विधानसभा पर निबन्ध | Essay on Legislative Assembly in Hindi!

हमारे देश में 28 राज्य हैं । जैसे संसद देश का शासन चलाने वाली सर्वोच्च संस्था है ठीक उसी प्रकार राज्य में शासन चलाने वाली सर्वोच्च संस्था राज्य में शासन चलाने वाली सर्वोच्च संस्था असेम्बली या विधायिका कहलाती है ।

विधानसभा राज्य विधायिका का निम्न सदन है । इसके सदस्य सीधे जनता द्वारा वयस्क मताधिकार के द्वारा चुने जाते हैं । भारत के संविधान के अनुच्छेद 171 में विधान सभाओं की संरचना का उल्लेख किया गया है ।

संविधान द्वारा कहा गया है कि विधानसभा में कुल सदस्य सख्या 500 से अधिक तथा 60 से कम नहीं होगी । 18 वर्ष की आयु प्राप्त ऐसा प्रत्येक भारतीय नागरिक विधानसभा के लिए मतदान कर सकता है जो पागल, दिवालिया या विद्रोही न हो और जिसका नाम उस क्षेत्र की मतदाता सूची में हो ।

विधान सभा का कार्यकाल अपनी प्रथम बैठक के दिन से अगले पाँच वर्ष तक का होता है । इससे पूर्व भी इसे राज्यपाल द्वारा भंग किया जा सकता है । संकटकाल में एक बार में एक वर्ष तक के लिए होता है । भारतीय संसद विधानसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष से आगे भी बढ़ा सकती है ।

राज्य विधानसभा के दो प्रमुख पदाधिकारी अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष होते हैं । अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन करता है । उपाध्यक्ष अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष पद के दायित्व निभाता है ।

विधानसभा के अधिकार एवं शक्तियाँ

1. राज्य विधानसभा को राज्य सूची तथा समवर्ती सूची में उल्लिखित समस्त विषयों पर कानून निर्माण का अधिकार है । यदि समवर्ती सूची के किसी विषय पर उसके द्वारा निर्मित कानून संसद द्वारा बनाए गए कानून के विरुद्ध हो तो वह अवैध होगा ।

2. वह राज्य के वित्त पर नियन्त्रण रखती है । वह बजट को पास करती है । वित्त विधेयक पहले विधानसभा में ही प्रस्तुत होता है । वित्तीय विधेयकों के सम्बन्ध में विधानपरिषद की सिफारिशों को मानना अथवा न मानना विधानसभा पर निर्भर करता है ।

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3. विधानसभा सदस्य प्रश्न पूछकर निन्दा प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव द्वारा राज्य मन्त्रि परिषद (कार्यपालिका) पर नियंत्रण रखती है । विधानसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित करके राज्य मंत्रिपरिषद (कार्यपालिका) को पद त्याग के लिए बाध्य कर सकती है ।

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4. संविधान की कतिपय धाराओं में संशोधन के लिए राज्य विधानसभा में उस विषय पर मतदान होता है । वह उसे स्वीकृत अथवा अस्वीकृत कर सकती है । ऐसी धाराओं में संशोधन पर भारत संघ के कम से कम आधे राज्यों का समर्थन मिलना आवश्यक है ।

5. राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेते हैं । विधानसभा अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव भी करती है । अध्यक्ष विधानसभा का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है । अध्यक्ष का कार्यकाल सदन के कार्यकाल के बराबर होता है ।

विधानसभा भंग होने उपरान्त भी वह उस समय तक अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है जब तक कि नवगठित विधानसभा की प्रथम बैठक न हो । चुने जाने के पश्चात निष्पक्ष भूमिका निभाने के लिए पद पर आसीन रहने तक वह निर्दलीय स्थिति में आ जाता है ।

उसे सदन के बहुमत द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव से हटाया जा सकता है । अध्यक्ष के प्रमुख कार्य हैं- विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता तथा कार्यवाही का संचालन, सदन में शान्ति व व्यवस्था बनाए रखना, सदन में सदस्यों को भाषण की इजाजत देना, धन विधेयक को प्रमाणित करना, सदन तथा राज्यपाल के बीच सम्पर्क कड़ी, विधानसभा तथा विधानपरिषद् के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता आदि ।

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