समय का सदुपयोग पर निबंध | Essay on Proper Utilization of Time in Hindi!

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समय के सदुपयोग के संबंध में सत कबीर ने लिखा है:

”काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब्बपल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब्ब ।।”

अर्थात् हमें जो कार्य कल करना है, उसे आज ही कर डालना चाहिए और जो कार्य आज करना है, उसे तुरंत कर डालना चाहिए । यह इसलिए कि जीवन क्षणभंगुर है, समय का पंछी अपने डैनों को फैलाए अबाध गति से उड़ रहा है और उसका फिर लौटकर आना नितांत असंभव है ।

मानव जन्म लेता है । कुछ समय तक वह अपना शिशु और बाल जीवन व्यतीत कर किशोरावस्था में प्रवेश करता है । किशोरावस्था भी कुछ दिनों तक अपनी चमक-दमक दिखाकर उससे विदा हो जाती है और उस पर जवानी का रंग चढ़ने लगता है । उस समय वह अपने जीवन के उच्च शिखर पर होता है, परंतु वहाँ भी वह टिक नहीं पाता ।

कुछ ही समय बाद वहाँ से फिसलकर वह वृद्ध हो जाता है और एक दिन इस संसार से हमेशा के लिए विदा हो जाता है । वृद्धावस्था में उसके अपने बीते हुए दिन फिर उसके हाथ नहीं आते । ऐसा है हमारे जीवन में समय का खेल ! समय के इस खेल में जिसने फुरती और चुस्ती दिखाई, सफलता उसी के हाथ आई ।

समय बहुत कीमती है । सोने, चाँदी, हीरे-जवाहरात का मूल्य लगाया जा सकता है, पर समय का मूल्य अब तक कोई नहीं लगा पाया है । पैसे-रुपए में उसकी कीमत नहीं की जा सकती । उसका प्रत्येक क्षण अमूल्य होता है । पैसे-रुपए तो कुछ दिनों तक ही टिक पाते हैं । उन्हें हम जमीन में गाड़ सकते हैं और बैंक में जमा कर सकते हैं, किंतु समय टिकाऊ नहीं है ।

वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता । वह इतना तीव्रगामी है कि हवा से बातें करनेवाले वायुयान भी उसे नहीं पकड़ सकते । उसे वही पकड़ सकते हैं, जो उसकी गतिविधि पर दृष्टि जमाए रहते हैं और उसके प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते हैं सदुपयोग का अर्थ है- उचित उपयोग । किसी वस्तु या कार्य को सुनियोजित ढंग से करना उसका सदुपयोग करना कहलता है ।

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जिन्होंने अपने जीवन के एक-एक क्षण का सदुपयोग किया है, इस संसार में वे ही महान् कार्य कर सके हैं । उन्हीं को लोग ‘महामानव’ कहते हैं । उनका जीवन हमारे लिए समय के सदुपयोग का प्रेरणादायी पाठ होता है । समय का सदुपयोग मानव की सफलता का आधार है । समय ही वह कसौटी है, जिस पर मानव-जीवन को परखने से उसकी सफलता और विफलता की परीक्षा होती है ।

अत: समय का सदुपयोग करना प्रत्येक समझदार व्यक्ति का परम कर्तव्य है । जीवन में समय का सदुपयोग करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है । जो मनुष्य अपने जीवन में समय का सदुपयोग नहीं करते हैं, वे अंत में असफल रहते हैं और तरह-तरह के कष्ट भोगते हैं । ‘खाओ, पियो और मौज करो’ के सिद्धांत में विश्वास करनेवाले व्यक्तियों को कभी सफलता प्राप्त नहीं होती ।

समय के समान बहुमूल्य पदार्थ इस विश्व में दूसरा नहीं है । इसकी समता संसार की कोई वस्तु नहीं कर सकती । धन-वैभव के एक बार चले जाने पर वह फिर भी प्राप्त हो सकता है, किंतु बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता । इस रहस्य को जो छात्र समझ लेता है वह कभी बेकार नहीं बैठता ।

वह अपने जीवन में सतत प्रत्येक क्षण का सदुपयोग कर विद्वान् बनता है । आज संसार में जितने सेठ, साहूकार, लखपति, करोड़पति, उच्च कोटि के नेता, विद्वान् और महापुरुष दिखाई दे रहे हैं, उन सबने समय का सदुपयोग करके ही ख्याति प्राप्त की है और आदर के पात्र बने हैं ।

उन्होंने अपने जीवन में आलस्य, अकर्मण्यता, प्रमाद आदि को कभी स्थान नहीं दिया । वे अपने उद्‌देश्य की पूर्ति में निरंतर लगे रहे और अब भी दिन-रात कार्यरत रहते हैं । समय का दुरुपयोग करना अपने हाथों अपने पैर में कुल्हाड़ी मारना है ।

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