भारत में ग्रीष्म ऋतु पर अनुच्छेद | Paragraph on Summer Season in India in Hindi

प्रस्तावना:

भारत इतना विशाल देश है कि इसे महाद्वीप कहा जा सकता है । यही वर्षभर एक-सा मौसम नहीं रहता । देश के एक भाग में सर्दी पड़ती है तो दूसरे भागों में भीषण गरमी ।

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उदाहरण के लिए जब उत्तर के मैदानी इलाकों में भयंकर लू चलती है, तो शिमला, नैनीताल, मसूरी और दार्जलिग जैसे पर्वतीय क्षेत्र बहुत ठंडे होते हैं । इसी प्रकार जब भारत के पश्चिमी तट पर सर्दियों का मौसम होता है, तो पूर्वी तट पर वर्षा होती है । इस तरह भारत के विभिन्न भागों में तरह-तरह का मौसम पाया जाता है । यही हम भारत के मैदानी इलाकों में ग्रीष्म अपत का वर्णन करेंगे ।

भयंकर गर्मी:

भारत के मैदानों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान सर्वाधिक गरम मौसम रहता है । यह बड़ा कष्टप्रद होता है । इन दिनों सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं । इसलिए इन दिनों धूप में बैठना या चलना बड़ा कठिन होता है । दोपहर के समय तो घर से बाहर निकलने का मन ही नहीं करता ।

गर्मी बड़ी भीषण होती है और सूरज की रोशनी से ऑखें चौंधियाने लगती हैं । इस ऋतु में केवल प्रातःकाल ही कुछ काम किया जा सकता है । अमीर आदमी अपने घरों में एयर कंडीशनिंग करवा कर अथवा कूलरों के द्वारा उन्हें ठंडा रखते हैं । बिजली के पखे गरम हवा फेंकते है ।

इस में दिन का अधिकांश समय नष्ट हो जाता है । कभी इतनी गरम और धूल भरी हवायें चलने लगती हैं कि औखें और चेहरा तक जलने लगता है और नाक व मुँह में धूल और बालू के सूक्ष्म कण घुस जाते हैं और सारे दिन मुँह किसकिसाता है । दिन भर बडी प्यास लगती है । मन करता है कि सारे दिन ठडा पानी पिया जाये और कुछ न किया जाये ।

स्कूल और कालेजों में छुट्‌टी:

ग्रीष्म के प्रारम्भ से ही स्कूलों और कॉलेजों का समय बदलकर प्रातःकाल का कर दिया जाता है । अधिक गरमी के दिनों में स्कूलों और कॉलेजों में ग्रीष्मावकाश हो जाता है । जुलाई में मध्य तक जब ग्रीष्म ऋतु समाप्त हो जाती है, तभी स्कूल-कालेज खुलते हैं ।

इन दिनों स्कूलों के दफ्तर आदि भी केवल सुबह के समय खुलते हैं । सरकारी दफ्तरों में कूलरों या खसखस की टट्टियों की व्यवस्था करके उन्हें ठंडा रखने का प्रयास किया जाता है । घरों में भी चिक, पर्दे या कूलर आदि लगाकर यथाशक्ति गरमी से बचने का प्रयास किया जाता  है

पानी की कमी:

गरमी के दिनों में पानी की कमी भी हो जाती है । सभी नदियों का पानी बहुत कम हो जाता है । कुछ नदियां एकदम सूख जाती है । कुँओं के पानी का जलस्तर भी नीचे चला जाता है और तालाब सूखने लगते हैं । हर जगह पानी की किल्लत हो जाती है । पशुओं के चारागाह सूख जाते हैं और शायद ही कहीं हरी घास बच पाये । पशु तालाबों के गंदले पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं ।

जंगल में पशु और पक्षियों की स्थिति:

ग्रीष्म में पशु-पक्षी सभी परेशान हो उठते हैं । उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है । बहुत-से पशु दिनभर हांफते रहते है । वे वृक्षों और झाड़ियों की छाया में बैठ कर गरमी से राहत पाने का प्रयत्न करते हैं । पक्षी वृक्षों के खोखलों मे आदि शरण ले लेते हैं । तालाबों के सूखने से उन्हें पानी पीने के लिए बड़ा कष्ट उठाना पड़ता है ।

गरमियों की पोशाक:

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गरमियों में हल्के, ढीले और सफेद कपड़े पहने जाते है । इन दिनों धोती और कुरता से बड़ा आराम मिलता है । गरमियों में बहुत-से लोग केवल कच्छा पहन कर घर में घूमते हैं । गाँवों में नंग-धड़ंग बच्चे तालाबों के गंदले पानी में दिन भर कल्लोल करते रहते हैं ।

गरमियों के फल:

ग्रीष्म ऋतु के दौरान भारत में बड़े रसीले फल आते है । आम, तरबूज, खरबूजे, ककड़ी और लीची इस मौसम के विशेष फल हैं, जिन्हें सभी बड़ी रुचि और स्वाद से खाते हैं । ये सभी फल स्वादिष्ट और रसदार होते हैं । ऐसा लगता है कि ईश्वर ने इन फलों को गरमियों की प्यास बुझाने के लिए ही रचा है ।

प्रातःकाल दिन का सर्वोत्तम समय:

गरमियों में प्रात:काल का समय सबसे सुहावना होता है । इन दिनों केवल सुबह के समय ही ठंडी-ठंडी हवायें चलती हैं और चिडियों की चहचहाहट सुनाई पड़ती है । इस समय न लू चलती है और न सूरज की तेज किरणो से बदन झुलसता है ।

गरमियों में दिन बड़े लम्बे होते है । शाम के छ-सात बजे तक लू चलती है और बड़ी गरमी रहती है । सूर्य अस्त हो जाने के बाद भी कई घंटों तक गरम हवा बदन झुलसाती रहती है । रात को 9-10 बजे तक कुछ ठंडक हो पाती है । जिन्हें सुविधा हो, वे खुले मे सोते हैं । कभी-कभी रातें भी बड़ी गरम रहती हैं और करवटें बदलते-बदलते बड़े सवेरे ही नींद आ पाती है ।

उपसंहार:

अंग्रेज गरमियों की बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं । यही के कवियो ने गरमियों के आनन्द पर अनेक गीत लिखे हैं, लेकिन भारत में ग्रीष्म बड़ी कष्टदायक होती है । भारत में सबसे अच्छी वसन्त होती है ।

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