Hindi Story on the Lion’s Rule!

शेर की दादागिरी |

एक जंगल में एक शेर, सियार, लोमड़ी और गीदड़ चार मित्र थे । शेर उनका लीडर था । वे जंगल में जिधर भी निकल जाते, तबाही मचा देते । सीधे-सादे जानवरों को सताते । किसी के साथ मार-पीट करते, किसी का घर तोड़ देते ।

कोई बड़ा और ताकतवर जानवर मिल जाता, तो शेर को उल्टा-सीधा भड़काकर उनमें झगड़ा करवा देते और खुद तमाशा देखते । एक दिन जब चारों हवाखोरी के लिए जा रहे थे तो लोमड़ी की नजर एक ह्य-पुष्ट ऊंट पर पड़ी । उसे देखकर उसके मुंह में पानी आ गया ।

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उसने सियार को इशारा किया, सियार ने गीदड़ को । सलाह बनते ही उन्होंने शेर को भड़का दिया : ”महाराज ! कितना बेअदब ऊंट है । आपको देखकर प्रणाम तक नहीं किया ।” शेर कुछ मोटी बुद्धि का था । उनके भड़काते ही वह गुस्सा होकर ऊंट पर झपट पड़ा ।

ऊंट बेचारा अभी शेर से अपना कसूर पूछता कि उस मंदबुद्धि ने पलक झपकते ही उसकी गरदन मरोड़ दी । सियार, लोमड़ी और गीदड़ बहुत खुश हुए । लोमड़ी बोली : ”बहुत ठीक सजा दी । अब इसके चार हिस्से होने चाहिए ।” ”खबरदार! इस पर सिर्फ मेरा अधिकार है ।” शेर गुर्राया ।

”मगर कैसे महाराज! हम चारों तो आपके मित्र हैं, इसलिए हमें बांटकर खाना  चाहिए ।” सियार वाला : ”वैसे भी हम आपकी प्रजा हैं ।” “मूर्खो! इसका आधा भाग मेरा है क्योंकि मैं जंगल का राजा हूं । बाकी बचे आधे में से आधा फिर मेरा हुआ, क्योंकि मैं तुम्हारे सुप का लीडर हूं ।

अब बाकी बचे आधे में से फिर आधा मेरा है क्योंकि…।” “बस-बस महाराज ! हम समझ गए । हम समझ गए कि इस ऊँट पर आपका ही अधिकार है ।” लोमड़ी बोली : ”आप भोजन करें ।” शेर धूर्तता से ‘यक्कू’ कहकर हंसा और ऊंट की दावत उड़ाने लगा ।

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वे बेचारे तीनों एक तरफ बैठे उसे देखते रहे । वे समझ गए थे कि हर आधे में से आधा शेर का हो जाएगा और उन तीनों के लिए जो बचेगा, उसमें उनकी दाह भी गीली नहीं होगी । इसीलिए कहा गया है कि ताकतवर दोस्त कभी भी नजर फेर सकता है । टोस्ती अपनी हैसियत के अनुसार करनी चाहिए ।

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