यदि मैं करोड़पति होता पर निबन्ध |If I were A Millionaire in Hindi!

मैं एक मध्यवर्गीय समाज का अंग हूँ । कभी-कभी सोचता हूँ क्यों न मैं एक धनवान व्यक्ति बन जाऊँ ! इसमें बुराई ही क्या है ? परंतु कैसे ? क्या इसके लिए कोई शार्टकट रास्ता है ? कुछ लोग दूसरों का धन हड़प कर तो कुछ नाजायज तरीके अपनाकर धनवान बनते हैं परंतु मैं यह रास्ता नहीं चुन सकता ।

साधारण-सी नौकरी करते हुए भी करोड़पति बना नहीं जा सकता । हो सकता है किसी दिन मेरी लाटरी निकल जाय और मैं करोड़पति बन जाऊँ । यह भी हो सकता है कि धीरूभाई अंबानी की तरह मैं छोटी पूँजी से अपना कोई व्यापार शुरू करूँ और एक दिन मैं करोड़पति या अरबपति बन जाऊँ ।

जो भी हो मेरी आकाक्षा है कि मैं एक करोड़पति होता । यदि ऐसा होता तो मैं सचमुच सौभाग्यशाली होता । एक शानदार कोठी या बँगला खरीदता और एक कार खरीदता । मेरे घर में कई रसोइए और नौकर-चाकर होते । अमीर व्यक्तियों की तरह मैं भी ठाठ-बाट की जिंदगी जीता ।

मगर आज तो ऐसा है कि एक मामूली साइकिल भी खरीदनी होती है तो महीनों प्रतीक्षा करनी पड़ती है । एक अच्छा-सा ड़ेस खरीदकर पहनना चाहता हूँ तो अभिभावक पैसे की तंगी का रोना रोते हैं । अच्छा खाना, अच्छे होटल में ठहरना कार पर घूमना जब जी चाहे पर्यटन के लिए निकल पड़ना ये सब बस शौक ही बनकर रह गए हैं ।

यदि मैं करोड़पति होता तो मुझे पिताजी की असहाय स्थिति न देखनी पड़ती । परिवार की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए उन्हें एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है । प्राइवेट (निजी) स्कूल के शिक्षक को वेतन ही कितना मिलता है ! इसलिए उन्हें कई ट्‌यूशन देनी पड़ती है । सुबह पाँच बजे से रात नौ बजे तक वे इधर-उधर भागते ही रहते हैं ।

यदि मैं करोड़पति होता तो क्या पिताजी को इतना जीतोड़ श्रम करना पड़ता क्या मुझे माँ को कोल्द के बैल की तरह दिन-रात घर में काम करते देखना पड़ता माँ के पास न तौ अच्छे कपड़े हैं और न ही इतनी फुरसत कि कभी अपने शरीर की तरफ ध्यान दे सकें ।

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हर समय घरवालों की सेवा में ही लगी रहती हैं । यदि मैं करोड़पति होता तो घर में नौकर-चाकर होते जो घर का अधिकांश कार्य निबटा देते ।जब भी मैं आसमान में किसी वायुयान को देखता हूँ तो मेरी इच्छा होती है कि काश ! एक दिन मैं भी इस पर चढ़कर यात्रा करता । न्यूयार्क वाशिंगटन ? पेरिस लंदन आदि स्थानों में घूमता-फिरता मौज-मस्ती करता ।

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परंतु ‘दुनिया की सैर कर लो’ बस एक मुहावरा बन कर रह जाता है क्योंकि घर में खाने-पीने के लिए ही जब पैसों का अभाव है तो महँगी वायुयात्रा कैसे सँभव हो ! रोटी कपड़ा और मकान जैसी अनिवार्य आवश्यकताएँ पहले पूरी करनी होती हैं ।

यदि मैं करोड़पति होता तो मेरा एक पड़ोसी उचित चिकित्सा के अभाव में अकाल ही न मर जाता । परिवार की गरीबी ने ही पड़ोसी की जान ले ली । मैं मानवता के आधार पर उनकी मदद करता । पड़ोसी का अच्छा इलाज हो, यह प्रयास करता । यदि मैं करोड़पति होता तो अपने कस्बे में एक अच्छा चिकित्सालय खुलवाता ताकि बीमार व्यक्तियों का इलाज समय पर हो सके ।

करोड़पति होने के अनेक लाभ हैं, जिनकी गणना इस छोटे से निबंध में नहीं की जा सकती । वर्तमान युग में कहावत है कि ‘सबसे बड़ा रुपैया’ क्योंकि संपत्ति होने पर ही किसी व्यक्ति की पूछ होती है । धनवान् व्यक्ति समाज में सम्मानित होते हैं और दरिद्र व्यक्तियों को तरह-तरह के अपमान झेलने पड़ते हैं ।

शास्त्रों में ठीक ही कहा गया है कि ‘मृतो दरिद्र: पुरुषो’ अर्थात् दरिद्र पुरुष मृत व्यक्ति के समान है । यदि मैं करोड़पति होता तो जीवन भर दरिद्रता को दूर से ही नमस्कार करता और सदा लक्ष्मी मैया की प्रार्थना एवं आराधना में लगा रहता ।

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