मेरे मित्र और उनके शौक पर अनुच्छेद | Paragraph on My Friends and Their Hobbies in Hindi

प्रस्तावना:

चाहे इसे सौभाग्य समझा जाये या दुर्भाग्य, मेरे मित्रों की संख्या बड़ी सीमित है । कभी-कभी जब मैं किसी अन्य लड़के को अनेक मित्रों से घिरा पाता हूँ तो मुझे बड़ा आश्चर्य होता है ।

मेरे मित्र:

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मेरे केवल चार मित्र हैं । उनके नाम हैं-राज, रवि, किशोरी लाल और परमानन्द । चारों के शौक अलग-अलग हैं ।

राज का शौक:

मेरा मित्र राज डाक-टिकटों का संग्रह करने का शौकीन है । उसके पिता बड़े समृद्ध हैं । वे अपने पुत्र राज के शौक पर काफी धन व्यय करते हैं । यह बड़ा खर्चीला शौक है । राज को जब खर्च के लिए काफी पैसे मिलते हैं, जिनमें से अधिकतर पैसे वह डाक-टिकटों पर व्यय कर देता है ।

उसके एलबम में ससार के लगभग सभी देशों के अनेक टिकट हैं । उसका दावा है कि महारानी विक्टोरिया के शासनकाल में उसके बाद के जारी किए गए सभी टिकट उसके पास हैं । उसके सग्रह में अनेक दुर्लभ और विचित्र किस्म के टिकट हैं ।

वह बड़े गर्व से अपना संग्रह दिखाता है । मैंने उसके पास भांति-भांति के और विभिन्न आकार तथा रंगों के टिकट देखे हैं । उसने देशों के अनुसार टिकटों की एलबम में लगाया है । उसका दावा है कि उसका संग्रह दुर्लभ है ।

रवि का शौक:

मेरे दूसरे मित्र रवि का शौक चित्र और फोटो इकट्‌ठा करना है । उसके पास भारतीय रियासतों के राजाओं के फोटो हैं । इसके अलावा स्वतत्रता के बाद से भारत के सभी राष्ट्रपतियों, गर्वनरों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्रियों तथा लोक सभा के अध्यक्षों के फोटो भी उसके संग्रह में हैं ।

विदेशी विभूतियों के फोटो उसने अलग एल्बम में लगा रखे है । उसके संग्रह में भारत के अधिकांश ऐतिहासिक इमारतों और स्मारकों के चित्र भी है । भारत के प्रसिद्ध खिलाडियों के चित्रों का उसने एक अलग एलम बनाया है ।

भारत के महान् संत और दार्शनिक तथा समाजसुधारकों के चित्र उसके संग्रह का मान बढ़ाते हैं । रवि के एलम को देखकर बड़ा मजा आता है । जो भी उसके चित्रों की देखने की इच्छा करता है, रवि बडे उत्साह से उसे सारे चित्र दिखाकर गर्व अनुभव करता है । हर चित्र के नीचे उसने बड़े सुन्दर अक्षरो में चित्र का परिचय लिख रखा है ।

किशोरी लाल का शौक:

मेरे तीसरे मित्र किशोरी लाल का शौक अजीब है । उसे तरह-तरह की पत्तियाँ इकट्‌ठा करने का शौक है । वह पत्तियों को लेकर उन्हे पुस्तकों से कुछ दिन दबा देता है । जब से वे सूख जाती हैं, तो उन्हें ध्यान से निकाल कर एक एल्बम में चिपकाकर उस पर पारदर्शक कागज लगा देता है, ताकि देखने से वे टूट न जायें । इस शौक पर कोई विशेष खर्च नहीं आता ।

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उसके पास अनेक प्रकार की पत्तियाँ जमा हो गई हैं । वह जहाँ-कहीं भी जाता है, नए किस्म की पत्तियों की तलाश में रहता है । अब तक उसके पास हजारों किस्म की पत्तियाँ एकत्र हो गई हैं । उन्हें देखकर बड़ा आश्चर्य होता है । उसका संग्रह भी बड़ा रोचक है ।

परमानन्द का शौक:

मेरे चौथे मित्र परमानन्द का शौक बागवानी है । वह एक साधारण खाते-पीते घर का लडका है । उसके पास बागवानी के लिए थोड़ी-सी जमीन ही है । बड़ी थोड़ी-सी भूमि पर ही उरपने बड़े कलात्मक ढंग से क्यारियाँ और गमले सजाये हैं ।

गमलों में अनेक किस्म के फूलों के पौधे हैं । वह अपने छोटे-से बगीचे में कुछ सब्जियाँ भी उगा लेता है । अपना सारा खाली समय वह बगीचे में लगाकर बड़ा आनन्दित होता है । उसे अपने छोटे-से उद्यान पर गर्व है ।

उपसंहार:

यह मेरे चार मित्रों के शौक हैं । मेरा कोई विशेष शौक नहीं है । अपने मित्रों के शौक से ही मैं बड़ा आनन्दित होता हूँ । मैं कभी-कभी मित्रों के शौक में ही मदद करता रहता हूँ । जब भी मुझे कोई नई डाक टिकट दिखती है, मैं राज के लिए रख लेता हूँ और मिलने पर उसे दे देता हूँ ।

इसी प्रकार जब कभी कोई नई या पुरानी ऐसी तस्वीर दिख जाती है, जो रवि के संग्रह में नहीं है, मैं उसके लिए रख लेता हूँ अथावा नई किस्म की पत्ती देखकर किशोरीलाल को दे देता हूँ । जब कभी मैं परमानन्द के घर जाता हूँ तो बागवानी में उसकी मदद करता हूँ । इस प्रकार मेरे मित्रों के सभी शौक मेरे अपने शौक बन गए हैं ।

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