List of five interesting stories on animals in Hindi!

Contents:

  1. ऊंट और उसके झूठे दोस्त |
  2. हाथी और चूहे |
  3. गवैया गधा |
  4. ब्राह्मण और बकरी |
  5. होशियार खरगोश और शेर |

Hindi Story # 1 (Kahaniya)

ऊंट और उसके झूठे दोस्त |

एक व्यापारी जंगल में से भार से लदे हुए ऊंटों को ले जा रहा था । उनमें से एक ऊंट थक कर गिर पड़ा । व्यापारी के पास उसकी देखभाल के लिए समय नहीं था, इसलिए वह उसे वहीं छोड़कर आगे चल पड़ा ।

वह पतला और मरियल-सा ऊंट मरा नहीं । वह अपने पैरों पर लड़खड़ा कर खड़ा हो गया । वह जंगल की हरी-हरी मीठी घास चरने लगा । दिन गुजरते गए और धीरे-धीरे ऊंट में खोई हुई शक्ति और साहस वापस आ गया । वह मोटा हो गया और उसकी खाल चमकने लगी ।

एक दिन जब वह रोज की तरह घास चर रहा था, मडोकटा नामक जगल का राजा शेर उधर से गुजरा । उसके साथ उसके तीन साथी-एक लोमडी. एक कौआ और एक चीता भी था । राजा घरेलू जानवर ऊट को जंगल में देखकर बहुत हैरान हुआ । उसने ऊंट से पूछा : ‘तुम यहां कैसे आ गए ?’ ऊट ने अपनी यर कहानी सुना दी ।

जब शेर ने यह सुना कि ऊंट के स्वामी ने किस प्रकार निर्दयी बनकर उसे छोड़ दिया था, तो उसे ऊंट पर दया आ गई । ‘अच्छा अब तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं, अब से तुम मेरे संरक्षण में रहोगे । मैं इस जंगल का राजा हूं और तुम हमारे साथ शांति से रह सकते हो ।’

ऊंट यह सुनकर खुश हो गया । वह शांति से संतुष्ट होकर रहने लगा । एक दिन शेर तथा हाथी का युद्ध हो गया । बड़े हाथी ने अपने लंबे दांतों से शेर को घायल कर दिया । मडोकटा नामक शेर अपने आप को घसीट कर गुफा तक ले गया ।

वहां वह निर्बल होकर चलने-फिरने से लाचार हो कर लेट गया । जब उसके तीनों साथी हमदर्दी जाहिर करने आए, तो उसने उनसे कहा : ‘मेरे लिए कुछ खाना ढूंढ कर लाओ, जब तक कि मुझमें चलने की शक्ति नहीं आ जाती ।’

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तीनों साथी खाने की तलाश में चल पड़े, पर सांझ तक उन्हें कोई भी जानवर शेर के खाने योग्य न मिला । लोमड़ी बहुत चालाक थी । वह शेर के पास जाकर बोली : ‘महाराज ! हम शिकार ढूंढने के बजाय क्यों न इस ऊंट को मारकर खा लें ।

वह हमारे लिए एक अजनबी है और उसे राजा के लिए मार डालने में कोई भी गलती नहीं है । शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया । ‘मैं अपनी शरण में आए जानवर को कैसे मार सकता हूं । मैं ऐसा कदापि नहीं करूंगा ।’ शेर ने कहा ।

‘मैं आपके नेक ख्यालात से सहमत हूं पर यदि हममें से कोई एक आपकी जान बचाने के लिए अपने आपको आपके हवाले कर दे, तो कोई गलत बात न होगी ।  आप इसे कैसे ठुकरा सकते हैं, जबकि आपने कई बार खाना तथा सुरक्षा देकर हमारी जान बचाई है ।’

भूखा शेर इस बार मना न कर सका । लोमड़ी अपनी चालाकी पर खुश होकर जल्दी से अपने दोस्तों के पास पहुंची । ‘हमारा राजा भूख से मर जाएगा, क्योंकि हम कोई शिकार नहीं ढूंढ सके हैं । वह मान गया है : यदि हममें से कोई अपनी मर्जी से उसका भोजन बन जाए ।

अब हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने आपको राजा के हवाले कर दें’ : लोमड़ी ने कहा । लोमड़ी, कौआ और चीता तीनों राजा शेर के पास पहुंचे । सबसे पहले कौए ने कहा : ‘नेक राजा ! मैं अपने आपको खुशी से भेंट करता हूं आपकी भूख मिटाने के लिए ।’

शेर कोई उत्तर दे, उससे पहले ही लोमड़ी बोल पड़ी : “तुम इतने छोटे जानवर हो, तुम्हारे से राजा की भूख नहीं मिटेगी । तुमसे केवल एक ग्रास ही बनेगा । मैं ज्यादा खाना बन सकती हूं ।” यह कहकर उसने सिर झुका लिया । शेर के उत्तर देने से पहले ही चीता बोल पड़ा : ‘तुम कौए से केवल थोड़ी बड़ी हो ।

क्या तुम समझती हो कि तुम्हें खाकर हमारे राजा का पेट भर जाएगा । नहीं-नहीं, तुम्हारे से ज्यादा अच्छा खाना मैं बन सकता हूं ।’  ऊंट चुपचाप खड़ा ये सारी बातें सुन रहा था । राजा के सारे मित्रों ने अपनी जिंदगी राजा के हवाले करने को कहा, लेकिन उसने किसी को भी नहीं छुआ ।

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मुझे भी अपना आदर पेश करना चाहिए और अपने आपको उसके हवाले कर देना चाहिए । वह आगे आया और जोर से बोला : ‘प्यारे मित्र चीता ! तुम और शेर एक ही जाति के हो । वह तुम्हें कैसे मारेंगे । शेर राजा को मुझे ही खा लेना चाहिए ।’

ज्यों ही ऊंट ने ये शब्द कहे, तीनों-चीता, कौआ और लोमड़ी उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला । बेचारा ऊंट मारा गया । उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं किया । कभी-कभी अच्छे नेता के चारों ओर गलत सलाह देने वाले लोग घिरे रहते हैं, जोकि अपने ही मित्रों को धोखा देने से नहीं चूकते ।


Hindi Story # 2 (Kahaniya)

हाथी और चूहे |

एक स्वच्छ मीठे पानी से भरी गहरी झील के किनारे एक सुंदर महल था । दिन बीतते गए, महल में रहने वाले लोग महल छोड़-छोड़ कर जाने लगे और एक दिन वही बड़ा महल टूट कर गिर गया ।

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वह एक खंडहर बनकर रह गया । कुछ दिन पश्चात पास के जंगल में रहने वाले चूहों का समूह उस ध्वस्त महल के पास से गुजरा । थे उस जीर्ण-शीर्ण महल को देखकर बहुत खुश हुए । ‘अहा ! ये जगह हमारे रहने के लिए कितनी बढ़िया है’ : चूहों के सरदार ने कहा ।

यहां हम शांति से रह सकते है । शीघ्र ही चूहों ने महल के कोने-कोने में अपने घर बना लिए और आराम से वहां रहने लगे । एक दिन हाथियों का झुंड उधर से गुजरा । उनके साथ एक बहुत बड़ा हाथियों का सरदार भो था । उन्हें झील के स्वच्छ पानी की सुगंध आई ।

वे उत्साहित होकर पानी की तरफ भागे । वे भरपेट पानी पीना चाहते थे, इसलिए वे बड़ी शीघ्रता से महल के खंडहर के बीच में से भागे । ऐसा करने से बहुत से चूहे उनके पैरों तले आकर कुचले गए । कुछ मर भी गए । चूहे आराम से अपने घरों में सो रहे थे ।

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इस आफत के आने पर बचे हुए सब चूहे इकट्ठे हुए और उन्होंने अपने को इस विपत्ति से बचाने के लिए उपाय खोजने के लिए सभा बुलाई । कुछ चूहों ने अपने सरदार से कहा : ‘ये बड़े जानवर अब बार-बार इस झील का पानी पीने के लिए यहां आएंगे ।

जितनी बार वे यहां आएंगे उतनी बार हममें से कितने ही उनके पैरों के नीचे दबकर मर जाएंगे और कितने कुचले भी जाएंगे । हम ये सब नहीं होने देना चाहते ।’ चूहों के सरदार ने उनकी बात मान ली । ‘पर इनसे लड़ा कैसे जाए ।

ये हमसे लड़ाई में कितने बलवान हैं । हम उनसे अच्छे व्यवहार और दया की प्रार्थना ही कर सकते हैं ।’  ऐसा विचार करके सारे चूहे एक कतार में होकर हाथीओं के सरदार से मिलने चल पड़े । हाथियों के सरदार ने ध्यान से उनकी बात सुनी । चूहों ने कहा : “हम आराम से वर्षों से इस टूटे-फूटे महल में रह रहे थे ।

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आपके हाथियों के झुंड ने झील पर जाने के लिए हमें रौंद डाला । आपने सैकड़ों चूहों को मार डाला । अगर यही सब चलता रहा तो एक भी चूहा जिंदा न बचेगा । आप हम पर कृपा कीजिए और अपने हाथियों को किसी दूसरे रास्ते से झील पर ले जाएं । सरदार जी ! क्या मालूम हम छोटे प्राणी भी किसी दिन आपके काम आ जाएं ।’

बड़े हाथी का दिल चूहों की बात सुनकर पिघल गया । उसने कहा : ‘ठीक है, मेरे सारे साथी दूसरे रास्ते से झील पर जाया करेंगे । हमें पता नहीं था कि आप चूहों ने इस महल में अपने घर बना रखे हैं । अब हम तुम बिल्लकुल तंग नहीं करेंगे ।’ चूहे ये सब सुनकर बहुत खुश हुए और शांतिपूर्वक अपने-अपने घर चले गए ।

समय इसी प्रकार गुजरता रहा । एक दिन वहां के राजा ने हुक्म दिया कि सब हाथियों को जाल में बांधकर लाया जाए और उन्हें राजा का काम करने की शिक्षा दी जाए । राजा के आदमियों ने जंगल में जाकर सारे हाथियों के लिए जाल बिछा दिए ।

जब हाथी पानी पीने के लिए झील की तरफ चले, तब एक को छोड़कर सभी हाथी जाल में फंस गए । हाथी जोर-जोर से चीखने-चिंघाड़ने लगे । वे अपने आपको मोटी रस्सियों से छुड़ाने की कोशिश करने लगे, पर कुछ लाभ न हुआ ।

वे पक्की रस्सियों से बंधे थे । तब हाथियों के सरदार को महल के खंडहरों में रहने वाले चूहों की याद आई । उसने बचे हुए हाथी से कहा : ‘तुम जल्दी से चूहों के पास जाओ और उन्हें हमारी हालत बताओ । वे हमारी मदद कर सकते हैं । चूहों के सरदार से कहना कि मैंने तुम्हें भेजा है ।’

हाथी जल्दी ही चूहों के पास पहुंचा और उनके सरदार को सब हाथियों कि हालत का समाचार सुनाया । चूहों के सरदार ने सब चूहों को बुलवाया और हाथीओं को बचाने का कार्य सौंपा । चूहे हर एक कोने से निकल कर हजारों की संख्या में इकट्ठे हो गए ।

बड़े चूहे, छोटे चूहे, मोटे चूहे, पतले चूहे, बूढ़े दादा, भूरी मूछों वाले चूहे और छोटे ताकतवर चूहे सभी अपने नेता के साथ जल्दी-जल्दी जाल में फंसे हाथियों के झुंड के पास जाने को तैयार हो गए । शीघ्र ही सब चूहे अपने छोटे और नुकीले दांतो से मोटी रस्सियों को कुतरने लगे ।

जल्दी ही सारी रस्सियां टूटकर नीचे गिर गईं और हाथी आजाद हो गए । उन्होंने अपने छोटे मित्रों का धन्यवाद किया । फिर वे आराम से जंगल की ओर चले गए । हथियों के सरदार ने अपने सभी हाथियों को बुलाकर कहा : ‘देखो हम कितने बड़े और ताकतवर जानवर हैं, फिर भी हमें छोटे और विनम्र चूहों ने बचाया । उनकी एक बार सहायता करने से हमारा जीवन बच गया, अन्यथा हम सभी पकड़े जाते ।


Hindi Story # 3 (Kahaniya)

गवैया गधा |

किसी धोबी के पास एक गधा था । गधा आ हो चुका था । दिनभर तो वह धोबी के कपड़े ढोया करता और रात होने पर जब उसका मालिक उसे खुला छोड़ देता, तो वह मनमाने ढंग से इधर-उधर घूमा करता ।

सुबह होने पर वह स्वयं ही धोबी के घर पहुंच जाता था । एक रात उस गधे की मुलाकात एक गीदड़ से हो गई । दोनों साथ-साथ रहने लगे । शीघ्र ही दोनों में मित्रता हो गई । शीघ्र ही दोनों में मित्रता हो गई । गधे के साथ अब गीदड़ भी खेतों में जाने लगा ।

गधे ने एक किसान की बाड़ी में ककडियां, तरबूज आदि लगे हुए देख लिए थे । वह रात को चुपके से बाड़ी में पहुंचता और पेटभर कर स्वादिष्ट ककड़ियों का आनंद उठाता । जब गीदड़ से मित्रता हो गई तो वह गीदड़ को भी अपने साथ ले जाने लगा ।

कई दिनों तक दोनों का यही क्रम चलता रहा । एक रात गधे ने पहले तो पेट ऋ, भरकर ककडिया खाई, फिर उसे मस्ती सूझने लगी । वह गीदड़ से बोला : ‘मित्र देखो ! आज कितनी सुहावनी रात है । चंद्रमा चमक रहा है, ठंडी-ठंडी हवा बह रही है ।

खेतों से कितनी मीठी-मीठी सुगंध उठ रही है । ऐसे में मेरा मन गाने को कर रहा है ।’ ‘नहीं मित्र ! ऐसा अनर्थ मत करना ।’ गीदड़ जल्दी से बोला : ‘बेकार ही आपत्ति को निमंत्रण नहीं देना चाहिए । हम यहां चोरी करने आए हैँ । चोरों और व्यभिचारियों को तो स्वयं को छिपाकर ही रखना चाहिए ।

वैसे भी तुम्हारी आवाज बहुत रूखी है । खेत के मालिक ने सुन लिया, तो वह जान जाएगा । फिर या तो तुम्हें बांध देगा या पीट-पीट कर मार डालेगा । बेकार के गायन के चक्कर में मत पड़ो ।’ गधा अकड़कर बोला : ‘तुम तो जंगली हो, तुम्हे भला संगीत का ज्ञान कहां ?’

‘शायद तुम ठीक कहते हो ।’ गीदड़ बोला: ‘किंतु गाना तुम्हें भी कहां आता है, मित्र!’ गीदड़ के बार-बार समझाने पर भी जब गधा नहीं माना, तो गीदड़ बोला : ‘ठीक है  मित्र ! तुम गाना चाहते हो तो शौक से गाओ, लेकिन कुछ देर वाद गाना । तब तक मैं खेत की मेंड़ पर बैठकर खेत के मालिक पर नजर रखता हूं ।’

आया एक अक्षत स्थान पर आकर गया । गीदड़ के जाते ही गधे ने रेंकना शुरू कर दिया । उसकी ढेंचू-ढेंचू की आवाज सुनकर खेत का मालिक जाग गया । वह लाठी उठाकर गधे की ओर दौड़ पड़ा । उसने क्रोध में आकर गधे की पीठ पर इतनी लाठियां बरसाईं कि गधे की पीठ टूट गई और वह भूमि पर गिरकर लंबी-लंबी सांसें लेने लगा ।

किसान ने उसके गले में एक भारी-सी ऊखल बांध दी और वापस जाकर आराम से सो गया । किसान के जाते ही गधा उठा और लंगड़ाता हुआ मार की पीड़ा झेलता हुआ किसी तरह ऊखल लटकाए खेत से बाहर निकल आया । उसकी ऐसी हालत देखकर गीदड़ खिल-खिलाकर हंस पड़ा ।

बोला : ‘वाह मित्र, वाह ! तुम्हारे गायन से खुश होकर किसान ने कितना शानदार पुरस्कार इनाम में दिया है ।’ ‘अब और शर्मिंदा मत करो मित्र’, गधे ने झेंपते हुए कहा: ‘मैंने तुम्हारी सलाह नहीं मानी, उसी की यह सजा मुझे मिली है । अब से भविष्य में यदि कोई अच्छी सलाह देगा, तो मैं उस पर जरूर अमल करूंगा ।’


Hindi Story # 4 (Kahaniya)

ब्राह्मण और बकरी |

एक बार एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था । ब्राह्मण एक बडी पूजा करना चाहता था । उसे पूजा में चढाने के लिए एक बकरी की बलि देनी थी, इसलिए वह पास के गांव में एक बकरी मांगने के लिए चल पड़ा । एक अमीर व्यक्ति ने उसे एक मोटी बकरी दान में दी, जिसे पाकर वह बहुत खुश हुआ ।

ब्राह्मण ने उस बकरी को जांचा-परखा कि कहीं उसका कोई अंग खराब न हो, क्योंकि ऐसे जानवर को देवताओं को अर्पण नहीं किया जाता । जब उसने बकरी को चारों ओर से परख लिया और उसे बिकुल ठीक पाया, तब वह बहुत खुश हुआ । ब्राह्मण ने उसे अपने कंधे पर लाद लिया और अपने घर की ओर चल पड़ा ।

जब वह अपने घर की ओर जा रहा था, तब तीन ठग उसके पीछे लग गए । उनकी आखों में बकरी को देखकर चमक आ गई । यदि यहा बकरी हमें मिल जाए तो हम इसे मारकर इसका मांस कई दिन तक खा सकते हैं । एक ठग अपने होंठों पर यह सोचकर जबान फेर रहा था, तो दूसरों के मुंह में पानी आ रहा था ।

हमें ब्राह्मण से बकरी छुड़ाने का कोई उपाय सोचना चाहिए । एक ठग ने दबी आवाज में दोनों ठगों को बकरी छीनने का उपाय बताया । वे भी उसका तरीका सुनकर मुस्कराए और खुश होकर तालियां बजाने लगे । ब्राह्मण चुपचाप अपने घर की ओर जा रहा था, तभी एक ठग ने उसका रास्ता रोक कर कहा : ‘श्रीमान ! आप अपने कंधे पर यह गंदा कुत्ता क्यों लेकर जा रहे हैं ।

आपके जैसी हस्ती वाले को यह शोभा नहीं देता ।’  ब्राह्मण ऐसा सुनकर बहुत नाराज और हैरान हुआ । तुम क्या अंधे हो, तुम्हें दीखता नहीं, मैं एक बकरी को ले जा रहा हूं । ब्राह्मण फिर आगे चलने लगा । ठग ने फिर कहा : ‘मुझे कोई बकरी नहीं दीख रही, मुझे अभी भी यह कुत्ता दिखाई दे रहा है, जिसे तुमने अपने कंधे पर उठा रखा है, माफ करना ।’

ब्राह्मण अभी भी चला जा रहा था । वह दुखी और निराश था, तभी दूसरा ठग आ गया और अपने मुंह पर हाथ रख कर बोला : ‘हाय राम ! श्रीमान आप अपने कंधे पर मरा हुआ बछड़ा क्यों रख कर ले जा रहे हैं ?  हो सकता है किसी समय यह सुंदर जानवर रहा हो, पर अब यह मर चुका है और आपका इसको कंधे पर लादकर ले जाना शोभा नहीं देता ।’

ब्राह्मण को बहुत गुस्सा आया । उसने कहा : ‘तुम कहना क्या चाहते हो ? यह कोई मरा हुआ बछड़ा नहीं है, यह एक सुंदर जवान बकरी है ।’ ‘तुम इसे बकरी समझते रहो, परंतु है यह मरा हुआ बछड़ा ही’ : ठग ने कहा और वह गायब हो गया । ब्राह्मण ने हैरानी से अपना सिर घुमाया और आगे चलता रहा ।

थोड़ी देर बाद ही तीसरा ठग आ पहुंचा । उसने भी हैरानी से ब्राह्मण को देखा और कहा : ‘श्रीमान ! आप को क्या हो गया है । आप इतने भारी गधे को कंधे पर लादकर ले जा रहे हैं । कितनी अजीब बात है ।’ ब्राह्मण यह सुनकर डर गया ।

उसने घबराहट में सोचा-मुझे कैसा अजीब जानवर दिया गया है । शायद यह कोई बुरी आत्मा या राक्षस है, जो पल-पल अपनी शक्ल बदल देता है, क्योंकि तीन अजनबी आदमियों ने इसे तीन अलग-अलग शक्लों में देखा है । उसने जोर से चीख मारी और बकरी को अपने कंधे पर से उतार कर फेंक दिया । अब वह जल्दी-जल्दी अपने घर की ओर चल पड़ा ।

तीनों ठगों ने उसे भागते हुए देखा तो बहुत खुश हुए । उन्होने फटाफट बकरी को उठा लिया । ‘हमने अपने झूठे वचनों से किस प्रकार ब्राह्मण को बेवकूफ बनाकर ठग लिया । वह भूल गया कि ऐसी परिस्थिति में उसको अपनी योग्यता पर भरोसा करना चाहिए न कि जो कोई कुछ भी कहे उसे मानता चला जाए ।’


Hindi Story # 5 (Kahaniya)

होशियार खरगोश और शेर |

एक बार एक बड़े जंगल में एक ताकतवर शेर रहता था । वह इतना बलवान और तगड़ा था कि जंगल में सब जानवर उसे राजा मानते थे । जंगल का कोई भी जानवर उसका मुकाबला नहीं कर सकता था, इसलिए वह निडर होकर जंगल में घूमता रहता और अपनी भूख मिटाने के लिए किसी भी जानवर को मारकर खा जाता था ।

धीरे-धीरे जंगल के जानवर कम होने लगे, तो जानवरों ने सोचा : ‘यदि इसी तरह चलता रहा तो जंगल में कोई जानवर नहीं बचेगा ।’ उन्होंने आपस में सभा करके सलाह की कि किस तरह शेर को इस अन्यायपूर्ण काम से रोका जाए । आखिरकार सब जानवर मिलकर शेर के पास और बोले : “महाराज दुम भापके खाने के लिए प्रतिदिन एक जानवर भेज दिया करेंगे ।

बदले में आप जंगल में किसी जानवर का शिकार नहीं करेंगे, यह आपको वायदा करना होगा एक । आपको शिकार करने की मुसीबत भी नहीं उठानी पड़ेगा । आपको आपनी मांद में आराम से बैठे रहना होगा । और भोजन आपके पास पहुंचका दिया जाएगा ।”

शेर ने सोचा कि यह अच्छा मौका है । उसने दहाड़ कर कहा : “लेकिन याद रखना ! अगर किसी भी दिन एक जानवर मेरे खाने के समय तक नहीं पहुंचा तो मैं तुम सबको मार डालूंगा ।”  सब जानवर शेर की दहाड़ सुनकर कांपने लगे । उन्होंने वायदा किया कि वे शेर के दरवाजे पर हर रोज एक जानवर भेज दिया करेंगे ।

इसके बाद जंगल में शांति हो गई । जानवर आराम से बिना डरे इधर-उधर घूमने लगे । उन्होंने अपना वायदा निभाया । वे शेर क जानवर भेज दिया करते थे । एक बार एक नन्हे पतला-दुबला बड़े-बड़े कानों वाला जानवर था । वह एक होशियार खरगोस था ।

जब उसने अपना नाम सुना तब वह कांपा जरूर, पर उसने हिम्मत नहीं हारी । वह मरना नहीं चाहता था । उसने अपनी बुद्धि तथा चतुराई से अपने आप को बचाने का उपाय सोचा । वह शेर की मांद की तरफ धीरे-धीरे सोचता हुआ जा रहा था । रास्ते में उसने एक पुराना गहरा कुआं देखा । जब उसने अंदर झांक कर देखा तो उसे अपना प्रतिबिंब उसमें नजर आया ।

तुरंत उसका दिमाग चलने लगा । वह धीरे-धीरे शेर की मांद की तरफ जा रहा था । हालांकि शेर के खाने का समय हो चुका था, पर उसे उसकी परवाह नहीं थी । इधर शेर खाने के लिए जानवर का इंतजार करते-करते अपनी मांद से बाहर आ गया । उसे बहुत गुस्सा आ रहा था ।

वह चिल्लाया : ‘यदि मेरा खाना इसी समय यहां नहीं आया तो मैं जंगल के सब जानवरों को मार डालूंगा ।’ तभी दुबला-पतला खरगोश उसके दरवाजे पर आ खड़ा हुआ । शेर उसे देखकर ज़ोर से दहाड़ा : ‘तुम इतनी देर से क्यों आए हो ? और सब जानवरों ने मुझे इतनी देर तक भूखा क्यों रखा ?

और तुम इतने दुबले हो कि मेरा खाने का एक ही ग्रास बनेगा । जंगल के सब जानवरों को इस गलती कि सजा भुगतनी पड़ेगी ।’ खरगोश ने सिर झुकाकर नरम आवाज में कहा : ‘महाराज ! में देर से क्यों आया हूं इसका एक कारण है । इसमें अन्य जानवरों का भी कसूर नहीं है । यदि आप ध्यान देकर मेरी बात सुनें, तब मैं आपको सारी कहानी सुनाता हूं ।’

शेर बोला : ‘सुनाओ, पर जल्दी से । मैं भूख से मरा जा रहा हूं ।’ खरगोश ने कहा : ‘आज हम खरगोशों की बारी थी, आपको भोजन देने के लिए । जब मेरा नाम पुकारा गया, तब सभी ने कहा कि मैं बहुत ही छोटा और दुबला-पतला जानवर हूं इससे आपका पेट नहीं भरेगा ।

इसलिए चार मोटे-मोटे खरगोश भी मेरे साथ आपका भोजन बनने के लिए आ रहे थे । रास्ते में हमें एक-दूसरे बड़े शेर ने रोक लिया । वह बहुत ही ताकतवर था । उसने हमसे पूछा कि तुम सब कहां जा रहे हो ? जब हमने उसे पूरी कहानी सुनाई कि हम अपने राजा के लिए भोजन बनने जा रहे हैं, तब वह बहुत नाराज हुआ ।

उसने कहा कि मैं ही असली जंगल का राजा हूं और वह दूसरा शेर नकली है ।’ शेर इसे सच न मानकर फिर बोला : ‘तब क्या हुआ ?’ खरगोश बोला : ‘तब वह शेर उन चारों खरगोशों पर टूट पड़ा और बोला : ‘ये मेरे लिए बहुत स्वादिष्ट खाना बनेंगे । उसने मुझे इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि मैं बहुत दुबला-पतला हूं और इससे उसकी भूख नहीं मिटेगी ।’

शेर ये सब सुनकर बहुत जोर से गुस्से में दहाड़ा : ‘मुझे शीघ्र उसके पास ले चलो । ये दूसरा शेर कहां से आ गया, जो मुझसे टकराना चाहता है ।’ खरगोश ने कहा : ‘महाराज ! वह अंधेरी गुफा में रहता है और उसके पास जाना खतरनाक है ।’

खरगोश की आवाज थर्रा रही थी । शेर ने चिल्लाकर कहा : ‘मैं किसी से नहीं  डरता । असल में मैं उसके पास जाकर हिसाब-किताब चुकता करना चाहता हूं ।’ खरगोश उसे जल्दी ही पुराने कुएं के पास ले गया । ‘इसके अंदर देखिए आपको ताकतवर शेर स्वयं ही दीख जाएगा’ : खरगोश ने कहा ।

शेर कुएं के किनारे पर जाकर अंदर झांकने लगा । शेर को उसके अंदर अपना ही प्रतिबिंब दिखाई दिया । शेर ने सोचा यही दूसरा शेर है जो मुझे खा जाने वाली नजरों से देख रहा है । उसने जोर से मुख खोलकर डरावनी दहाड़ लगाई । थोड़ी देर में कुएं से भी वैसी ही आवाज वापस आई ।

खरगोश ने कहा : ‘महाराज ! ये दूसरा शेर बहुत नाराज लगता है । हमें यहां से भाग जाना चाहिए अन्यथा ये न जाने क्या कर बैठे ।’  ‘मैं इसे खत्म किए बिना कहीं नहीं जा सकता’: यह कहकर शेर दहाड़ता हुआ दूसरे शेर को मारने के लिए कुएं में छलांग लगा बैठा और शीघ्र ही डूब गया ।

होशियार खरगोश वापस घर पहुंचा । घर वाले और मित्र उसे देखकर बहुत आश्चर्यचकित हुए । उसने सबको ताकतवर शेर को मारने की कहानी सुनाई । कभी-कभी चतुराई और बुद्धिमत्ता बड़े-बड़े बलवानों पर भारी पड़ती है ।


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