प्रात:काल की सैर अथवा प्रात:कालीन भ्रमण पर निबंध |Essay on Morning Walk in Hindi!

मनुष्य के लिए प्रात:काल की सैर जितनी सुखदायक व रोमांचकारी होती है उतनी ही स्वास्थ्यवर्धक भी । व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रात:कालीन भ्रमण अत्यंत आवश्यक है । यह शरीर में नवचेतना व स्कूर्ति का संचार करता है ।

शारीरिक व मानसिक दोनों ही रूपों में यह स्वास्थ्यवर्धक है । चिकित्सा शास्त्रियों की राय है कि बीमार वृद्‌ध तथा अन्य लाचार व्यक्ति यदि व्यायाम के अन्य रूपों को नहीं अपना पाते हैं तो वे प्रात:काल की सैर कर अपना काम चला सकते हैं । इस सैर से शरीर के बिगड़े हुए आंतरिक अवयवों को सही ढंग से कार्य करने में बहुत मदद मिलती है।

शहरों एवं महानगरों में प्रात:कालीन भ्रमण के लिए जगह-जगह पर हरे-भरे पेड़-पौधों से युक्त पार्क बनाए गए हैं । जहाँ पर पार्क की सुविधा नहीं होती है वहाँ लोग सड़कों के किनारे पर लगे वृक्षों के समीप से होकर टहलते हैं । गाँवों में इस प्रकार की समस्या नहीं होती है । वहाँ शहरों की भाँति मोटरगाड़ियाँ नहीं होतीं अत: जिस और निकल जाएँ उधर ही शुद्‌ध वायु प्राप्त होती है ।

सभी जानते हैं कि हमारे लिए ऑक्सीजन बहुत महत्वपूर्ण है । दिन के समय तो यह मोटरगाड़ियों आदि के धुएँ से मिलकर प्रदूषित हो जाती है । दोपहर व अन्य समय में शुद्‌ध ऑक्सीजन का मिलना दुष्कर होता जा रहा है । अत: प्रात:काल सर्वथा उपयुक्त होता है । प्रात:कालीन भ्रमण से मनुष्य अधिक मात्रा में शुद्‌ध ऑक्सीजन ग्रहण करता है । इससे शरीर में उत्पन्न अनेक विकार स्वत: ही दूर हो जाते हैं ।

साथ ही साथ शरीर की मांसपेशियाँ भी कार्यरत हो जाती हैं तथा रक्त का संचार सामान्य हो जाता है । इसके फलस्वरूप मनुष्य आंतरिक रूप से अच्छे स्वास्थ्य एवं चैतन्यता का अनुभव करता है । उच्च रक्तचाप, पेट की समस्याएँ, मधुमेह आदि रोगियों को चिकित्सक खूब सैर करने या पैदल चलने की सलाह देते हैं । मधुमेह को नियंत्रित करने की तो यह रामबाण दवा है ।

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सुबह के समय प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है । उगते हुए सूरज की लालिमा समस्त अंधकार को मिटा देती है । वृक्षों पर बैठी कोयल का मधुर गान सभी के मन को मोह लेता है । आकाश में स्वच्छंद गति से उड़ते एवं चहचहाते पक्षियों का समूह नवीनता का संदेश देता है । सुबह की मंद-मंद बहती सुगंधित हवा शरीर को नई ताजगी प्रदान करती है । सुबह के समय हरी-भरी घास पर ओस की बूँदें ऐसी प्रतीत होती हैं जैसे प्रकृति ने उन बूँदों के रूप में मोती बिखेर दिए हों ।

पार्क व बगीचों में चहल-पहल देखते ही बनती है । बच्चे, बूढ़े तथा युवा सभी वर्ग के लोग यहाँ दिखाई देते हैं । लोग भ्रमण के साथ अनेक विषयों पर बातचीत भी करते हैं जिससे नई जानकारियों के साथ परस्पर मेल भी बढ़ता है । बच्चे अनेक प्रकार के खेलों का आनंद उठाते हैं ।

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प्रात:कालीन शुद्‌ध व सुगंधित वायु तथा विभिन्न प्रकार के खेल उनके शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक होते हैं । वे अन्य बच्चों की अपेक्षा स्कूर्तिवान व कुशाग्र बुद्‌धि के होते हैं । कुछ लोग प्रात:कालीन भ्रमण को समय का दुरुपयोग मानकर उसे जीवन भर टाल देते हैं । दिन चढ़ने पर उठना, फिर बिना हाथ-मुँह धोए ही चाय पीने में ही उनका समय नष्ट होता है, इसे वे समझ नहीं पाते हैं । ऐसे लोग प्रकृति के कई मूल्यवान उपहारों से वंचित हो जाते हैं ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रात:कालीन भ्रमण बच्चे, बूढ़े व युवा सभी के लिए अनिवार्य है । यह हमारे शरीर में नई स्कूर्ति, नई चेतना व नया उल्लास प्रदान करता है । सुबह की शुद्‌ध व सुगंधित वायु शरीर के अनेक विकारों को दूर करती है ।

प्रात: कालीन मनोरम दृश्य अत्यंत सुखद प्रतीत होता है । इस प्रकार दिन की अच्छी शुरुआत मनुष्य को अधिक स्वस्थ एवं प्रसन्न रखती है जिससे वह अपनी क्षमताओं का पूर्ण रूप से उपयोग कर सकता है ।

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