रेलवे स्टेशन का दृश्य पर अनुच्छेद | Paragraph on A View of Railway Station in Hindi

प्रस्तावना:

किसी ट्रेन के आने के कुछ समय पूर्व से रेलवे स्टेशन बड़ा व्यस्त स्थान बन जाता है । ऐसे समय यही बहुत-से लोगों की चहल-पहल दिखाई देने लगती है । चारों ओर तरह-तरह के स्त्री-पुरुष और बच्चे दिखाई देते है ।

टिकट की खिड़की का दृश्य:

प्लेटफार्म पर अन्दर घुसने से पहले यात्रा के लिए टिकट लेनी पड़ती है । मुझे द्वितीय श्रेणी में यात्रा करनी थी । एक-एक करके मुसाफिर टिकट लेकर खिड़की छोड़ते और लाइन आगे बढ़ जाती । लाइन को व्यवस्थित करने के लिए कुछ पुलिस वाले घूम रहे थे । वे धक्कम-धक्का नहीं करने देते थे । कुछ देर मे मेरा नम्बर आया और मैंने टिकट खरीद ली ।

प्लेटफार्म का दृश्य:

टिकट लेकर मैं प्लेटफार्म पर जा पहुँचा । प्लेटफार्म पर अनेक यात्री ट्रेन की प्रतीक्षा में बैठे थे । कुछ लोग बैचो पर बैठे थे । सभी थोड़ी-थोड़ी देर बाद गाड़ी के आने की दिशा में दृष्टि डालकर भरोसा कर लेते थे कि अभी गाड़ी आने में कुछ देर है । कुछ लोग प्लेटफार्म पर इधर से उधर टहलते हुए ट्रेन की बड़ी आतुरता से प्रतीक्षा कर रहे थे ।

प्लेटफार्म पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर 2-3 कुली बैठे आपस में बतिया रहे थे । उनमें कुछ सामान लेकर, यात्रियों को लाए थे और अब ट्रेन आने पर उन्हें उनका सामान ट्रेन में चढ़ाना था जबकि कुछ कुली ट्रेन से उतरने वाले यात्रियो के सामान की आशा में थे । कुछ यात्री अपने सिर पर सामान लादे व कुछ छोटा सामान बगल में दबाये थे ।

ट्रेन के आगमन का दृश्य:

थोड़ी ही देर में दूर सामने से ट्रेन आती दिखाई दी । सारा प्लेटफार्म उसी क्षण हरकत में आ गया । जो कुली सामान लाये शे वे दौडकर अपने सामान को सिर पर उठाने लागे । अन्य सभी लोग उठकर तैयार खड़े हो गए । सभी लोग ट्रेन में धुरसे की जल्दी में दिखाई देते थे, ताकि उन्हें ठीक से बैठने का स्थान मिल सके ।

अभी ट्रेन ठीक से रुक भी ने पाई थी कि कुछ नौजवान लपक कर डिब्बा के दरवाजे में चूसने लगें । यहाँ उतग्ने वाले लोग पहले से ही खड़े थे । इधर ये लोग अन्दर घुसने की तथा उतरने वाले यात्री बाहर आने की कोशिश करने लगे । उनके बीच हाथापाई-सी होने लगी ।

काफी धक्कम-धक्का और बहस के बाद उतरने वाले लोगों को नीचे आने को मिला और एक-एक कर प्लेटफार्म के यात्री अन्दर जाने लगे । जिन लोगों को बैठने का रथान मिल गया, वे आराम से पैर फैलाकर बैठ गए व शेष लोग खड़े रहे ।

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कुछ लोग जो ट्रेन में ठीक स्थान न ले पाये थे, एक-एक डबा झाँकते प्लेटफार्म पर बडी उत्कठा से घूम रहे थे । मै भी उन्हीं मे से एक था । इतनी देर में मुझे एक छोटे-से डब्बे में कुछ स्थान दिखा और में उसने घुस गया ।

खोमचे वाले:

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ट्रेन में मुझे किनारे की सीट मिल गई । मैंने राहत की सारा ली और अब में प्लेटफार्म की ओर फिर देखने लगा । अब प्लेटफार्म वीराना-सा था । जाने वाले यात्री तथा उन्हें लेने आने वाले लोग बाहर जा चुके थे तथा बाहर की यात्रा करने वाले ट्रेन में बैठ चुके थे ।

प्लेटफार्म पर अब रेलवे कर्मचारी और खोमचे वाले तथा चाय बेचने वाले दिखाई दे रहे थे । खोमचे वाले आवाज दे-देकर हर डब्बे में झाक कर ग्राहक तलाश करते थे । कुछ पानी वाले बालिया लिए यात्रियों को पानी पिला रहे थे ।

सभी खोमचे वाले बड़ी जल्दी मचा रहे थे, क्योंकि ट्रेन का थोड़ा-सा समय ही तो उनकी बिक्री का समय होता है । प्लेटफार्म पर कुछ रेलवे स्टाफ के लोग ट्रेन की देखभाल में लगे हुए थे कुछ पुलिस वाले राइफले लिए प्लेटफार्म का चक्कर लगा रहे थे ।

उपसंहार:

थोड़ी देर के बाद घंटी बजी । गार्ड ने झंडी दिखाई और ट्रेन फिर अपने गंतव्य की ओर चल दी । मैने चलती गाड़ी से मुँह निकाल कर पुन: प्लेटफार्म की ओर देखा, इतनी ही देर में वही सन्नाटा सा छा चुका था । सभी फेरीवाले और कुली आराम से बैठे दीख रहे थे ।

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