Hindi Story on the Sun and the Wind!

सूर्य और हवा |

एक समय की बात है, सूर्य और हवा में यह बहस छिड़ गई कि उन दोनों में कौन अधिक शक्तिशाली है । हवा ने सूर्य से कहा : ”मैं तुमसे अधिक शक्तिशाली हूं ।” ”नहीं तुम मुझसे अधिक शक्तिशाली नहीं हो ।” सूर्य ने कहा ।

इस प्रकार वे दोनों एक दूसरे से लगभग छ: हफ्तों तक बहस करते रहे । मगर मामला था कि उलझता ही जा रहा था । अंत में हवा ने कहा : ”चलो, देखते हैं कि हम दोनों में कौन सबसे अधिक  शक्तिशाली है ।” ”ठीक है, मैं भी राजी हूं ।” सूर्य ने कहा ।

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तभी अचानक उन्होंने देखा कि सामने से एक यात्री आ रहा था । उसे देखकर हवा को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने की एक युक्ति सूझ गई । उसने सूर्य से कहा : ”देखो, वह यात्री आ रहा है, हममें से जो भी उसे अपना कोट उतारने पर विवश कर देगा, वही शक्तिशाली समझा जाएगा । सबसे पहले मैं प्रयत्न करूंगी । तब तक तुम बादलों की ओट में छिप जाओ ।”

सूर्य के बादलों में छिपते ही हवा बहुत जोर से चलने लगी । मगर हवा में जितनी अधिक तेजी आती, यात्री उतनी ही मजबूती से अपना कोट अपने शरीर के इर्द-गिर्द लपेट लेता, ताकि वह ठंड से बचा रहे । हवा बहुत देर तक बहुत तेजी से चलती रही और अंत में थक कर शांत हो गई ।

वह उस यात्री का कोट उतरवाने में किसी भी प्रकार सफल न हो सकी । उसे हार – थककर शांत होते देख सूर्य ने कहा : ”अब मेरी बारी है ।” तब हवा एकदम बंद हो गई और सूर्य बादलों से बाहर निकलकर तेजी से चमकने लगा ।

‘ओह ! कितनी गरमी हो गई है ।’ यात्री ने कहा : ‘कोट तो उतारना ही पड़ेगा ।’ यात्री ने इस प्रकार गरमी से परेशान होकर कोट उतार फेंका । यह देख हवा ने खामोशी से अपनी पराजय स्वीकार कर ली और सूर्य को नमस्कार करके आगे बढ़ गई ।

निष्कर्ष : अपनी ताकत और योग्यता पर कभी घमंड न करो ।

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