एक ऐतिहासिक इमारत की सैर पर अनुच्छेद | Paragraph on A Visit to a Historical Building in Hindi

प्रस्तावना:

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पिछले वर्ष हमारे इतिहास शिक्षक श्री सूद हमें साथ लेकर आगरा के ऐतिहासिक भ्रमण पर गए । उसकी सुन्दरता से हम चकाचौध हो गए । इसका ठीक-ठीक वर्णन करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं है ।

प्रवेश द्वार:

हमने मुख्य प्रवेश द्वार से ताजमहल के लिए प्रवेश किया । यह लाल रेतीले पत्थर का बना हुआ है । इस पर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं । आयतें काले पत्थर से खोद कर उसमें गाड़ी गई हैं ।

मुख्य इमारत के मार्ग में:

इसके बाद हम एक ऊँचे रास्ते से गुजरे । रास्ते के दोनों ओर लम्बे-लम्बे साइप्रस के पेड़ खड़े थे, जो सदा हरे-भरे रहते हैं । रास्ते के बीच में पानी के फबारे की पंक्तियाँ हैं । इसके आगे संगमरमर का एक बड़ा हौज है, जिसमें सदा पानी भरा रहता है । इसका पानी इतना साफ है कि पूर्णिमा की चांदनी में इसमें ताज का अक्स पड़ता, है जो बड़ा मनोहारी लगता है ।

ताज का बाहरी दृश्य:

इसके बाद हम ताजमहल की मुख्य इमारत के पास पहुँचे । यह इमारत एक विशाल ऊँचे चबूतरे पर बनी हुई है, जो जमीन की सतह से अठारह फीट ऊँचा है । इस चबूतरे के चारों कोने पर ऊंची मीनारें हैं । इसी चबूतरे के बीच में विशाल इमारत है, जो एक मकबरा है । यह एकदम दूधिया सफेद संगमरमर का बना हुआ है ।

मकबरे के भीतर का दृश्य:

अब हम मकबरे के भीतर गए । यहीं हमें दो कब्रें दिखीं । एक कब मकबरे के ठीक मध्य में है और दूसरी उसकी बगल है । मध्य की कब्र मुमताज महल की है और दूसरी निकट की कब्र उसके पति शाहजहाँ की है । पति की कब्र, पत्नी की कब्र से ऊचे स्थान पर बनी है ।

मुमताज महल की कब पर पवित्र कुरान की आयतें खुदी हैं, जबकि शाहजहीं की कब पर नहीं हैं । ये कब्रें नकली हैं । उन दोनों की असली कब्रें ठीक उसके नीचे एक कोठे मे हैं, जहाँ हमेशा अंधेरा रहता है । किसी लालटेन या टॉर्च की मदद से ही असली कब्रे देखी जा सकती हैं ।

कला का बेजोड़ नमूना:

नकली कब्रों के चारो तरफ बडे कलात्मक का से खुदाई की गई है । दीवारों पर बड़ी महीन नक्काशी है । लगभग छ: फीट तक दीवारों पर फूल, फल, पत्ते, पक्षी आदि खुदे हुए हैं । इनमें बीच-बीच में बेशकीमती रगीन जवाहरात जड़े है । यह हिस्सा इतना चित्ताकर्षक है, जिसे शब्दों में बयान करना कठिन है । इनरने ऑखें नहीं हटती । ज्यों-ज्यों हम उन्हें गौर से देखते हैं, उनमें नया सौन्दर्य फूटता दीख पड़ता है ।

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ताजमहल की चांदनी रात में सुन्दरता:

चाँदनी रात में ताजमहल अति सुन्दर लगता है । एक तरफ से पड़ती हुई चाँदनी उसे चांदी-सा चमक देती है तथा दूसरी ओर का अंधेरा उसे अजीब किस्म की रहस्यमयता प्रदान करता है । शीतल चांदनी में सफेद संगमरमर और भी चमकता है ।

यद्यपि इसे बने 300 वर्ष से भी अधिक हो गए हैं, फिर भी यह आज का सा बना लगता है । शरद् पूर्णिमा की रात को इसकी अलौकिक छटा देखने देश-विदेश के अनेक यात्री यही आते हैं । उस रात यही भारी मेला-सा लगा दिखाई देता है ।

उपसंहार:

ताजमहल शाहजहां ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताजमहल की यादगार में बनवाया था । इसलिए इसे प्यार की अनुपम निशानी माना जाता है । प्रेमी युगल यही आकर शाहजहाँ और मुमताज की तरह प्यार की करनमें खाते हैं । इसके सौन्दर्य पर समय ने कोई असर नहीं दिखाया । शायद यह युगों तक ऐसे ही खड़ा रहेगा । ताज भारत के गौरव की निशानी है । यह शिल्प कला का अनूठा प्रदर्शन है ।

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