एक गरम दिन पर अनुच्छेद | Paragraph on A Hot Day in Hindi

प्रस्तावना:

भारत एक गरम देश है । अप्रैल के मध्य से ही गरमी पडने लगती है, जो अगस्त-सितम्बर तक चलती है । भारत के उत्तरी भाग में मई-जून के महीने सबसे अधिक गरमी के होते हैं । दिन मे केवल सुबह के समय मौसम थोडा ठडा और सुहावना रहता है और शेष समूचा दिन बुरी तरह तपता है ।

गरम दिन का प्रारम्भ:

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ग्रीष्म के सर्वाधिक गरम दिनों में प्रातःकाल के समय भी गरमी से विशेष राहत नहीं मिलती । आसमान एकदम साफ होता है । दूर-दूर तक कहीं भी बादल का कोई छोटा-सा टुकड़ा भी नहीं दीखता । सुबह के समय भी ठडा समीर नहीं चलता । घास सूखी और झुलसी दिखाई देती है ।

इन दिनों खुले नीले आसमान पर सूरज निकलता देख सभी का मन बैठने लगता है । प्रातःकाल के उगते हुए सूरज की छटा अच्छी नहीं लगती । ज्यों-ज्यों सूरज आसमान में ऊँचा उठता जाता है, त्यो-त्यों ऐसा लगता है कि उसमे तेजी और चमक बढती जा रही है ।

गरमी निरन्तर बढ़ती जाती है । धरती से आग निकलने लगती है और तेज लू भरी गरम हवायें चलने लगती हैं । इनरने उड़ती धूल-मिट्‌टी से सास तक लेने में कष्ट होता है ।

लोगों की दशा:

गरमियों के दिनों में बहुत कम लोग केवल आवश्यक काम के लिए ही घर के बाहर निकलते है । सडके वीरान दिखाई देती है । इक्का-दुमका लोग सिरों पर तौलिया डाले या छतरी लिए दिखाई देते हैं । सड़के इतनी गर्म होती हैं और तेज गरम हवाये चलती हैं कि बिना जूते या सिर ढके बाहर नहीं निकला जा सकता ।

शहरो में धनी व्यक्ति कूलरों और पखों के सामने बैठकर गरमी से राहत पाते हैं । वे बार-बार ठंडे पेय पदार्थों या शरबत से प्यास बुझाते हैं । साधारण व्यक्ति ठंडे पानी से काम चलाते हैं । निर्धनों की दशा गरमियों में बड़ी खराब होती है ।

उन्हें अपनी रोजी कमाने के लिए तपती धूप और लू में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है । उनके समूचे बदन से पसीने की धार निकलती रहती है । जहा कहीं शीतल जल का प्याऊ पाते हैं, वे पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेते हैं ।

पशु पक्षियों की दशा:

भीषण गरमी में पशु-पक्षियों की दशा भी बड़ी खराब हो जाती है । ये बेसहारा प्राणी शीतल छाव की तलाश में व्याकुल रहते हैं । बहुत-से प्राणी तो सांस लेने के लिए हाँफने को मजबूर हो जाते हैं । भैंसे और भैंसों को बहुत गर्मी लगती है, क्योंकि उनका रग काला होता है ।

अक्सर उथले तालाबों या कीचड़ भरे स्थानों में भैंसे बैठी रहती हैं ओर गरमी से राहत पाती हैं । दिनभर चिडियाँ भी अपने-अपने घोंसलों में दुबकी रहती हैं पेड़-पौधों की पत्तियां झुलस जाती हैं और घास सुख कर पीली पड़ने लगती है । समूची दोपहर सड़के सुनसान दिखाई देती हैं ।

शाम का समय:

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ग्रीष्म में गरमी शाम के समय तक पडती है । ज्यों-ज्यों सूरज ढलने लगता है, गर्मी मे कमी आने लगता है । सूरज ढलने पर कुछ राहत मिलती है । शाम होने के बाद ही लोग घरों के बाहर निकलना शुरू करते हैं । यही समय खरीदारी का भी होता है ।

खोमचे वाले और फेरी वाले भी आवाज लगा-लगाकर अपना माल बेचते हैं । सड़कें और बाजार गुलजार हो जाते है । यहाँ अब कुछ भीड़भाड़ दिखाई देने लगती है । आइसक्रीम और शीतल पेय बेचने वालों की खूब बिक्री होती है ।

शाम के समय पार्कों और उद्यानों में मेला-सा लग जाता है । नरम घास पर बच्चे खेलते और कल्लोल करते दिखाई देते हैं । ऐसा लगता है जैसे मृत शहर पुन: जीवित ही उठा हो ।

रात्रि का समय:

कभी-कभी गरमी की रातें बड़ी कष्टदायी होती हैं । लेकिन अधिकांशतया: देर रात तक ठंडी हवाए चलने लगती हैं । इससे लोगों को बड़ी राहत मिलती है । बहुत-से शाम को दुबारा स्नान करके दिनभर की धूल-धक्कड, पसीना और गरमी से राहत पाते हैं । कभी-कभी रात में तेज हवाओं या पानी की हल्की फुहार गरमी से राहत दिलाकर मौसम सुहावना कर देती है ।

उपसंहार:

शहरों और नगरों में गरमियों के दिनों में अक्सर पानी की बड़ी कमी हो जाती है । इसरने भीषण गर्मी के दौरान लोगों की स्थिति बड़ी दयनीय हो जाती हैं । भारत के राजस्थान जैसे राज्यों में इन दिनों पीने के पानी तक का अकाल हो जाता है । सभी तालाब और अधिकांश कुए सूख जाते हैं । लोगों को जीवित रखने के लिए यहाँ टैंकरों से पानी पहुचाया जाता है ।

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