Hindi Story on Greed Takes Everything (With Picture)!

लालच से अपना भी जाए |

एक गांव में एक आवारा कुत्ता था । वह सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता था । किसी ने एकाध टुकड़ा डाल दिया तो खा लिया । ज्यादातर तो उस पर डंडे ही बरसते थे । गांव के अन्य कुत्ते उसे दूर तक खदेड़ते थे । यह सब उसके आलस्य का इनाम था ।

पहले वह एक घर में पाला गया था, परंतु वहां भी वह रात-भर सोता रहता । एक दिन कुछ चोर उसके मालिक की गाय खोलकर ले गए । वह चुपचाप सोता रहा । वह चोरों पर भौंका तक नहीं । बस, उसके मालिक ने गुस्से में आकर डंडों से उसकी खबर ली । तब से वह आवारा घूमता था ।

एक दिन वह बहुत भूखा इधर-उधर घूम रहा था । वह एक घर में घुस गया । घर में एक छोटा बच्चा रोटी खा रहा था । कुत्ते ने झपट्टा मारकर उसके हाथ से आधी रोटी छीन ली । बच्चा रोने लगा । उसकी मां डंडा लेकर कुत्ते के पीछे भागी ।

कुत्ता रोटी लेकर नदी की तरफ भागा । उसका विचार था कि नदी किनारे झाड़ियों में बैठकर आराम से रोटी खाऊंगा, फिर नदी का ठंडा पानी पीऊंगा । उसके बाद आराम से किसी पेड़ के नीचे सोता रहूंगा । वह भागता-भागता नदी किनारे पहुंच गया ।

उसने पीछे घूमकर देखा । वह स्त्री थककर चली गई थी । कुत्ता खुश होता हुआ नदी के पुल को पार करने लगा । अचानक उसकी नजर नदी के स्वच्छ जल में पड़ी । वहां उसे अपनी ही परछाईं दिखाई दी । परछाईं के मुंह में आधी रोटी स्पष्ट दिख रही थी ।

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कुत्ते के मन में लालच आ गया । सोचा- ‘अहा! यह दूसरा कुत्ता है । इसके पास भी आधी रोटी है । यह छिपकर जा रहा है । यदि मैं इस पर हमला कर दूं तो यह आधी रोटी भी मुझे मिल जाएगी । मेरे पास एक रोटी हो जाएगी । मैं उसे आराम से खाऊंगा ।’

ऐसा विचार करते ही कुत्ता अपनी परछाईं पर गुर्रा उठा- ”भों! भों!” परंतु यह क्या! जैसे ही वह भौंका, उसके मुंह में दबी आधी रोटी निकलकर पानी में जा गिरी । कुत्ता हक्का-बक्का रह गया । वह नदी की धार में बहकर दूर जाती रोटी को देखता ही रह गया । ‘यह मैंने क्या कर दिया?’

वह लज्जित होकर सोचने लगा- ‘मैंने लालच में आकर अपने पास की रोटी भी गंवा दी । लालच बुरी बला है । यदि मैं लालच न करता तो आधी अपनी रोटी से क्यों हाथ धोता ।’ अपनी अक्ल को कोसता हुआ कुत्ता भूखा ही रह गया । सच है, जो लालच करता है, उसका गांठ का धन भी नष्ट हो जाता है ।

सीख:

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि लालच कभी नहीं करना चाहिए । लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता । किसी ने कहा है- ‘आधी छोड़ सारी को धावे, ऐसा डूबे थाह न पावे ।’

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