दीपावली पर निबन्ध | Essay on Dipawali in Hindi!

समाज में मानव आनन्द क अनुभव करने के लिए विशेष अवसरों की खोज करता है। त्योहार उन विशेष अवसरों में से एक हैं । सामाजिक त्योहारों में दीपावली की अपनी महत्ता है । यह जीवन के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके प्रकाश में सभी सुविधाओं को जुटाने का संकल्प है । यह दीपक की भांति प्रकाश की तेजोमयता प्राप्त कर जीवन को तेजवान बनाने की मधुर प्रेरणा देता है ।

दीपावली शब्द दीप + अवली से मिलकर बना है, जिसका साधारण अर्थ दीपों की पंक्ति का उत्सव है । अत: दीपावली के त्योहार का भी अर्थ हुआ प्रकाश, उल्लास और ज्ञान का पर्व । घोर अमावस्या की रात्रि के अंधेरे को जिस प्रकार दीपावली पर झिलमिलाते दीप दूर कर देते हैं उसी प्रकार निराशा व दु:ख के अन्धकार को ज्ञान, आशा और सुख की दीप रश्मियाँ दूर कर देती हैं ।

इस शुभ त्योहार के साथ अनेक पौराणिक व धार्मिक कथाएँ जुड़ी हैं । मर्यादा पुरुषोत्तम राम चौदह वर्ष के कठोर वनवास की अवधि पूरी करके व लंका नरेश रावण को मारकर इसी दिन अयोध्या वापस आए थे । अयोध्यावासियों ने कार्तिक अमावस्या को श्री राम के अयोध्या पधारने पर हर्षोल्लास में दीपक जलाए । उस समय से टापावली श्रीराम के लौटने का प्रतीक हो गई ।

दीपावली वर्षान्त में मनायी जाती हें एक नरकासुर का वध तो योगीराज श्रीकृष्ण ने कर दिया था किन्तु यह दूसरा गन्दगी का रूप नरकासुर प्रतिवर्ष जन्म लेता है और इसे हर वर्ष ही यमलोक जाना पड़ता है । इस उत्सव के आते ही गंदे घरों की सफाई तथा मरम्मत की जाती है । मच्छरों एवं कीटाणुओं का नाश हो जाता है । कृषक वर्ग इस त्योहार को नए अन्न के आगमन की खुशी में मनाता है । इस अन्न को लक्ष्मीपूजन कर उपयोग में लाते हैं ।

नवरात्रों के बाद से ही यह त्योहार आरम्भ हो जाता है । इस दिन हर परिवार धातु का कोई न कोई बर्तन अवश्य खरीदता है । दूसरा दिन नरक चौदस के नाम से प्रसिद्ध है। देहातों में यह दिन छोटी दीपावली के नाम से विख्यात है । समुद्र मंथन पर इसी दिन लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और देवताओं ने इनकी पुजा की थी ।

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इसलिए आज भी इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा होती है । दीपावली के दूसरे दिन कातिक शुक्ला का प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा होती है । इसी दिन अन्नकूट होता है । इसके बाद का दिन यम-द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध है ।

बहिन भाई को टीका करती है और भाई अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार बहिन को कुछ भेंट करते हैं । इस शुभ त्योहार पर पकवान और मिष्ठान बनते हैं । घर-घर, गली-गली और बाजार में दीपकों, मोमबत्तियों और रंग-बिरंगे बच्चों से जगमगा उठते हैं ।

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व्यापारी वर्ग उस दिन नए वर्ष के बही खाते बदलता है । बच्चे आतिशबाजी छोड़ते हैं । लोग अपने इष्ट मित्रों तथा आत्मीयजनों को दीपावली कार्ड व मिष्ठान आदि भेजकर उनके प्रति अपनी शुभकामनाएँ भेजते हहैं । रात्रि में लक्ष्मी पूजन होता है ।

दीपावली अत्यंत लाभप्रद त्योहार है । इस बहाने घरों की सफाई हो जाती है । स्वच्छता उत्तम स्वास्थ्य का प्रतीक है । सरसों के तेल के दीपक कीटाणुओं को नष्ट करने में समर्थ होते हैं । यह आशा, प्रकाश और अहलाद तथा उत्साह का त्योहार है किन्तु इस शुभ अवसर पर मदिरा पान और शूतक्रीड़ा बहुत हानिकारक है ।

भगवान सद्‌बुद्धि दे कि लोग दुर्व्यसनों को त्याग कर दीपक की लौ को अपने हृदय में बसाकर ज्ञानी बनें।

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