान भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है । दरअसल, वर्तमान सदी में तुलनात्मक फायदों तथा प्रतिस्पर्धात्मकता को सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) के इस्तेमाल के आईने में परिभाषित करने की जरूरत है ।

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विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) की स्थापना के बाद प्रत्येक देश अपनी क्षमता के हिसाब से विश्व अर्थव्यवस्था के अधिकाधिक हिस्से को प्राप्त कर सकता है और इस प्रक्रिया को वे ही देश दिशा-निर्देश देने की स्थिति में होंगे, जिन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी में आई क्रांति को महत्व दिया है ।

भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये कई प्रयास किए हैं । इनमें काफी महत्वपूर्ण है “सूचना प्रौद्योगिक अधिनियम 2000”, जो ई-कॉमर्स, इंटरनेट के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक संचार तथा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आई.टी. प्रवेश को आसान बनाएगा । उल्लेखनीय है कि सरकार ने ई-कॉमर्स के क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी दी है तथा इस प्रकार के लेन-देन को कर-मुक्त रखा है ।

ई-कॉमर्स को सूचना-क्रांति का महत्वपूर्ण अंग माना जा रहा है । समय और दूरी की बाधाओं को मिटाकर व्यापार को सहज करने की इसकी वास्तविक शक्ति और क्षमता की अभी शुरूआत ही है । प्रधानमंत्री की विशेष कार्य योजना का एक महत्वपूर्ण एजेंडा भारत को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सुपर पावर बनाने तथा अगले 10 वर्षो में साफ्टवेयर के सबसे बड़े उत्पादक एवं निर्यातक देशों की सूची में स्थान दिलाना है ।

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इस दिशा में सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी तथा साँफ्टवेयर विकास संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया है । दूरसंचार नीतियों तथा प्रक्रियाओं, साइबर कानूनों, आई.टी. उद्योग में श्रम कानूनों, वित्तीय मामलों, स्कूलों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने तथा देश में कम्प्यूटर साक्षरता और कम्प्यूटर की पहुँच को बढ़ावा देने संबंधी कार्य-बल की 108 सिफारिशें पूर्ण रूप में स्वीकृत कर ली गई है और अब उन्हें लागू किया जा रहा है ।

अमेरिका ने वर्तमान में अपने सभी उद्योगों में 3 लाख से अधिक पेशेवरों की संभावना व्यक्त की है । भारतीय साँफ्टवेयर प्रतिभाएँ अमेरिका में इस माँग-आपूर्ति के अंतर को पाटने में जुटी है । अन्य देश भी हमारे कुशल पेशेवरों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं । भारत ने जर्मन बाजारों के लिये 20,000 पेशेवर, ऑस्ट्रिया के लिये 15,000 तथा जापान के लिये 40,000 विशेषज्ञ उपलब्ध कराए है ।

आई.टी. में मानव संसाधन विकास को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि की नीति तैयार करने के लिये कार्य-बल का गठन किया गया है । कार्य-बल ने मौजूदा आई.आई.टी., क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेजों (आर.ई.सी.) तथा अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों एवं शैक्षिक संस्थानो में उपलब्ध संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के जरिये आने वाले शैक्षिक सत्रों से छात्रों की संख्या दोगुनी करने की योजना बनाई है ।

भारतीय साफ्टवेयर पेशेवर स्वयं को ग्लोबल ब्रांड के तौर पर स्थापित कर चुके हैं और उन्हें आई.टी. के क्षेत्र में उच्च स्तरीय तथा भरोसेमंद रियायती सेवा का प्रतीक माना जाता है । सुपर शक्ति बनने की भारत की आकांक्षा की राह में ये सर्वाधिक उपयुक्त वाहन साबित हो सकते हैं । यह निश्चित तौर पर महत्वाकांक्षी प्रयास होगा, क्योंकि फिलहाल दुनिया भर में साँफ्टवेयर से प्राप्त राजस्व का महज 2.5 प्रतिशत हिस्सा ही भारतीय साफ्टवेयर निर्यात की झोली में आता हैं ।

यदि पिछले 5 वर्षो की ही तरह अगले 5 वर्षो में भी विकास दर 50 प्रतिशत के आस-पास रही तो भारत का साँफ्टवेयर निर्यात सन् 2012 में दुनिया भर के साँफ्टवेयर राजस्व का 10 प्रतिशत हो जाएगा और आगे भी उसकी स्थिति मजबूत होगी ।

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भारतीय साफ्टवेयर उद्योग हमारे आई.टी. आयुध का महत्वपूर्ण बाण है । इस उद्योग ने देश-विदेश में अपनी स्थिति सुदृढ़ की है । इस क्षेत्र में हाल में पूँजी निवेश की प्रवृत्ति भी देखी गई है । भारत में इन बदलावों के समानांतर ही डिजिटल प्रौद्योगिकी से उत्पन्न दीवारों की समस्या भी सिर उठाएगी । हालाँकि इस अंतर को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं होगा और अकेले सरकार इस काम को नहीं कर सकती, इसलिये आई.टी. विशेषज्ञों समेत समाज के सभी वर्गो को यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल-क्रांति के लाभ सभी तक पहुँचे ।

इस सिलसिलें में सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के 486 ब्लॉक में सामुदायिक सूचना केन्द्र खोलने की परियोजना शुरू की है । ये केन्द्र स्वास्थ्य, ऊर्जा, जल, शिक्षा और साक्षरता समेत गरीबी हटाने में भी मददगार होंगे, लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी की दृष्टि से इन पिछड़े राज्यों में अभी बहुत कुछ करना बाकी है ।

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उधर कुछ राज्यों, जैसे-कर्नाटक में ई-गवर्नेस के लाभ दिखाई देने लगे हैं । केन्द्रीय तथा प्रादेशिक सरकारों के सभी मंत्रालयों और विभागों को आई.टी. एवं इंटरनेट का अधिकाधिक इस्तेमाल करने के दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं, ताकि पारदर्शी प्रशासन का लाभ आम आदमी तक पहुँचे ।

संचार और आई.टी. क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के उददेश्य से हाल में दूरगामी प्रभाव वाले कई फैसले लिये गये हैं । अंतरराष्ट्रीय गेटवे स्थापित करने और विदेशी उपग्रहों से बैंडविड्‌थ किराए पर लेने के लिये इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (आई.एस.पी) को मंजूरी दी गई है, ताकि देश में इंटरनेट का विस्तार सुनिश्चित हो सके । संचार के क्षेत्र मे भारत संचार निगम लिमिटेड का गठन और राष्ट्रीय स्तर पर लंबी दूरी की प्रणाली को मुक्त करने एवं आई.एस.डी. खोले जाने से संचार तंत्र सुदृढ होगा ।

ढाँचागत तंत्र में सुधार के बाद आई.टी. आधारित सेवाओं के स्तर में भी जबरदस्त वृद्धि होगी । मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, कॉल सेन्टर्स तथा ऐसे ही अन्य विकल्प देशभर में रोजगार के अनेक अवसरों को जुटाने के अलावा भारतीय साक्षर महिलाओं को घर से कार्य संचालित करने के मौके उपलब्ध कराएँगे । अब हमें आई.टी. क्रांति को अगले दौर में ले जाने की जरूरत है । इस क्षेत्र के लाभ से 100 प्रतिशत, अधिक रोजगार, उद्यमशीलता तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ।

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