रेलवे कुली पर अनुच्छेद | Paragraph on Railway Porter in Hindi

प्रस्तावना:

रेलवे कुली समाज का एक उपयोगी सदस्य है । वह कडी मेहनत करता है । जब कभी तुम रेलवे टेशन जाओगे, उससे अवश्य ही मुलाकात हो जायेगी । वह आपका सामान प्लेटफार्म पर ले जाकर निश्चित गाड़ी में रख देगा ।

उसका रूप-रंग:

रेलवे कुली सामान्यतया: निर्धन वर्ग का होता है । उसका चेहरा अधमैले रंग का तथा गर्दन मोटी होती है । उसकी छाती चौड़ी तथा कंधे भारी होते हैं । उसकी बांहे, मांसल तथा टागें पुष्ट और मजबूत होती हैं । कभी हम उसे हल्का-सा हैण्ड बैग उठाये देखते हैं, तो कभी-कभी भारी बक्सों और विस्तरों से लदा पाते है ।

वह यात्रियों के हर प्रकार के सामान को रेल तक तथा रेल से वाहन तक पहुँचाता है । उसकी रोटी-रोजी इसी मजदूरी से चलती है । वह दिन और रात ड्‌यूटी पर मुस्तैद रहता है । किसी भी गाड़ी के आने या जाने के समय हमें कुलियों की भीड़ दिखाई देती है ।

अक्सर वह प्लेटफार्म पर ही रात गुजारता है । कभी-कभी वह ऊपर से नीचे तक भारी बोझ से लदा होता है । 2-3 ट्रैक और बिस्तर सिर पर, बड़ा थैला बगल में लटका कर तथा हैण्ड बैग को हाथ में पकड़े देखकर लद्दू-टट्टू का आभास होता है । उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती । गर्मियों में उसे भारी कठिनाई होती है । उसके सारे बदन से पसीना चूता रहता है और फिर भी वह भारी बोझ से लदा अपने गतव्य पर आता-जाता देखा जा सकता है ।

उसकी वर्दी:

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उसकी पोशाक सदैव ढीली-ढाली और मैली-कुचैली होती है । वह आमतौर पर लाल या नीले रग की ढीली कमीज तथा पजामा पहनता है । उसे कमर में एक पट्टी बाँधना लेकिन बहुत कम कुली ऐसा करते हैं । उसकी बायी बाह पर पीतल का एक बिल्ला बधानी चाहिए होता है । इस बिल्ले में स्टेशन का नाम और कुली का लाइसेन्स नम्बर लिखा होता है । इस नम्बर से उसकी उसकी पहचान होती है ।

उसका काम और मजदूरी:

रेलवे कुली बड़ी मेहनत से आजीविका कमाता है वह भारी बोझ एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर सीढियाँ चढ़कर पुल पार कर पहूँचाता है । वह प्रति फेरा निर्धारित मजदूरी लेता है । उसकी मजदूरी का निर्धारण रेलवे के अधिकारीगण करते हैं । कभी-कभी उसे अच्छी बख्शीस भी मिल जाती है ।

उसकी आदतें:

रेलवे कुली आमतौर पर बड़े चालक होते हैं । वे कभी-कभी बेईमानी पर उतर आते हैं । भोले-भोले लोगों को ठग लेना उनके बायें हाथ का खेल होता हैं । वे गरीबो से पैसा ऐंठने में कोई सकोच नहीं करते । यही कारण है कि हमें कुलियों से कोई सहानुभूति नहीं होती । मजबूरी में ही हमें उनकी मदद लेनी पड़ती है ।

लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे तपती धूप, बरसते पानी और कड़ाके की ठंड में भी मेहनत करके अपनी रोजी कमाते है, इसलिए हमें उनकी अनावश्यक मांग पर गुस्सा नहीं करना चाहिए ओर जहाँ तक हो सके उन्द्रें उचित मजदूरी देनी चाहिए ।

उपसंहार:

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रेलवे कुली रेल यात्रा का आवश्यक अंग है । हमें चाहिए कि कुली से सामान उठवाने के पूर्व हम उसका लाइसेन्स नम्बर नोट कर लें, ताकि भीड़-भाड़ मैं उसका साथ छूट जाने पर भी हम उसका पता लगा सकें ।

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