वीं पंचवर्षीय योजना: दृष्टिकोण पत्र जारी पर निबंध | Essay on 12th Five Year Plan In Hindi!

देश की 12वीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 2012 से शुरू होनी है । इस पंचवर्षीय योजना को अन्तिम रूप प्रदान कर दिया गया है । योजना का दृष्टिकोण पत्र (Approach Paper) योजना आयोग द्वारा जारी किया जा चुका है । दृष्टिकोण-पत्र को आयोग की 20 अगस्त, 2011 की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई ।

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (योजना आयोग के अध्यक्ष) की अध्यक्षता में सम्पन्न इस बैठक में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, गृहमंत्री पी. चिदम्बरम, कृषि मंत्री शरद पवार, शहरी विकास मंत्री कमलनाथ, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री पीसी जोशी, मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल, ग्रामीण विकास मैत्री कमलनाथ, योजना राज्यमंत्री अश्विनी कुमार और आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया के अतिरिक्त आयोग के सभी सदस्य उपस्थित थे ।

आयोग द्वारा मंजूर किए गए योजना के दृष्टिकोण पत्र में इस (12वीं) योजना में 9.0 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लक्ष्य का प्रस्ताव किया गया है । वैश्विक परिस्थितियों में सुधार आने पर इस लक्ष्य को 9.2 प्रतिशत प्रति वर्ष तक बढ़ाने की बात आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने की है ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वृद्धि के लक्ष्यों को हासिल करने की सफलता में कृषि क्षेत्र की भूमिका अहम होगी । उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पैदावार बढ़ने से महँगाई पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी और दीर्घकाल में मुद्रास्फीति को निम्न रतर पर स्थिर किया जा सकेगा ।

आयोग का अनुमान है कि 12वीं योजना में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहने पर औसत मुद्रास्फीति दर पाँच प्रतिशत के दायरे में रहेगी । योजना आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि 11वीं योजना में स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास समावेशी विकास के लिए अपनाई गई रणनीति के मुख्य क्षेत्र रहे थे । उन्होंने कहा कि 12वीं योजना में भी इन क्षेत्रों पर विशेष जोर रहेगा । प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि इन क्षेत्रों को उपयुक्त संसाधन उपलब्ध हों ।

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संसाधनों के प्रभावी ढंग से उपयोग को भी महत्वपूर्ण बताते हुए इस क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता भी उन्होंने बताई । योजना आयोग द्वारा मंजूर किए गए 12वीं पंचवर्षीय योजना के इस दृष्टिकोण पत्र को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भी 15 सितम्बर को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है । मंत्रिमण्डल की मंजूरी के पश्चात् अन्तिम मंजूरी के लिए इसे राष्ट्रीय विकास परिषद भी की बैठक में रखा गया, जहाँ से भी इसे मंजूरी प्रदान कर दी गई ।

अगले पाँच वर्षो में देश के संपूर्ण विकास के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना का प्रारूप पारित हो गया है । इसमें योजना आयोग ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं । आज भी देश की आबादी का बडा हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने के पानी और घर से महरूम है ।

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उनका मानना है कि देश में अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यकों को विकास का लाभ नहीं मिल रहा है । लिंग भेदभाव अभी भी बडी समस्या बनी हुई है । देश में लगभग 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के अभिशाप से ग्रसित हैं । बच्चों में लिंग अनुपात एक हजार बालकों पर 940 बच्चियों का है । देश में करीब 30 करोड लोग अनपढ हैं ।

देश के सभी गरीबों को घर, भूमिहीनों को भूमि, बिना रुकावट की बिजली, हर रिहायश तक सड़क बनाने, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, अल्पसंख्यकों को आरक्षण, बालश्रम रोकने, बाल-मातृ मृत्युदर कम करने, हर जिले में एक कॉलेज और हर गांव में एक स्कूल खोलने, रोजगार के करोड़ों नए अवसर पैदा करने जैसे सपने से लगने वाले लक्ष्यों को संजोए 12वीं पंचवर्षीय योजना का प्रारूप मंजूर हो गया है ।

योजना में दुनिया में शुरू हुई आर्थिक मंदी, पेट्रोलियम के बढते दाम और जलवायु परिवर्तन के परिणामो का खौफनाक चित्राण भी किया गया है । योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने स्वीकार किया है कि 12वीं योजना से भी समग्र विकास नहीं हो पाएगा, लेकिन कोशिश करने से कुछ हद तक हासिल किया जा सकेगा ।

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